कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड (KAPL) के फिक्स्ड टर्म कॉन्ट्रैक्ट (FTC) कर्मचारियों के साथ किए जा रहे अन्याय ने गंभीर चिंता का विषय पैदा कर दिया है। इन कर्मचारियों ने श्रम कानूनों और संवैधानिक प्रावधानों की अनदेखी का आरोप लगाया है। यह न केवल श्रमिक अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि सरकार द्वारा अधिनियमित कानूनों की अवमानना भी है।
FTC कर्मचारियों के अधिकार: कानून क्या कहता है?
भारत सरकार ने 16 मार्च 2018 को औद्योगिक नियोजन (स्थायी आदेश) अधिनियम, 1946 में संशोधन करते हुए फिक्स्ड टर्म रोजगार (Fixed Term Employment) की शुरुआत की थी। इस कदम का उद्देश्य स्थायी और FTC कर्मचारियों के बीच भेदभाव को समाप्त करना और समान अधिकार सुनिश्चित करना था।
महत्वपूर्ण प्रावधान:
- श्रम मंत्रालय की अधिसूचना:
- अधिसूचना संख्या G.S.R. 235(E), दिनांक 16 मार्च 2018 के अनुसार, FTC कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारियों के समान अधिकार मिलने चाहिए।
- इसके तहत वेतन, भत्ते, कार्य के घंटे, और अन्य लाभ समान होने चाहिए।
- औद्योगिक नियोजन (स्थायी आदेश) अधिनियम, 1946:
- यह अधिनियम सुनिश्चित करता है कि FTC कर्मचारियों को भेदभाव से बचाने के लिए उन्हें स्थायी कर्मचारियों के समान व्यवहार और लाभ मिलें।
- समान वेतन का अधिकार:
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 39(d) समान कार्य के लिए समान वेतन की गारंटी देता है।
- यह प्रावधान सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों पर लागू होता है।
KAPL प्रबंधन पर आरोप: नीरजा श्रॉफ का नेतृत्व
KAPL के FTC कर्मचारियों ने प्रबंधन, विशेष रूप से मैनेजिंग डायरेक्टर नीरजा श्रॉफ पर श्रम कानूनों के उल्लंघन और अनुचित व्यवहार का आरोप लगाया है।
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प्रमुख मुद्दे:
- बोनस और लाभ में कटौती: FTC कर्मचारियों को वार्षिक बोनस और त्योहारों पर उपहारों से वंचित रखा गया, जो श्रम मंत्रालय की अधिसूचना और संविधान के अनुच्छेद 39(d) का सीधा उल्लंघन है।
- वेतन और भत्तों में असमानता: FTC कर्मचारियों के वेतन और भत्ते स्थायी कर्मचारियों के समान नहीं हैं।
- फाइनल सेटलमेंट में देरी: सेवा समाप्ति के बाद FTC कर्मचारियों का फाइनल सेटलमेंट और ग्रेच्युटी का भुगतान अभी भी लंबित है। यह भुगतान अधिनियम, 1972 का उल्लंघन है।
- अनुचित व्यवहार और शोषण: कर्मचारियों को अनुचित कारणों से शो-कॉज नोटिस दिए गए और उन्हें मानसिक दबाव में रखा गया।
उदाहरण:
- बोनस और उपहार में भेदभाव: स्थायी कर्मचारियों को त्योहार बोनस और उपहार दिए गए, जबकि FTC कर्मचारियों को इससे वंचित रखा गया।
- फाइनल सेटलमेंट में देरी: सेवा समाप्ति के बाद कई FTC कर्मचारियों का अंतिम भुगतान रोक दिया गया।
- सरकारी प्रावधानों की अनदेखी: KAPL ने औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के तहत श्रमिक अधिकारों की रक्षा में विफलता दिखाई।
सरकार से हस्तक्षेप की आवश्यकता
KAPL में श्रम कानूनों के उल्लंघन की तत्काल जांच और सुधार आवश्यक है। FTC कर्मचारियों को उनका हक दिलाने के लिए सरकार को तुरंत कदम उठाने चाहिए।
अनुशंसाएं:
- स्वतंत्र जांच आयोग का गठन: KAPL में श्रम कानूनों के उल्लंघन और कर्मचारियों के साथ हुए अन्याय की जांच के लिए एक स्वतंत्र आयोग का गठन किया जाए।
- बकाया भुगतान: FTC कर्मचारियों के फाइनल सेटलमेंट, बोनस और अन्य लंबित लाभों का भुगतान तुरंत किया जाए।
- कानूनी कार्रवाई: श्रम कानूनों और संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
KAPL जैसे प्रतिष्ठित सार्वजनिक उपक्रम में श्रम कानूनों की अनदेखी न केवल कर्मचारियों के मनोबल को गिराती है, बल्कि सरकार की छवि को भी नुकसान पहुंचाती है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि FTC कर्मचारियों को उनका हक मिले और कंपनी की कार्य संस्कृति में सुधार हो।
(यह लेख सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सरकारी अधिसूचनाओं और कर्मचारियों के अनुभवों पर आधारित है।)