Mesopotamia Civilization History: असीरिया, एक प्राचीन मेसोपोटामिया सभ्यता, जो अपनी सैन्य ताकत और विस्तार के लिए जानी जाती है, आज भी इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के लिए एक गूढ़ पहेली बनी हुई है। हालांकि, 19वीं सदी में तीन विक्टोरियाई शोधकर्ताओं ने इस खोई हुई सभ्यता को फिर से खोज निकाला, और इसके महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर किया। हेनरी रॉलिंसन, ऑस्टेन हेनरी लेयार्ड और एडवर्ड हिंक्स ने असीरिया की क्यूनिफॉर्म लिपि को समझने में अहम भूमिका निभाई, जो इस सभ्यता का सबसे बड़ा दस्तावेजी प्रमाण था। इन शोधकर्ताओं की किताबों और अनुवादों ने असीरिया की इतिहास और संस्कृति को फिर से जीवित कर दिया। जोशुआ हैमर की पुस्तक ‘द मेसोपोटामियन रिडल’ में इस सभ्यता के बारे में नए और चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
असीरिया का साम्राज्य और शक्ति- Mesopotamia Civilization History
असीरिया का साम्राज्य लगभग 1300 से 600 बीसी तक मेसोपोटामिया के क्षेत्रों में फैला हुआ था। इस साम्राज्य की ताकत ने न केवल बेबीलोन और मिस्र को जीता, बल्कि यह दुनिया की सबसे मजबूत सेना का घर भी था। असीरिया के शासक अपने साम्राज्य के विस्तार के लिए प्रसिद्ध थे, और उनका साम्राज्य वर्तमान इराक, आधुनिक ईरान, मिस्र और तुर्की तक फैल चुका था। असीरिया की पहली राजधानी असुर थी, और यह एक प्रमुख प्राचीन सभ्यता के रूप में अस्तित्व में थी, जो प्रारंभ में एक शहर-राज्य के रूप में स्थापित हुई थी।
असीरिया की खोज और मिथक बनता इतिहास
1911 में ब्रिटिश खोजकर्ता गर्ट्रूड बेल ने असुर में जर्मन खुदाई का दौरा किया और वहां की प्राचीन वस्तुओं को देखा। बेल ने बताया कि यह स्थान एशिया के इतिहास का गवाह था। हालांकि, वह यह मानते थे कि यहां यूनानी जनरलों की हत्या हुई थी और जेनोफोन ने अपनी नई कमान की शुरुआत की थी। लेकिन, बेल ने यह नहीं जाना कि जो खंडहर वह देख रहे थे, वे असीरियाई साम्राज्य के थे। असीरिया के खौफनाक शासनकाल का अस्तित्व धीरे-धीरे एक मिथक में बदल गया था। असीरियाई लोग क्यूनिफॉर्म लिपि का उपयोग करते थे, जिसे समय के साथ धीरे-धीरे बंद कर दिया गया।
विक्टोरियाई खोज और मिट्टी की गोलियों की अहमियत
जोशुआ हैमर की किताब ‘द मेसोपोटामियन रिडल’ में यह बताया गया है कि कैसे तीन विक्टोरियाई शोधकर्ताओं—हेनरी रॉलिंसन, ऑस्टेन हेनरी लेयार्ड और एडवर्ड हिंक्स—ने असीरिया की खोई हुई सभ्यता को फिर से खोजा। इन तीनों ने मिट्टी की गोलियों पर लिखी क्यूनिफॉर्म लिपि को समझा, जिससे उन्हें असीरिया के इतिहास और संस्कृति का महत्वपूर्ण ज्ञान प्राप्त हुआ। ये गोलियां असीरियाई समाज के अधिकारियों के मनोरंजन के साधन बन चुकी थीं, और वे हजारों वर्षों तक असीरिया की मिट्टी से बनी ईंटों से अधिक समय तक संरक्षित रहीं। इन गोलियों की खोज ने असीरिया की खोई हुई पहचान को फिर से दुनिया के सामने रखा।
22,000 गोलियां और व्यापारिक संबंध
असीरिया के व्यापारिक समृद्धि का पता तब चला जब तुर्की के काइसेरी के पास कुल्टेपे में 22,000 मिट्टी की गोलियों का एक बड़ा संग्रह मिला। इन गोलियों में असीरियाई व्यापार कॉलोनियों से जुड़ी जानकारी प्राप्त हुई। असीरिया का व्यापार नेटवर्क व्यापक और मजबूत था, और इसके माध्यम से असीरिया ने अपने साम्राज्य की ताकत को बढ़ाया।
भारत और असीरिया का संबंध
जब हम असीरिया की सभ्यता की चर्चा करते हैं, तो एक महत्वपूर्ण सवाल यह उठता है—क्या इसका कोई संबंध भारत से भी था? दिलचस्प बात यह है कि सिंधु घाटी सभ्यता और मेसोपोटामिया सभ्यता लगभग एक ही समय में विकसित हुई थीं। दोनों सभ्यताएं तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व में अस्तित्व में आईं। जहां एक ओर सिंधु घाटी सभ्यता भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर क्षेत्र में फैली थी, वहीं मेसोपोटामिया सभ्यता वर्तमान इराक और कुवैत के क्षेत्रों में विकसित हुई थी। इन दोनों सभ्यताओं की संरचनाओं में समानताएं थीं, जैसे कि घरों का निर्माण, कृषि और व्यापार आधारित अर्थव्यवस्था, और सिंचाई व्यवस्था।
मेलुहा के प्रमाण
असीरिया और सिंधु घाटी के बीच व्यापारिक संबंधों के प्रमाण भी मिलते हैं। मेसोपोटामिया में सिंधु घाटी सभ्यता के ‘मेलुहा’ नामक स्थान से संबंध स्थापित करने वाली मुहरें पाई गईं। अक्कादियन साम्राज्य की एक बेलनाकार मुहर में सिंधु घाटी से आने वाले जल भैंसे की छवि दिखाई देती है, जो दोनों सभ्यताओं के बीच आदान-प्रदान का प्रमाण है।