आज हमारा देश तरक्की की राह पर आगे बढ़ रहा है। अक्सर ही हम लोग ये कहते नजर आते हैं कि ये न्यू इंडिया हैं। लेकिन इस न्यू इंडिया में कई ऐसी समस्याएं है, जिसका हम आजतक सामना करते आ रहे हैं। ऐसी ही एक समस्या है बेटियों की। आज हमारा देश के साथ साथ लड़कियां भी तरक्की की राह पर बढ़ रही है। आज वो किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं। बावजूद इसके अभी भी कई लोग बेटियों को बोझ समझते नजर आते हैं।
बेटियां कभी बोझ नहीं होती, वो तो सहारा बनती हैं। बदलते हुए भारत के साथ अपनी सोच भी बदलने की जरूरत है। बेटियों को बोझ ना समझें। ऐसा मानना है डॉ. सपना बंसल का।
मंगलवार को डॉ. सपना बंसल के घर इंदिरापुरम, गाजियाबाद में अंतरराष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन के प्रकल्प बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को लेकर एक मीटिंग हुई। इस मीटिंग की शुरूआत महाराजा अग्रसेन की वंदना से की गई। साथ ही साथ उनको माल्यार्पण भी किया। मीटिंग का हिस्सा रुचि गर्ग, हर्षिता गुप्ता, कुमुद, हेमा, रुचि बंसल, पूनम, सुलोचना धनवत, आलोक चौधरी, रमाकांत अग्रवाल, लक्ष्मी सिंघानिया, माधुरी गोयल, विजया डालमिया, कविता अग्रवाल बनीं।
मीटिंग में इस पर चर्चा हुई कि आखिर वो क्या वजह हैं, जिनके चलते हमारा बेटियों को बोझ समझता है? इस दौरान बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की राष्ट्रीय संयोजक डॉ सपना बंसल ने कहा इसके पीछे दो वजहें, दो पहलू निकलकर सामने आते है। जिसमें पहला ये कि बेटियों के पास खुद की कोई आर्थिक सुरक्षा नहीं होती है। जिंदगीभर ही वो दूसरे पर निर्भरत रहती हैं। दूसरा पहलू ये है कि बेटियां शारीरिक रूप से काफी कमजोर होती हैं।
डॉ. सपना बंसल ने आगे कहा कि इसमें हमें दो बातों पर ध्यान देने की जरूरत है। एक ये कि लड़की किसी भी वर्ग से क्यों ना हो। वो निम्न वर्ग की हो, मध्यम वर्ग की या फिर उच्च ववर्ग की, उनको आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर और मजबूत बनाते की जरूरत है। दूसरा बेटियों को आत्मरक्षा के लिए तैयार करना चाहिए, जिससे वो खुद अपनी रक्षा कर सकें। उनको किसी दूसरी पर निर्भर ना होना पड़े। वहीं अंशु अग्रवाल ने हमेशा से चली आ रही इस समस्या को खत्म करने के लिए सकारात्मक काम करने की बात कही।
सपना बंसल ने इस दौरान कहा कि वो इस समस्या को खत्म करने के लिए हर संभव मदद के लिए तैयार हैं। पूजा गर्ग महासचिव अंतर्राष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन जो दिल्ली से इस मीटिंग में शामिल हुए हुए उन्होंने इस मसले पर अपने विचार रखते हुए कहा कि अगर देश को आगे बढ़ाना हैं, तो ऐसे में बेटियों को सफर बनाने की आज समय की सबसे बड़ी मांग है।