Sikhism in Italy: इटली में सिख समुदाय तेजी से बढ़ रही धार्मिक अल्पसंख्यक जनसंख्या में से एक है। यूनाइटेड किंगडम के बाद, इटली में यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा सिख समुदाय है और यह वैश्विक स्तर पर छठा सबसे बड़ा सिख जनसंख्या केंद्र माना जाता है। अनुमान है कि इटली में लगभग 2.2 लाख सिख रहते हैं, जो कुल इतालवी जनसंख्या का 0.3% हैं।
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इतिहास में सिख और इटली का संबंध (Sikhism in Italy)
कहा जाता है कि, 1708 में, एक इतालवी चिकित्सक निकोलाओ मनुच्ची ने गुरु गोबिंद सिंह जी के अंतिम दिनों में लाहौर और नांदेड़ में इलाज किया था, लेकिन इस दावे को लेकर नेड्रिक न्यूज पुष्टि नहीं करता है।
सिख साम्राज्य में इतालवी प्रभाव (19वीं शताब्दी)
विकिपीडिया पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल में कई इतालवी अधिकारी सिख साम्राज्य का हिस्सा बने। प्रमुख व्यक्तियों में जनरल जीन-बैप्टिस्ट वेंटुरा और जनरल पाओलो क्रेज़ेंजो एविटाबिले शामिल थे, जिन्होंने खालसा सेना के आधुनिकीकरण और प्रशासनिक सुधारों में मदद की।
महाराजा दलीप सिंह और इटली (1856-1857)
महाराजा दलीप सिंह ने 1856-57 में इटली की यात्रा की थी। लेडी लोगिन ने उनकी चार महीने की यात्रा का वर्णन किया था।
प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में सिखों की भूमिका
1918 में महाराजा भूपिंदर सिंह को इटली के ऑर्डर ऑफ द क्राउन से सम्मानित किया गया था। उन्होंने 1935 में रोम की यात्रा की थी और द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना के सहयोगी के रूप में काम किया।
द्वितीय विश्व युद्ध (1943-1945)
इतालवी अभियान (Italian Campaign) के दौरान 5,000-5,800 सिख सैनिकों ने इटली की मुक्ति के लिए बलिदान दिया। 1945 में फेरारा की मुक्ति में सिख सैनिकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। अप्रैल 2011 में, फॉरली युद्ध स्मारक में इटली में पहला सिख सैन्य स्मारक स्थापित किया गया।
आधुनिक इटली में सिख समुदाय
1965 में, महाराजा यदविंद्र सिंह को इटली का राजदूत नियुक्त किया गया। इतना ही नहीं, 2023 में, इतालवी राजदूत विंसेंजो डी लूका ने स्वर्ण मंदिर अमृतसर में श्रद्धांजलि अर्पित की।
इटली के डेयरी उद्योग में सिखों की भूमिका
परमेसन और मोत्ज़ारेला चीज़ उद्योग में सिख प्रवासी श्रमिकों का योगदान बहुत बड़ा है। ब्रिटिश सिख रिपोर्ट (2016) में कहा गया कि सिखों ने इस उद्योग को पुनर्जीवित किया, क्योंकि स्थानीय युवा इसमें काम नहीं करना चाहते थे।
सिख मजदूरों का शोषण और संघर्ष
हजारों सिख प्रवासी मजदूर कृषि क्षेत्र में शोषण, संगठित अपराध, ब्लैकमेल, उत्पीड़न और हिंसा का शिकार हुए हैं। 2011 में, अल जज़ीरा ने “इटली के सिख गुलाम” नामक एक डॉक्यूमेंट्री जारी की, जिसमें कम वेतन, अमानवीय परिस्थितियों और शोषण की कहानी उजागर की गई। 2016 और 2018 में 4,000 से अधिक सिखों ने वेतन और कामकाजी परिस्थितियों में सुधार की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।
इटली में सिख जनसंख्या का विकास
वर्ष | सिख जनसंख्या | प्रतिशत वृद्धि |
2006 | 50,000 | — |
2012 | 115,000 | +130.0% |
2017 | 150,000 | +30.4% |
2023 | 220,000 | +46.7% |
