आजकल लोग पैसों के मोहजाल में फंसकर अपनों को ही भूल गए हैं। कुछ लोग जीते जी अपने माता-पिता का ख्याल नहीं रखते और मरने के बाद भी उन्हें ऐसे ही अस्पताल में छोड़ देते हैं। या फिर कई लावारिस लोग हैं जिनका इस दुनिया में कोई नहीं होता और मरने के बाद उन्हें कंधा देने वाला भी कोई नहीं होता। ऐसे में यूपी की एक महिला हैं जो न सिर्फ इन बूढ़े माता-पिता का कंधा बनती हैं बल्कि ऐसे लावारिस शवों का अंतिम संस्कार भी खुद ही करवाती हैं। इस महिला का नाम वर्षा वर्मा है। जो कोविड काल से ही आम आदमी की सेवा और मदद कर रही हैं। उनके इस नेक काम के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें सम्मानित भी किया था। आइए आपको बताते हैं वर्षा वर्मा के इस अनोखे सफर के बारे में।
और पढ़ें: Annihilation of Caste: डॉ भीम राव अंबेडकर की इस किताब के महत्व से आप हैं अनजान, यहाँ पढ़ें महत्व
कैसे बनी समाजसेवी
ईटीवी भारत से बातचीत में वर्षा वर्मा ने अपने इस अनोखे सफर के बारे में बताया। उन्होंने कहा, ‘बचपन से ही मेरा सपना था कि मैं ऐसा काम करूं, जिससे मेरा ज्यादा से ज्यादा लोगों से जुड़ाव हो। दूसरों की सेवा करूं। बचपन से ही मुझे दूसरों की मदद करना बहुत अच्छा लगता था। 14-15 साल की उम्र में जब भी कहीं जाती थी, तो कोई गरीब या असहाय व्यक्ति दिखता तो उसकी मदद जरूर करती। जैसे-जैसे मैं बड़ी होती गई, ये चीज बढ़ती गई। ये कोई नौकरी नहीं है, बल्कि ये एक सेवा है, जो मैं असहाय लोगों के लिए करती हूं। इससे मुझे दिल से बहुत खुशी मिलती है। मुझे आत्मसंतुष्टि मिलती है कि मैं किसी की मदद कर पा रही हूं। मैंने इस सेवा को एक काम के तौर पर चुना, जो मुझे हमेशा से बहुत पसंद था।’
वर्षा द्वारा किए गए नेक काम
वर्षा वर्मा एक समाज सेविका के रूप में कई सालों से काम कर रही हैं। उन्होंने गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए ‘एक कोशिश ऐसी भी’ नाम से एक संस्था भी खोली है। वह लोगों की परवाह किए बिना उत्तर प्रदेश की सड़कों पर लावारिस शवों को अपनी एंबुलेंस में लाती हैं और फिर इन शवों का कंधा बनकर पूरे रीति-रिवाज के साथ उनका अंतिम संस्कार करती हैं। और ये सारे काम वर्षा खुद के पैसों से करती हैं। हालांकि शवों का अंतिम संस्कार करने में वर्षा को नाममात्र का खर्च आता है, क्योंकि वो दाह संस्कार के लिए इलेक्ट्रिक शवदाह यंत्र का इस्तेमाल करती हैं। और वो जहां भी दाह संस्कार करती हैं, लोग उनके इस नेक काम को देखकर उनसे कोई पैसा नहीं लेते। आपको बता दें की वर्षा उन जरूरतमंद लोगों को छोटा-मोटा रोजगार भी मुहैया कराती हैं, जिनके परिवार में कोई कमाने वाला नहीं है या कमाने वाले की मौत हो गई है। इसके अलावा वर्षा ने 11 लड़कियों की मुफ्त शिक्षा का जिम्मा भी अपने ऊपर ले रखा है।
ऐसा वादा है लखनऊ में अब कोई भी व्यक्ति लावारिस नहीं कहलाएगा हमारे कंधे सदैव उनके साथ हैं।
किसी जरूरतमंद व्यक्ति को जानते हैं तो नीचे दिए गए नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।
वर्षा वर्मा 831 819 3805 @richaanirudh @shubhankrmishra @rajnathsingh @manishm358 pic.twitter.com/t40MR2w5fv— VERSHA VERMA (@VERSHAV32424481) May 1, 2023
करोनाकाल ने बदली जिंदगी
एक इंटरव्यू में वर्षा ने बताया था कि, ‘कोविड काल में जब कोई अपनों का साथ नहीं दे रहा था, तब हमारी संस्था ने असहाय लोगों की मदद की। और लावारिस लोगों का दाह संस्कार करने का फैसला किया। उस समय मेरे दिमाग में बस यही चल रहा था कि हम उनका दाह संस्कार करेंगे, जिनका कोई नहीं है। हम हमेशा उनके लिए खड़े रहेंगे। हम उन्हें अपना कंधा देंगे। उन्होंने कहा कि वह ऐसा समय था जब स्थितियां बिल्कुल विपरीत थीं। लोग अपनों को छोड़कर जा रहे थे। अपनों को सड़क पर छोड़ देते थे या फिर परिवार का कोई सदस्य मर जाता था तो उसे हाथ भी नहीं लगाते थे। यहां तक कि दाह संस्कार में भी कोई शामिल नहीं होता था। उस समय हमने संकल्प लिया कि हम खुद मैदान में जाएंगे और लावारिस लोगों का दाह संस्कार करेंगे।‘
वर्षा ने आम जनता तक अपनी मदद पहुंचाने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। इस नंबर पर कॉल करके आप एंबुलेंस सेवा भी पा सकते हैं। वैसे वर्षा फिलहाल अभी यूपी के लखनऊ में यह काम कर रही हैं और इस काम के जरिए उन्होंने हजारों लावारिस शवों को कंधा दिया है। वर्षा के मुताबिक, अब तक वह 5 हजार से ज्यादा शवों को कंधा दे चुकी हैं। वाकई में हम वर्षा के इस नेक काम को सलाम करते हैं और उम्मीद करते हैं कि हजारों लोग उनके इस काम से जुड़ें।
और पढ़ें: बाबा साहब से ये 5 बड़ी बातें सीखकर आप भी बन सकते हैं महान इंसान