पिछले साल दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) को लेकर एक विवाद खड़ा हुआ था जिसके तहत DU के जाकिर हुसैन कॉलेज में पढ़ाने वाले कुछ शिक्षकों को बेवजह निष्कासित कर दिया गया था। इतना ही नहीं DU पर फर्जी इंटरव्यू के जरिए दशकों के अनुभव वाले प्रतिभाशाली शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखाने का आरोप लगा था। और ये सब इसलिए किया गया क्योंकि ये शिक्षक फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बीजेपी सरकार की आलोचना कर रहे थे। ये आरोप दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (DUTA) की पूर्व अध्यक्ष नंदिता नारायण ने लगाया था। इस पूरे विवाद के बीच एक और नाम सामने आया वो था जो की था लक्ष्मण यादव का। जी हां, ये वही लक्ष्मण यादव हैं जिन्हें DU से निकाले जाने के बाद अखिलेश यादव की पार्टी में शामिल होने का ऑफर दिया गया था। ये वही लक्ष्मण यादव हैं जो हमेशा दलितों के लिए आवाज उठाते हैं और अंबेडकरवादी सोच रखते हैं। आइए आपको बताते हैं लक्ष्मण यादव के बारे में विस्तार से।
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संघर्ष भरा रहा लक्ष्मण यादव का जीवन
मिली जानकारी के अनुसार लक्ष्मण यादव का जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के एक छोटे से गांव में हुआ था। वो इसी गांव में पले-बढ़े और उनका परिवार गांव में गाय-भैंस चराने का काम करता था। लेकिन लक्ष्मण का जुनून कुछ और ही था, उन्हें पढ़ना था और उनके इसी जनून ने उनके परिवार को गरीबी से छुटकारा पाने की आशा की किरण दी। इसी के चलते घर के सभी लोगों ने लक्ष्मण की पढ़ाई के लिए त्याग किया और पैसे इकट्ठा करके उन्हें इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए भेजा। उस दौरान इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की फीस 300 रुपये हुआ करती थी। उसने खूब पढ़ाई की। इसका नतीजा भी निकला। लक्ष्मण यादव ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में टॉप किया। उन्होंने यहीं से बीए और एमए किया। पढ़ाई के दौरान ही लक्ष्मण को समझ आ गया था कि अगर कुछ बड़ा करना है तो कुछ बड़ा बनना होगा। इसी जुनून के साथ इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से निकलकर वो दिल्ली चले गए और आईएएस बनने का सपना देखा। उन्होंने प्रतियोगी परीक्षा में NANT JRF परीक्षा पास की। हालांकि, आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण लक्ष्मण के परिवार ने कहा कि उन्हें पढ़ाई के लिए लंबे समय तक दिल्ली में रखना मुश्किल होग। इसलिए फेलोशिप के लिए लक्ष्मण ने दिल्ली में पीएचडी में एडमिशन ले लिया।
प्रोफेसर बनने का सफर हुआ शुरू
पीएचडी करने के दौरान लक्ष्मण ने प्रोफेसर बनने के सपने को उड़ान दी और पहली बार दोस्तों के साथ लक्ष्मीबाई कालेज गए। मूकनायक को दिए गए इंटरव्यू में लक्ष्मण यादव बताते हैं कि, ‘इस कॉलेज का माहौल ऐसा था कि दो मिनट के इंटरव्यू में ही मना कर दिया गया। हमें कहा गया हम बच्चे हैं। जिसके बाद हम जाकिर हुसैन कॉलेज में इंटरव्यू देने गए। यह तारिख थी 31 अगस्त 2010। मैं अपने दोस्तों के साथ यह निर्णय लेकर गया था कि इंटरव्यू खराब नहीं होने देंगे। इस इंटरव्यू में दर्जनों लोगों में मुझे चुना गया। मेरी उम्र महज 21 साल थी।”
DU से निकाले गए लक्ष्मण यादव
डीयू के जाकिर हुसैन कॉलेज में लंबे समय तक पढ़ाने के बाद पिछले साल दिसंबर में प्रोफेसर ने लक्ष्मण को नौकरी से निकाल दिया था। इस पर काफी विवाद हुआ था। लक्ष्मण ने अपने एक्स हैंडल पर अपना टर्मिनेशन लेटर भी शेयर किया था। जिसके बाद बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और आम लोगों ने भी उनके टर्मिनेशन का विरोध किया था।
अपने एक इंटरव्यू में प्रोफेसर ने नौकरी से निकाले जाने को लेकर लक्ष्मण कहा था कि “मुझे शो कॉज नोटिस जारी किया गया। क्योंकि में यूनिवर्सिटी के बाहर प्रधानमंत्री के खिलाफ बोलता हूँ। लेकिन कोई भी नियम नहीं कहता कि किसी की आलोचना करना बुरा है। मैं जानता था मेरे साथ यह होगा। लोग मेरी नौकरी छीन सकते हैं। लेकिन मैं लोगों की नजरों में हमेशा प्रोफेसर ही रहूंगा।”
अखिलेश यादव ने दिया था पार्टी में शामिल होने का ऑफर
इस विवाद के बीच अपनी नौकरी गंवाने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मण यादव को उस समय सपा मुखिया अखिलेश यादव ने राजनीति में उतरने का मौका भी दिया था। मीडिया से बातचीत में जब अखिलेश यादव से लक्ष्मण यादव की बर्खास्तगी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने परोक्ष रूप से डॉ. लक्ष्मण यादव को समाजवादी पार्टी में शामिल होकर राजनीति में उतरने को कहा।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि ‘अब उनका रास्ता खुल गया है। वह जो चाहें सो करें और इस तरह का भेदभाव लोगों को हर जगह महसूस करना पड़ता है। कोई कितने भी बड़े पद पर रहे उसके कभी ना कभी अपमानित होना पड़ता है। उन्हें समाज में अपमानित होना पड़ रहा है। इसकी लड़ाई लड़ती रहनी पड़ेगी, यह एक लंबी लड़ाई है।’
लक्ष्मण यादव ने भी इस ऑफर को गंभीरता से लिया और अब वह समाजवादी पार्टी का हिस्सा बन गए हैं और राजनीति में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान वे समाजवादी पार्टी के लिए प्रचार करते भी नजर आए थे।