- वेनिस, मिलान, रोम और पोंटिनिया में सिखों की बड़ी संख्या निवास करती है।
- नोवेल्लारा में लगभग 10,000 सिख रहते हैं।
- पोंटिनिया 60,000 सिखों के साथ इटली में दूसरा सबसे बड़ा सिख केंद्र है।
इटली में किरपान विवाद
इटली में सिख समुदाय के धार्मिक प्रतीक कृपाण को लेकर विवाद 2017 में उभरा। इटली के सुप्रीम कोर्ट ने एक सिख व्यक्ति को सार्वजनिक स्थानों पर कृपाण धारण करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि प्रवासियों को उस समाज के मूल्यों का सम्मान करना चाहिए जिसमें वे रहते हैं, और सुरक्षा नियमों का पालन करना आवश्यक है।
इस निर्णय के बाद, इटली में सिख समुदाय के कुछ सदस्यों ने एक लचीली ब्लेड वाली कृपाण का मॉडल तैयार किया और इसे इटली सरकार की मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया। हालांकि, वैश्विक सिख संगठनों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया, इसे धार्मिक मामलों में सरकारी हस्तक्षेप बताया, और पारंपरिक कृपाण के स्वरूप में बदलाव को अस्वीकार्य कहा।
इन घटनाओं ने इटली में सिख समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक समावेशन पर व्यापक बहस को जन्म दिया था।
इटली में गुरुद्वारे
वहीं गुरुद्वारों की बात करें तो इटली में 60 से अधिक गुरुद्वारे हैं। इनमें प्रमुख हैं:
- रेज्जो एमिलिया (इटली का सबसे पुराना गुरुद्वारा)
- गुरुद्वारा सिंह सभा, नोवेल्लारा
- गुरुद्वारा श्री गुरु नानक दरबार, रोम
- गुरुद्वारा सिंह सभा, मिलान
इटली में सिख खेल हस्तियां
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इंदर सिंह (1968 ओलंपिक हॉकी ब्रॉन्ज मेडलिस्ट)
सिख हॉकी खिलाड़ी इंदर “गोगी” सिंह ने 1968 के मैक्सिको सिटी ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम के साथ कांस्य पदक जीता था। उनका जन्म पंजाब के फरीदकोट में हुआ था और बाद में वे इटली में बस गए। इटली में, उन्होंने ब्रा, पीडमोंट में एक हॉकी क्लब की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी पत्नी, जियाना फिस्सोर, एक इतालवी नागरिक थीं और राष्ट्रीय स्तर की हॉकी खिलाड़ी भी थीं। उनकी बेटी, जसबीर सिंह, इटली की महिला राष्ट्रीय फील्ड हॉकी टीम के लिए खेलती हैं।
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बलजीत सिंह, जसप्रीत सिंह, मनप्रीत सिंह (इतालवी क्रिकेट टीम के खिलाड़ी)
बलजीत सिंह, जसप्रीत सिंह, और मनप्रीत सिंह इतालवी क्रिकेट टीम के खिलाड़ी हैं। मनप्रीत सिंह, एक विकेटकीपर-बल्लेबाज, ने 2019 से 2023 तक इटली के लिए 20 टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले हैं। जसप्रीत सिंह ने 2019 से 2024 तक 21 टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में इटली का प्रतिनिधित्व किया है। बलजीत सिंह ने 2019 से 2022 तक 11 टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में इटली के लिए खेला है।
कुल मिलाकर, इटली में सिख समुदाय का योगदान ऐतिहासिक और आधुनिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है। डेयरी उद्योग से लेकर विश्व युद्धों में भागीदारी और वर्तमान सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों तक, सिखों ने इटली की अर्थव्यवस्था और संस्कृति में गहरा प्रभाव डाला है।