एक अधिकारी कैसे अपने पद का गलत इस्तेमाल कर सकता है और कैसे अपने चेहरे के पीछे एक और काले चेहरा रखता है, कैसे वो पुलिस प्रशासन को अपनी उंगलियों पर नचाता है, इसका जीते जागते उदाहरण के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। जिस शख्स के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं उस पर आरोप तो कई हैं, लेकिन आज तक उसके खिलाफ कोई भी कार्रवाई करते देखा नहीं गया।
कल शाम यानि कि 12 जनवरी को यह जनाब गाजियाबाद के साहिबाबाद थाने में बैठे थे। तेवर इनके ऐसे थे कि पूरा का पूरा थाना इनके सेवा भाव में लगा हुआ था। लेकिन जब अचानक हमारी पत्रकार वहां पहुंची और सवाल किया कि क्या यहां पर गोविंद सिंह के नाम से कोई मामला दर्ज हुआ है या फिर किसी गोविंद सिंह के नाम पर कोई रेप का मामला आया हुआ है। तो ऐसे में थाने के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने बड़ी ही शालीनता के साथ ना में जवाब दिया। यहां तक कि यह भी कहा कि यहां पर ऐसा कोई भी मामला नहीं आया हुआ है। ऐसे में हमारी पत्रकार वापस चली गई और जब वह महज 2 मिनट में लौट कर आई तो देखा कि जो जनाब वहां बैठे हैं वह खुद ही गोविंद सिंह है, जो कि जीडीए उद्यान अधिकारी हैं।
यह जनाब वहां पर ऐसे पैर पसार कर बैठे हुए थे जैसे कि ससुराल में आए हुए दामाद हो। उसके सामने बैठे दरोगा आप गोविंद सिंह की तीमारदारी में लगे रहे। जैसे कि गोविंद सिंह कोई मेहमान हो। इनकी भैंस जैसे ही दूध देती वैसे ही हमारी पत्रकार ऐन मौके पर पहुंच गई। हमारी पत्रकार ने जैसे ही सवाल करने शुरू किए वैसे ही पूरा प्रशासन एक्शन में आ गया और दबाव में आकर गोविंद सिंह को लॉकअप में डाल दिया गया।
जानकारी मिलती है कि गोविंद पर आरोप है कि उसके पास काफी जमीनें और करोड़ों की प्रॉपर्टी है अब सवाल ये है कि एक साधारण से अधिकारी के पास इतनी संपत्ति कहां से आ गई। गोविंद के खिलाफ लोक आयुक्त में भी शिकायत की गई लेकिन उसके बाद भी किसी तरह का एक्शन लेने की बात सामने नहीं आई। मेरठ कमिश्नर के सामने भी गोविंद की प्रॉपर्टी और भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत की गई लेकिन इसका भी कोई असर नहीं दिखा और तो और बताया तो ये भी जाता है कि प्रधानमंत्री के पोर्टल पर भी गोविंद के खिलाफ शिकायत की गई और दो बार रिमाइंडर भी भेजा गया लेकिन किसी एक्शन लिए जाने के उलट शिकायत पीएम से सीएम और सीएम से प्रमुख सचिव के पास से होते हुए जीडीए लौट आई। गोविंद के खिलाफ भी किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई।
देखने वाली बात ये है कि क्या इतनी बार शिकायत किए जाने के बाद गोविंद सिंह के खिलाफ कार्रवाई न किए जाने की सूरत पर ऐसी उम्मीद की जा सकती है कि रेप जैसे मामले को लेकर गोविंद के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पूरा मामला और प्रशासनिक व्यवस्था की जैसी तस्वीर यहां दिख रही है उससे तो कार्रवाई की उम्मीद बेहद कम है या यूं कहे ना के बराबर है।