कृष्णमल जगन्नाथन एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने जीवन भर भूमिहीन मजदूरों और वंचित समुदायों के लिए संघर्ष किया है। वे महिलाओं और गरीबों के लिए भूमि अधिकार आंदोलन की अग्रणी रही हैं, खासकर तमिलनाडु में। उनका काम मुख्य रूप से गरीब और भूमिहीन किसानों को जमीन दिलाने और उस जमीन को महिलाओं के नाम पर पंजीकृत कराने पर केंद्रित रहा है।
प्रारंभिक जीवन और प्रेरणा
कृष्णमल का जन्म 1926 में तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले में हुआ था। उनका बचपन साधारण और संघर्षपूर्ण रहा, लेकिन उन्हें महात्मा गांधी और विनोबा भावे जैसे नेताओं से प्रेरणा मिली। विशेष रूप से, गांधीवादी विचारधारा और विनोबा भावे के भूदान आंदोलन ने उन्हें गरीबों के लिए अपना जीवन समर्पित करने के लिए प्रेरित किया।
समाज सेवा की शुरुआत
कृष्णमल और उनके पति एस. जगन्नाथन ने गांधीवादी सिद्धांतों को अपनाते हुए 1950 के दशक में तमिलनाडु के तंजावुर जिले में भूमिहीन मजदूरों के अधिकारों के लिए संघर्ष शुरू किया। उन्होंने “जमीन जोतने वाले को” के सिद्धांत को बढ़ावा दिया। उनका मानना था कि गरीबी दूर करने का सबसे प्रभावी तरीका जमीन है। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत की कि भूमिहीन किसानों को दी गई भूमि उनके परिवारों, विशेषकर महिलाओं के नाम पर पंजीकृत हो।
भूमिहीनों के लिए भूमि आंदोलन
1968 में तंजावुर के किलवेनमनी गांव में दलित खेत मजदूरों की हत्या के बाद उन्होंने “भूमिहीनों के लिए भूमि” आंदोलन शुरू किया। इसके तहत उन्होंने सरकार पर भूमिहीन किसानों के लिए भूमि की व्यवस्था करने और भूमि को महिलाओं के नाम पर पंजीकृत करने का दबाव बनाया। उनके आंदोलन से हजारों गरीब दलित और अन्य वंचित समुदायों के लोगों को लाभ हुआ।
महिला सशक्तिकरण और भूमि पंजीकरण
कृष्णमल ने भूमि अधिकारों के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने का काम किया। उनका मानना था कि अगर भूमि महिलाओं के नाम पर होगी, तो इससे उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार होगा। उनकी पहल ने महिलाओं को अधिक सशक्त और आत्मनिर्भर बनने में मदद की।
एलएएफटीआई का गठन
1981 में, उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर “लैंड फॉर टिलर्स फ्रीडम” (एलएएफटीआई) नामक संगठन की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य भूमिहीनों को भूमि उपलब्ध कराना था। इस संगठन ने अब तक लगभग 13,000 एकड़ ज़मीन गरीब और भूमिहीन किसानों में वितरित की है। साथ ही, इस संगठन ने यह सुनिश्चित किया कि ज़्यादातर ज़मीन महिलाओं के नाम पर दर्ज हो, जिससे महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिला।
सम्मान और पुरस्कार
कृष्णमल जगन्नाथन को उनके अनुकरणीय कार्यों के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें 1989 में राइट लाइवलीहुड अवार्ड (जिसे अक्सर वैकल्पिक नोबेल पुरस्कार के रूप में जाना जाता है) से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा, उन्हें पद्म भूषण जैसे महत्वपूर्ण सम्मान भी मिल चुके हैं।
कृष्णमल जगन्नाथन ने अपना जीवन भूमिहीन मज़दूरों और गरीब महिलाओं के लिए समर्पित कर दिया। उनकी निस्वार्थ सेवा और भूमि अधिकार आंदोलन ने न केवल हज़ारों परिवारों के जीवन को बदल दिया है, बल्कि समाज में महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण को भी एक नई दिशा दी है। उनका काम हमें सिखाता है कि सच्चा बदलाव जमीनी स्तर से शुरू होता है, और इसका सबसे बड़ा हथियार शिक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण है।