Sikhism in Germany: सिख समुदाय जर्मनी में तेजी से बढ़ता हुआ धार्मिक अल्पसंख्यक है। अधिकांश जर्मन सिखों की जड़ें भारत के पंजाब में हैं, जबकि कुछ अफ़गान सिख समुदाय से या धर्मांतरण के माध्यम से इस धर्म को अपनाते हैं। जर्मनी में रहने वाले सिखों की संख्या लगभग 25,000 के करीब मानी जाती है, जिससे यह यूरोप में सिखों की आबादी के मामले में यूनाइटेड किंगडम (524,000), इटली (220,000), पुर्तगाल (35,000) और स्पेन (26,000) के बाद पांचवें स्थान पर आता है।
प्रमुख सिख आबादी वाले शहर (Sikhism in Germany)
जर्मनी में सिख समुदाय प्रमुख रूप से बर्लिन, कोलोन, हैम्बर्ग, फ्रैंकफर्ट और म्यूनिख में बसा हुआ है। इन शहरों में बड़ी संख्या में पंजाबी सिख रहते हैं, जिनकी कुल संख्या लगभग 15,000 से 21,000 के बीच आंकी जाती है। यहाँ पर कई गुरुद्वारे भी स्थापित हैं, जो सिख धर्म के प्रचार-प्रसार और समुदाय के धार्मिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण केंद्र हैं।
जर्मनी में प्रमुख गुरुद्वारे
सिख समुदाय की धार्मिक आस्था और पहचान बनाए रखने के लिए जर्मनी में कई गुरुद्वारे स्थापित किए गए हैं। इन गुरुद्वारों में धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ सामुदायिक सेवा भी प्रदान की जाती है।
- गुरुद्वारा श्री गुरु नानक सभा, म्यूनिख
- गुरुद्वारा सिंह सभा, बर्लिन
- गुरुद्वारा सिंह सभा, कोलोन
- गुरुद्वारा श्री गुरु नानक दरबार, हैम्बर्ग
- गुरुद्वारा गुरु नानक मिशन, नूर्नबर्ग
- गुरुद्वारा सिंह सभा, फ्रैंकफर्ट
- गुरुद्वारा दशमेश दरबार, एस्सेन
- गुरुद्वारा गुरु नानक देव जी, सोएस्ट
- गुरुद्वारा नानक दरबार, ऑफेनबैक एम मेन
- गुरुद्वारा सिंह सभा, उल्म
- गुरुद्वारा गोबिंद सागर, वुर्जबर्ग
ये गुरुद्वारे न केवल धार्मिक केंद्र हैं, बल्कि सामुदायिक मेलजोल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन करते हैं, जिससे सिख धर्म को बढ़ावा मिलता है।
जर्मन सिखों का योगदान
जर्मनी में रहने वाले सिख विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। इनमें व्यवसाय, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और खेल जैसे क्षेत्र शामिल हैं। उल्लेखनीय रूप से, हरमनजोत सिंह जर्मनी की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के सदस्य हैं और उन्होंने सिख समुदाय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया है।
सिख समुदाय पर हमले और सुरक्षा चिंताएं
हालांकि, जर्मनी में सिख समुदाय को कई बार धार्मिक असहिष्णुता का भी सामना करना पड़ा है। अप्रैल 2016 में, दो 16 वर्षीय मुस्लिम युवकों ने जर्मन शहर एसेन में एक गुरुद्वारे पर हमला किया। उन्होंने आग बुझाने वाले यंत्रों को विस्फोटक उपकरणों में बदलकर बम विस्फोट किया, जिससे एक सिख पुजारी गंभीर रूप से घायल हो गए और दो अन्य को मामूली चोटें आईं। इस घटना में गुरुद्वारे की इमारत को भी गंभीर क्षति पहुँची।
हालांकि आरोपियों ने इस हमले को धार्मिक रूप से प्रेरित नहीं बताया और इसे महज़ आतिशबाज़ी के रूप में वर्णित किया, लेकिन इस घटना ने जर्मनी में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। इस घटना के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने गुरुद्वारों और अन्य धार्मिक स्थलों की निगरानी बढ़ा दी।
जर्मनी में सिख समुदाय एक मजबूत और बढ़ता हुआ धार्मिक अल्पसंख्यक है, जिसने देश की विविधता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हालांकि, धार्मिक हमलों और असहिष्णुता की घटनाओं ने समुदाय को सुरक्षा संबंधी चिंताओं से अवगत कराया है। इस प्रकार, जर्मनी में सिखों की धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित रखने के लिए सरकार और समाज को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। गुरुद्वारों की स्थापना और सामुदायिक सेवा इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं, जो सिख धर्म की मूल शिक्षाओं – सेवा, समानता और एकता – को प्रतिबिंबित करते हैं।
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