Sikhism in Cyprus: साइप्रस में सिख समुदाय धीरे-धीरे अपनी उपस्थिति को मजबूत कर रहा है। 2021 की जनगणना के अनुसार, साइप्रस में 2,264 सिख रहते हैं, जो देश की कुल जनसंख्या का 0.24% हैं। यह संख्या उन्हें साइप्रस का चौथा सबसे बड़ा धार्मिक समूह बनाती है। पिछले कुछ दशकों में, सिख समुदाय ने इस देश में अपनी पहचान बनाई है। बहुत से लोग रोजगार की तलाश में आए, तो कुछ ने यहां व्यवसाय स्थापित किए। आज, सिख समुदाय साइप्रस की सांस्कृतिक विविधता का एक अहम हिस्सा बन चुका है।
सिख समुदाय का इतिहास और उनकी उपस्थिति- Sikhism in Cyprus
मिली जानकारी के मुताबिक, यहां अंग्रेजों के शासनकाल में सिखों का आगमन हुआ था। सिखों का साइप्रस से जुड़ाव 19वीं शताब्दी के अंत से शुरू हुआ। द्वितीय एंग्लो-अफगान युद्ध (1878-1880) के दौरान, जब ब्रिटिश सेना ने अफगानिस्तान में अपने सैन्य अभियान चलाए, तब सिख सैनिकों को भी वहां भेजा गया।
इसी दौरान, ब्रिटिश साम्राज्य ने गुप्त समझौते के तहत साइप्रस पर कब्जा करने के लिए सिख सैनिकों की सहायता ली। इन सैनिकों को माल्टा से साइप्रस भेजा गया, जहां उन्होंने ब्रिटिश प्रशासन की सहायता की।
आधुनिक समय में सिख प्रवास
आज के समय में, साइप्रस में बड़ी संख्या में सिख प्रवासी हैं, जिनमें से अधिकांश भारत के पंजाब राज्य से आए हैं। यहां आकर उन्होंने नौकरी की तलाश की और कई लोगों ने सफलतापूर्वक अपने व्यवसाय स्थापित किए।
हालांकि, कुछ सिख प्रवासी मानव तस्करी (ह्यूमन ट्रैफिकिंग) जैसी समस्याओं से भी प्रभावित हुए हैं। इस मुद्दे को लेकर विभिन्न सामाजिक संगठनों ने आवाज उठाई है, ताकि प्रवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
साइप्रस में सिख धर्म और गुरुद्वारे
साइप्रस में सिख समुदाय के लिए गुरुद्वारे उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान का अहम केंद्र हैं।
गुरुद्वारा संगतसर साहिब, निकोसिया
2011 में स्थापित यह गुरुद्वारा सिख समुदाय के लिए प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहां सामूहिक प्रार्थना, लंगर (सामुदायिक भोजन) और धार्मिक प्रवचन आयोजित किए जाते हैं। यह केवल एक पूजा स्थल ही नहीं, बल्कि सामुदायिक गतिविधियों और सामाजिक कार्यक्रमों का केंद्र भी है।
श्री गुरु नानक दरबार, लारनाका
2013 में स्थापित यह गुरुद्वारा लारनाका शहर में स्थित है। यह सिखों के लिए एक और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जहां वे अपनी आस्था का पालन करते हैं।
साइप्रस सिख एसोसिएशन
यह संगठन 2016 में बना था, जिसका मुख्य उद्देश्य सिख संस्कृति और मूल्यों को बढ़ावा देना है। यह एसोसिएशन सिख प्रवासियों की सहायता करता है और उनकी धार्मिक तथा सामाजिक जरूरतों को पूरा करने के लिए काम करता है।
सिख समुदाय और द्वितीय विश्व युद्ध
सिख समुदाय ने ब्रिटिश सेना के साथ मिलकर द्वितीय विश्व युद्ध में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- 2012 में, बर्मिंघम (यूके) के एक सिख प्रतिनिधिमंडल ने साइप्रस का दौरा किया।
- उन्होंने उन सिख सैनिकों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अपने प्राण न्योछावर किए।
- निकोसिया वार कब्रिस्तान में एक स्मारक स्थापित किया गया, जहां उन बहादुर सैनिकों के नाम अंकित हैं, जिन्हें उनके धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार दाह संस्कार (अंतिम संस्कार) दिया गया था।
यह स्मारक पत्थर की संरचना के रूप में बना है, जिसमें पंख और एक कलश अंकित हैं। यह सिख बहादुरी और उनके बलिदान की याद दिलाता है।
सिख समुदाय और सामाजिक योगदान
सिख समुदाय सिर्फ अपनी धार्मिक पहचान तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्थानीय समाज में भी अपना योगदान दे रहे हैं। 2014 में, यूके के इलफोर्ड शहर के सिखों ने पहली बार साइप्रस में गुरु ग्रंथ साहिब लाया। इसे देश के विभिन्न हिस्सों में ले जाया गया, ताकि स्थानीय लोग सिख धर्म के बारे में जान सकें और इसकी शिक्षाओं को समझ सकें।
आज, सिख समुदाय साइप्रस की विविधता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। वे आर्थिक रूप से भी अपनी पहचान बना रहे हैं और सांस्कृतिक रूप से भी अपने धर्म को जीवंत रखे हुए हैं।