14 सितम्बर 2020 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने भष्ट्राचार के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए एक फैसला किया। केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (उत्तरीय खंड) के शीर्ष अधिकारी धनन्जय साबले को भ्रष्टाचार करने, भारतीय कंपनियों के साथ भेदभाव करने और मेक इंन इंडिया की मुहीम को फेल करने की कोशिश करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। इस जांच के बाद साबले को लेकर जो सच सामने आया, उसने सरकारी तंत्र की नींव हिला कर रख दी है। कुछ ऐसे अनगिनत सवाल सामने आए जिसने सभी को असमंजस में डाल दिया…
सबसे पहले रुख करते हैं एक बड़े सवाल पर आखिर क्यों साबले पर लग रहा है भष्ट्राचार का आरोप, इसके पीछे का कारण जानकर आपकी भी नींदे उड़ जाएगी।
जब NEDRICK NEWS ने खुद को एक पारंगत सरकारी अधिकारी कहने वाले साबले का बीता हुआ कल खंगाला, तो जो सच सामने आया, वो ये बताता है कि आज भी हमारे सरकारी विभाग में नौकरियां मेरिट के बजाए धोखाधड़ी से हासिल की जाती है और वो भी करोडों लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करके। केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (उत्तरीय खंड) के शीर्ष अधिकारी धनन्जय साबले की नियुक्ति दिल्ली में एक ड्रग इंस्पेक्टर के तौर पर हुई थी। साबले के अनुसार वो खुद इस पद के लिए काबिल समझता था, इसका प्रूफ भी दिया था, लेकिन फर्जी।
जी हां, साबले ने ड्रग इंस्पेक्टर की पोस्ट के लिए 3 सालों का एक ड्रग फैक्टी बिदवई कैमिकल प्राइवेट लिमीटेड नांदेड से Manufacturer होने का अनुभव लेटर दिया था, लेकिन जब हमारे संवाददाता ने इसकी जांच की तो पता चला कि साबले तो 2006 से 2009 तक B.E.S INSTITUTE OF PHARMACY, VELSHET, NAGOTHANE में प्रिंसिपल के तौर पर काम कर रहा था।
हमारे पास एक रिकॉर्डिंग है, जिसमें साबले खुद को ड्रग एवं Cosmetic के क्षेत्र में 5 साल का अनुभवी बताता है! आपको बता दे कि केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन में ड्रग इंस्पेक्टर के पद पर नौकरी पाने के लिए 3 सालों Manufacturing या टेस्टिंग का ड्रग एवं Cosmetic के क्षेत्र में अनुभव होना अनिवार्य बताया है। लेकिन साबले ने फर्जी दस्तावेज देते हुए कॉलेज में प्रिंसिपल होने का कहीं जिक्र नहीं किया, जबकि एक फैक्ट्री का वर्क Experience दिया।
इतना ही नहीं साबले ने 2014 में Assistant Drugs Controller (ADCI) के पद के लिए अप्लाई किया था, इसमें भी कम से कम 5 साल का अनुभव होना अनिवार्य होता है लेकिन इस वक्त भी साबले के पास अनुभव कम था। लेकिन फिर भी उसे पद पर नियुक्त कर दिया गया, जो कि पूरी तरह से गैर कानूनी था। साथ ही ये भी सवाल उठता है कि जब कार्यरत था उसकी सैलरी का प्रमाण, अटेंडेंस रजिस्टर, प्रोस्पेक्टर्स विद्यार्थियों को असाइंमेंट और ऐसे तमाम सबूतों को क्यों संज्ञान में नहीं लिया गया। हमारे पास वो call recording है जो इस बात का प्रमाण देती है की ये वो ही धनंजय साबले है जो दिल्ली में posted है और ये उसी की कहानी है जो एक भ्रष्ट सरकारी अधिकारी है..
अब ये भी जान लेते हैं की आखिर ये साबले शिकंजे में कैसे आया–
देशभर में कोरोना संकट बढ़ रहा है लेकिन इन हालातों में साबले ने भ्रष्टाचार की सारी हदों को पार कर दिया है। दरअसल साबले ने कोरोना वायरस से लड़ने में मददगार जांच करने वाले चिकित्सा उपकरण (medical device/diagnostic kit ) बनाने वाली कंपनियों के आवेदन को आगे ही नहीं बढ़ने दिया, ये सभी कंपनियां भारत की है। जबकि पीएम मोदी के मेक इन इंडिया की मुहिम के तहत भारतीय कंपनियों को बढ़ावा देने के निर्देश दिए गए है लेकिन बावजूद इसके साबले ने भारतीय कंपनियों के आवेदन को आगे ही नहीं बढ़ने दिया। इस समय कोरोना की जांच के लिए जो भी उपकरण होते है, उसकी उपलब्धता सबसे पहले होनी चाहिए थी, लेकिन साबले ने इन आवेदनों को सिरे से खारिज कर दिया। जिसके बाद ही साबले के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है।
साबले की लापरवाही की शिकार 13 कंपनियों ने कोरोना वायरस के इलाज और बचाव से जुडे़ उपकरणों के लिए आवेदन किया था, लेकिन इस लापरवाही की बड़ी कीमत देश और देशवासियों को चुकानी पड़ी। भारत को मजबूरन अमेरिका से PM CARES फण्ड का पैसा इस्तेमाल करके अमेरिका से वेंटिलेटर्स आयात करने पड़े तो वहीं चीन से भी सर्जिकल मास्क की बड़ी खेप मंगवानी पड़ी। इसके अलावा कई इलाकों में टेस्टिंग की सुविधा को पूरा करने के लिए भी विदेशों से किट आयात करके मंगवाए गए। जबकि अगर साबले उन 13 कंपनियों के आवेदन पर वक्त रहते कार्रवाई करते तो भारत को शायद ये दिन न देखना पड़ता।
साबले के खिलाफ कई और भी शिकायतें है। साबले की इस घपलेबाजी के खिलाफ पहली बार 6 मार्च 2016 को मनोज पिम्पालसाकर नाम के व्यक्ति ने की थी, उसने साबले के खिलाफ भ्रष्टाचार करने, और धोखाधड़ी करके ड्रग इंस्पेक्टर के पद को पाने के खिलाफ शिकायत की थी।
मगर हैरानी की बात ये है कि इस शिकायत के बाद से ही मनोज लापता है और आज तक उसका कोई सुराग नहीं मिला है। लेकिन इस शिकायत के बाद से ही साबले की हरकतों पर नजर रखी जाने लगी और आखिरकार उसके गुनाहों से पर्दा उठ ही गया।
साबले का भारतीय कंपनियों के आवेदन पर मंजूरी ना देना, मेक इन इंडिया मुहिम की धज्जियां उड़ाई जा रही है। साबले जैसे अधिकारी जो बिना काबिलियत के ऐसे पदों पर पहुंच जाते है, जो ना केवल लाखों लोगों की जान को खतरे में डाल देते है। बल्कि दूसरों के नौकरियों का हक भी मारते है। ऐसे में साबले का कच्चा चिट्ठा सामने आने के बाद क्या होगा सरकार का अगला कदम, इसका इंतजार सभी को है।