पंजाब के गुरदासपुर में एक ऐसा स्कूल है (Government School in Gurdaspur), जिसके सामने वहां के बड़े-बड़े प्राइवेट स्कूल भी फीके पड़ जाते हैं। आज इस स्कूल में वो सभी तरह की सुविधाएं हैं जो छात्रों के भविष्य निर्माण के लिए जरूरी हैं। लेकिन ये स्कूल शुरू से ऐसा नहीं था। कुछ साल पहले स्कूल के नाम पर बंजर जमीन पर बने छोटे-छोटे कमरे ही थे। लेकिन आज इस स्कूल में बच्चों के खेलने के लिए मैदान और पढ़ाई के लिए कंप्यूटर लैब है। इस स्कूल की कायापलट के पीछे कुलजीत सिंह गोसल (Kuljit Singh Gosal) का हाथ है। कुलजीत सिंह अब ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं। वो 1996 में ऑस्ट्रेलिया गए थे, लेकिन हमेशा से उनका सपना था कि वो अपना स्कूल बदलें और अब उनका ये सपना हकीकत में बदल गया है।
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कुलजीत सिंह गोसल ने बदल दी स्कूल की सूरत- Government Secondary School, Naranwali
किसी भी प्राइवेट स्कूल को कड़ी टक्कर देने वाला सरकारी प्राइमेरी स्मार्ट स्कूल, नारनवाली (Government Secondary School Naranwali) अब आस-पास के इलाकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बदलाव का श्रेय इस स्कूल में पढ़ने वाले कुलजीत सिंह गोसल को जाता है। कुलजीत सिंह अब ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं। वे 1996 में ऑस्ट्रेलिया चले गए थे, लेकिन उनका हमेशा से सपना था कि वे अपने स्कूल को बदलें और अब उनका यह सपना हकीकत में बदल गया है। इस काम में उन्होंने 1.5 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
स्कूल की स्थिति में बदलाव
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस स्कूल के जीर्णोद्धार की घोषणा 2016 में की गई थी। इसके बाद 2017 में काम शुरू हुआ और 2019 में जीर्णोद्धार का काम पूरा हुआ। इसके बाद 2021 में मिडिल स्कूल का जीर्णोद्धार शुरू हुआ और 2023 में यह काम पूरा हुआ। उनकी उदारता और योगदान से स्कूल की संरचना, बुनियादी ढांचे और शिक्षा के स्तर में व्यापक सुधार हुआ है। इस बदलाव में निम्नलिखित प्रमुख पहल शामिल हो सकती हैं:
– नवीनतम शिक्षण उपकरणों की उपलब्धता
– इंफ्रास्ट्रक्चर का सुधार (जैसे स्कूल बिल्डिंग, कक्षाओं का नवीनीकरण)
– छात्रों के लिए आधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था (जैसे कंप्यूटर लैब, स्मार्ट क्लासरूम्स)
योगदान की प्रेरणा:
कुलजीत सिंह का अपने स्कूल के प्रति यह भाव उनके जड़ों से जुड़े रहने और अपने समुदाय के प्रति कृतज्ञता की भावना को दर्शाता है। भले ही वे विदेश में रहते हैं, लेकिन उनका अपने गांव और स्कूल के प्रति जुड़ाव कभी कम नहीं हुआ। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि गांव के बच्चे भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकें और उन्हें अच्छी सुविधाएं मिलें।
स्कूल में किए गए बदलाव
कुलजीत सिंह ने स्कूल की पुरानी और जीर्ण-शीर्ण इमारतों का जीर्णोद्धार कर उन्हें आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया। इसके तहत स्कूल की कक्षाओं का जीर्णोद्धार किया गया, दीवारों की रंगाई-पुताई की गई और बैठने की बेहतर व्यवस्था की गई। उन्होंने स्कूल में स्मार्ट क्लासरूम की व्यवस्था की, जिसमें प्रोजेक्टर, कंप्यूटर और अन्य डिजिटल उपकरण लगाए गए। इससे बच्चों को डिजिटल माध्यम से पढ़ाई का अनुभव मिल रहा है और वे आधुनिक तकनीक का लाभ उठा रहे हैं। कुलजीत सिंह ने स्कूल में अत्याधुनिक कंप्यूटर लैब भी स्थापित की, ताकि छात्र कंप्यूटर शिक्षा प्राप्त कर सकें और आधुनिक युग की तकनीक में पारंगत हो सकें।
कुलजीत सिंह की इस उदारता और उनके प्रयासों से यह साबित होता है कि विदेश में बसने के बाद भी व्यक्ति अपने समाज के विकास में अहम योगदान दे सकता है। उनका यह कदम न केवल उनके स्कूल बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक प्रेरणा बन गया है।
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