कहते है किसी भी देश के राष्ट्रीय सम्मान उस देश के गौरव को बताते हैं। देश की पुलिस और आर्मी के कंधे पर इस सम्मान की रक्षा की जिम्मेदारी होती है। जब कोई भी संकट देश पर आता है, तो हमारी पुलिस और आर्मी अपनी जान की बाजी लगाने से भी पीछे नहीं हटती। इनके कारण ही कानून व्यवस्था बनी हुई है… हम और आप चैन से सांस ले पा रहे हैं।
लेकिन ऐसा कहा जाता है ना कि एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है। ठीक वैसे ही जहां कुछ हमारे देश का गौरव बढ़ाते है, तो ऐसे भी कुछ अधिकारी हैं जिनके कारण पूरा डिपार्टमेंट बदनाम हो जाता है। एक तरफ हमारे देश की पुलिस भारत को अंदरूनी तौर पर सुरक्षित रखने में दिन रात एक कर रही है, तो वहीं कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने खाकी वर्दी को ही बदनाम कर रखा है। गाजियाबाद पुलिस की एक ऐसी ही हरकत सामने आई है, जिसने पूरे पुलिस डिपार्टमेंट को बदनाम कर दिया। इस घटना ने पुलिस की देश और देश के राष्ट्रीय सम्मान के प्रति जिम्मेदारी को पूरा करने की लगन पर सवालिया निशान खड़े कर दिए है।
नीचे तस्वीर में आपको जो व्यक्ति खड़े हुए नजर आ रहे हैं, उनका नाम अनिल कुमार है। ये गाजियाबाद के मंगल चौक पर एक मदर डेयरी चलाते हैं। इन्होंने बताया कि उनकी दुकान के पास सुबह एक मोर करंट लगने के कारण गिरा था। मोर देश का राष्ट्रीय पक्षी है, मोर को तड़पता देख कर उन्होंने तुरंत देश के एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते पुलिस को फोन किया, लेकिन पुलिस ने देश के इस राष्ट्रीय पक्षी के प्रति जो लचर रवैया दिखाया, उसने सबके कान खड़े दिए। पुलिस ने ना तो मोर को रेस्क्यू करने की कोशिश की और ना ही कोई मदद। उल्टा अनिल कुमार को ही इसका इलाज कराने के लिए कह दिया।
इसकी जानकारी जब हमारे संवाददाता को लगी तो उन्होंने वहां जाकर मामले का पूरा संज्ञान लिया। इतना ही मोर को रेस्क्यू करने के लिए Peoples for animals नाम की संस्था के सौरभ गुप्ता से भी बात की। बता दें कि सौरभ गुप्ता जानवरों के भले के लिए काम करने वाले लोगों में एक जाना माना नाम है। जैसे ही हमारे संवाददाता ने सौरभ गुप्ता से बात की…वैसे ही फोन के जाते है ही 5 मिनट के अंदर ही FAUNA FOUNDATION की तरफ से एक टीम मोर का रेस्क्यू करने पहुंच गई। करंट लगने के कारण मोर की हालात नाजुक थी।
फौना फाउंडेशन की टीम ने मोर को First Add दिया और मोर फिलहाल सुरक्षित है, लेकिन इस घटना ने पुलिस के जिम्मेदारी पर सवाल खड़े कर दिए। क्या ये पुलिस जो एक मुक पक्षी की रक्षा नहीं कर सकते है। ये पुलिस की पहली जिम्मेदारी बनती थी कि वो मोर को सुरक्षित रखें, लेकिन पुलिस ने इसे मोर को बचाने वाले के सर पर डाल दिया। अब जरा सोचिए, अगर मोर को बचाने में उसके साथ अगर कोई अनहोनी हो जाती तो क्या तब भी पुलिस अनिल कुमार के साथ इस तरह से व्यवहार करती या फिर मोर की मौत का जिम्मेदार ठहरा कर पुलिस अनिल कुमार को ही प्रताड़ित करने लगती है। इसका जवाब क्या होगा..ये हम या आप अच्छी तरह से समझ सकते है।