पंजाब में सांप्रदायिक एकता (Communal unity in Punjab) और भाईचारे की एक अनूठी मिसाल सामने आई है, जहां सिख समुदाय (Sikh Community) के लोगों ने अपने मुस्लिम भाइयों के लिए मस्जिद बनवाई। यह घटना पंजाब के बरनाला के मूम गांव (Barnala Moom village) की बताई जा रही है, जहां मुस्लिम समुदाय की आबादी कम होने के कारण उनके पास नमाज अदा करने के लिए कोई उचित जगह नहीं थी। और न ही वे आर्थिक रूप से इतने सक्षम थे कि वे खुद मस्जिद बनवा सकें। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए सिख भाइयों ने मुस्लिम भाइयों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया। आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला।
भाईचारे की मिसाल
सिख समुदाय ने इस बात को समझा और मुस्लिम समुदाय की जरूरतों का सम्मान करते हुए मस्जिद बनाने की पहल की। इस कदम से एकता, सद्भाव और भाईचारे का संदेश फैला, जो सिख धर्म के मूल सिद्धांतों में से एक है। सिख धर्म ने हमेशा “सर्वधर्म समभाव” और “मानवता” के सिद्धांत का पालन किया है, और यह पहल उसी भावना को दर्शाती है।
मस्जिद निर्माण के लिए दी जमीन– Mosque Built for Muslims in Punjab
बरनाला के गांव मूम के ब्राह्मण समुदाय (Brahmin Community) ने अपने धार्मिक स्थल में से 2 मरला जमीन गांव में रहने वाले मुस्लिम लोगों को दान कर दी है। यहां मस्जिद बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। यहां के ब्राह्मण सभा के नेता पुरुषोत्तम शर्मा ने बताया कि गांव के मुस्लिम समुदाय के लोग यहां धार्मिक स्थल बनाना चाहते थे। लेकिन उनके पास जमीन नहीं थी।
गांव के सिखों ने की फंड की व्यवस्था
उन्होंने कहा कि मुस्लिम भाइयों की आस्था का सम्मान करते हुए हमने फैसला किया है कि गांव में मातारानी मंदिर के पास खाली पड़ी 2 मरला जमीन उन्हें दे दी जाएगी। ब्राह्मण सभा के भूपिंदर शर्मा ने कहा कि मस्जिद निर्माण के लिए सिख भाइयों ने धन की व्यवस्था कर ली है। इस तरह हम सभी लोग मिलकर इस धार्मिक स्थल के निर्माण में अपना योगदान दे रहे हैं।
इस तरह से भी कर रहे मदद
मस्जिद समिति के मोहम्मद काज़िम ने कहा कि हिंदू और सिख भाइयों ने न केवल हमें मस्जिद बनाने के लिए ज़मीन और पैसे दिए हैं, बल्कि वे अपने हाथों से निर्माण कार्य में लगे लोगों को चाय और पानी भी मुहैया करा रहे हैं। काज़िम ने देश के मुसलमानों से राजनीति से दूर रहने और आंतरिक सौहार्द की रक्षा करने का आग्रह किया।
मस्जिद का निर्माण
सिखों द्वारा बनाई गई इस मस्जिद का निर्माण उस क्षेत्र में किया गया है जहां मुसलमानों की संख्या अधिक नहीं है, लेकिन उन्हें अपनी धार्मिक प्रार्थना के लिए एक जगह की आवश्यकता थी। सिख समुदाय ने अपनी सहायता और समर्थन से मस्जिद का निर्माण किया ताकि उनके मुस्लिम भाई स्वतंत्रता के साथ अपने धार्मिक कार्यों को निभा सकें।
सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक
इस आयोजन ने साबित कर दिया कि भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में सभी समुदाय एकता और सहयोग के माध्यम से एक-दूसरे की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हैं। यह सिर्फ़ एक इमारत नहीं बल्कि सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक है। इस पहल की पूरे देश में सराहना हो रही है और इसे सांप्रदायिक सद्भाव का एक आदर्श उदाहरण माना जा रहा है।
समर्पण और प्रेम का संदेश
यह घटना न केवल पंजाब के सिख समुदाय के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है। इस तरह की पहलें समाज को यह सिखाती हैं कि प्रेम और समर्पण के माध्यम से किसी भी धार्मिक या सांप्रदायिक विभाजन को मिटाया जा सकता है।
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