Sikhism in Belgium: बेल्जियम में सिख धर्म एक अल्पसंख्यक धर्म है, लेकिन इसके बावजूद सिखों ने बेल्जियम के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एक ओर जहां सिख धर्म के अनुयायी अपनी धार्मिक पहचान को बनाए रखते हुए बेल्जियम में अपनी जगह बना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यह समुदाय देश के सामाजिक और सांस्कृतिक परिदृश्य में भी योगदान दे रहा है।
सिखों का बेल्जियम में आगमन और इतिहास (Sikhism in Belgium)
SikhiWiki पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, बेल्जियम में सिख समुदाय का पहला आगमन 1985 में हुआ था जब सुखदेव सिंह जलवेरा नामक व्यक्ति ने इस देश में आकर अपनी नई जिंदगी की शुरुआत की। इससे पहले 1974 में जसबीर सिंह अहलुवालिया पहले सिख थे जिन्होंने बेल्जियम में कदम रखा, लेकिन वे केवल भारतीय दूतावास के कर्मचारी थे और उन्हें केवल मेहमान के रूप में गिना गया। 1985 में सुखदेव सिंह जलवेरा द्वारा इस देश में बसने के बाद ही सिखों का प्रवास बेल्जियम में सामान्य हो गया।
1985 में बेल्जियम में सिखों के लिए कुछ विशेष मुद्दे थे, जिनमें प्रमुख था पासपोर्ट और पहचान पत्रों में पगड़ी पहनने पर रोक। सुखदेव सिंह जलवेरा ने इस नियम का विरोध किया और अपने संघर्ष में सफलता पाई, जिसके बाद आने वाले सिखों को इस प्रकार के भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा।
सिख समुदाय का विस्तार और योगदान
सिखों का पहला बड़ा प्रवास तब हुआ जब 1984-86 में पंजाब में सिखों के खिलाफ भेदभाव और अत्याचार बढ़ गए थे। बेल्जियम उन देशों में से था जिसने इन सिख राजनीतिक शरणार्थियों को शरण दी। अधिकांश सिख पुरुष फल और कृषि उद्योग में काम करने के लिए बेल्जियम आए, खासकर लिम्बर्ग क्षेत्र में। समय के साथ, सिखों ने न केवल कृषि क्षेत्र में अपनी जगह बनाई, बल्कि उन्होंने रात की दुकानों (नाइट शॉप्स) की शुरुआत की और इस क्षेत्र में अपना व्यवसाय भी स्थापित किया।
बेल्जियम में सिख गुरुद्वारे
SikhiWiki पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, बेल्जियम में सात प्रमुख गुरुद्वारे हैं, जिनमें से सबसे पुराना 1987 में सेंट-ट्रुइडन में स्थापित हुआ था। अन्य गुरुद्वारे बेल्जियम के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं, जैसे कि ब्रुसेल्स, गेंट, और लीगे में। सिख धर्म के अनुयायी इन गुरुद्वारों में अपनी धार्मिक गतिविधियाँ और समुदायिक कार्य करते हैं।
सिखों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव
1993 में बेल्जियम में सिखों के खिलाफ एक दुर्लभ हिंसा का मामला सामने आया, जब सेंट-ट्रुइडन में कुछ सिख कृषि श्रमिकों को परेशान किया गया और एक सिख की हत्या भी कर दी गई। इसके बाद एक सिख के घर पर बमबारी की गई, हालांकि इस हमले में कोई जान नहीं गई। इस प्रकार की घटनाएँ बेल्जियम में सिख समुदाय के लिए एक कड़ा संदेश थीं, लेकिन समय के साथ बेल्जियम सरकार ने ऐसी घटनाओं को नियंत्रित करने की कोशिश की है।
बेल्जियम में सिखों की जनसंख्या और उनका प्रभाव
वहीं, अगर बेल्जियम में सिख आबादी की बात करें तो आज बेल्जियम में करीब 10,000 सिख रहते हैं, जिनमें से 6,000 से ज्यादा लोग फ्लैंडर्स क्षेत्र में रहते हैं। सेंट-ट्रुइडन में सिखों की सबसे बड़ी संख्या है, जहां 2008 तक लगभग 2,000 सिखों का समुदाय स्थापित हो चुका था। ब्रुसेल्स में भी करीब 1,500 सिख रहते हैं, जिनमें से कुछ गैरकानूनी रूप से रहते हैं, जबकि अन्य कानूनी रूप से सिख धर्म के अनुयायी हैं।
सिख समुदाय बेल्जियम में कृषि कार्य, विशेष रूप से फल उत्पादन, और खुदरा व्यापार में सक्रिय है। सिखों ने अपनी मेहनत और संयम के बल पर व्यवसाय में सफलता प्राप्त की है।
बेल्जियम में सिख समुदाय का इतिहास संघर्ष और समर्पण से भरा हुआ है। शुरुआत में शरणार्थियों के रूप में आए सिखों ने अपनी मेहनत और दृढ़ता से न केवल अपने लिए जीवन की राह बनाई, बल्कि बेल्जियम की संस्कृति और समाज में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। आज, बेल्जियम में सिख समुदाय अपने धार्मिक स्थानों, सामाजिक कार्यों और आर्थिक योगदान के माध्यम से देश के विकास में अपना हिस्सा डाल रहा है।