Mini Punjab in Mumbai: भारत की आर्थिक राजधानी अपने विविध समुदायों और उनकी अनूठी सांस्कृतिक पहचान के लिए जानी जाती है। इस सांस्कृतिक मोज़ेक का एक अनूठा हिस्सा गुरु तेग बहादुर नगर है, जिसे आमतौर पर ‘मिनी पंजाब’ कहा जाता है। यह क्षेत्र न केवल अपनी पंजाबी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि सिख समुदाय की कड़ी मेहनत, संघर्ष और उपलब्धियों का भी प्रतीक है।
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महान सिख गुरु तेग बहादुर (Guru Teg Bahadur) की तीसरी जन्म शताब्दी पर 1 मार्च 1977 को उनके नाम पर रखे जाने के वर्षों बाद भी, किंग्स सर्किल, एंटॉप हिल, प्रतीक्षा नगर, मकवाडी, इंदिरा नगर और आसपास के क्षेत्रों को अभी भी सायन कोलीबार्डा कहा जाता है।
गुरु तेग बहादुर नगर का इतिहास- Mini Punjab in Mumbai
गुरु तेग बहादुर नगर (Guru Teg Bahadur Nagar Mumbai), जिसे स्थानीय लोग जीटीबी नगर के नाम से जानते हैं, का इतिहास 1947 में भारत के विभाजन के समय शुरू होता है। विभाजन की विभीषिका झेलने के बाद मुंबई आए सिख और पंजाबी शरणार्थियों को इस क्षेत्र में बसाया गया था।
- 12 एकड़ की बंजर जमीन पर इन्हें अस्थायी मिलिटरी बैरकों में रखा गया।
- 1957 में, सरकार ने इन परिवारों के लिए तीन मंजिला चॉल जैसी 25 इमारतें बनवाईं और उन्हें किश्तों में 5700 रुपये अदा करने पर घरों का मालिकाना हक दिया।
पंजाबी संस्कृति का केंद्र
गुरु तेग बहादुर नगर को ‘मिनी पंजाब’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां सिख समुदाय की संस्कृति हर पहलू में झलकती है।
- गुरुद्वारे: दशमेश दरबार, जो मुंबई का सबसे समृद्ध गुरुद्वारा है, यहां का प्रमुख आकर्षण है। इसके दरवाजे कभी बंद नहीं होते।
- खानपान: मक्के की रोटी, सरसों का साग, छोले-भटूरे, और चिकन तंदूरी जैसे पारंपरिक पंजाबी व्यंजन यहां हर कोने में मिलते हैं।
- पहनावा और भाषा: पंजाबी वेषभूषा, रंग-ढंग और भाषा इस इलाके की पहचान है।
जीवनशैली और व्यवसाय
यहां के निवासियों ने कड़ी मेहनत से अपनी पहचान बनाई है।
- मुख्य व्यवसाय: टैक्सी ड्राइवर, गैराज और मैकेनिक यहां के निम्न आय वर्ग का प्रमुख धंधा है।
- गांधी मार्केट: 60 साल पुराना यह बाजार फैशन डिजाइनरों और ग्राहकों के लिए एक प्रमुख केंद्र है। मशहूर डिजाइनर जैसे तरुण तहलियानी, रितु कुमार और रोहित बल यहां के नियमित ग्राहक हैं।
रीडिवेलपमेंट और आवास संकट
हालांकि, ‘मिनी पंजाब’ अब रीडिवेलपमेंट की प्रक्रिया से गुजर रहा है।
- जर्जर इमारतें: यहां की 25 इमारतें अब खतरनाक स्थिति में पहुंच चुकी हैं। सरकार ने इन्हें तोड़ने का आदेश दिया है, लेकिन निवासियों के लिए वैकल्पिक आवास का कोई ठोस प्रस्ताव नहीं है।
- अवैध झोपड़ियां: रेल पटरियों के पास अवैध रिहाइशें इतनी सघन हैं कि ट्रेनों की गति धीमी करनी पड़ती है।
- निवासियों की मांग: स्थानीय लोग चाहते हैं कि पुनर्विकास में उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जाए और बीएमसी पुनर्विकास नीति को पारदर्शी बनाए।
न्यायालय का हस्तक्षेप
साल 2018 में मुंबई उच्च न्यायालय ने बीएमसी को आदेश दिया था कि वह इन इमारतों के पुनर्विकास की स्पष्ट योजना प्रस्तुत करे। अदालत ने यह भी कहा था कि बिना वैकल्पिक आवास के निवासियों को हटाना मानवीय नहीं होगा।
संघर्ष और उम्मीदें
निवासियों ने उस समय मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की थी, जिन्होंने बीडीडी चॉल पुनर्विकास मॉडल की तर्ज पर इस कॉलोनी के पुनर्विकास का आश्वासन दिया। दशमेश दरबार के वरिष्ठ पदाधिकारी कुलवंत सिंह ने कहा कि “रीडिवेलपमेंट ने यहां के आम बाशिंदे में नई आशाएं जगाई हैं।”
गुरु तेग बहादुर नगर सिर्फ़ एक जगह नहीं है, बल्कि विभाजन के बाद की पीड़ा और उसके बाद की सफलता की कहानी है। ‘मिनी पंजाब’ आज भी सिख समुदाय की सांस्कृतिक विरासत और संघर्ष को दर्शाता है। हालांकि, पुनर्विकास और आवास संकट की चुनौतियों ने इसके निवासियों के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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