हाल ही में ईरान ने इजराइल पर ड्रोन हमला किया था। हमले के बाद हालात बिगड़ते नजर आ रहे हैं। इस हमले को लेकर अमेरिका और भारत समेत कई अन्य देशों ने भी चिंता जताई है। लेकिन अगर आप सोच रहे हैं कि इन दोनों देशों के बीच आखिर किस बात की दुश्मनी है? कभी दोस्त रहे दोनों देश अब एक-दूसरे की बर्बादी क्यों देखना चाहते हैं? दरअसल दोनों देशों के बीच दुश्मनी 50 साल पुरानी है। दोनों के बीच चल रहे विवाद की वजह 1979 की ईरानी क्रांति बताई जाती है। आइए आपको बताते हैं दोनों देशों की दुश्मनी की पूरी कहानी।
1948 में इजरायल बना तो ईरान ने दी मान्यता
वर्ष 1948 में विश्व मानचित्र पर एक नये देश का जन्म हुआ। ये देश था इजराइल। अरब देशों के बीच अस्तित्व में आए इस देश को ज्यादातर मुस्लिम बहुल देश मान्यता तक नहीं देते। लेकिन फिर ईरान ने इजराइल को मान्यता दे दी। उस समय ईरान में यहूदी भी अच्छी संख्या में थे। मान्यता मिलने के बाद इजराइल ने ईरान को हथियार सप्लाई करना शुरू कर दिया और बदले में ईरान ने इजराइल को तेल सप्लाई करना शुरू कर दिया। रिश्ते इतने अच्छे हो गए कि दोनों देशों की खुफिया एजेंसियों ने तकनीक से लेकर संयुक्त प्रशिक्षण तक सब कुछ किया।
ऐसे शुरू हुई थी दुश्मनी की कहानी
1979 में ईरान में इस्लामी क्रांति हुई। ईरान के शासक शाह मोहम्मद रज़ा पहलवी को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसके साथ ही, राष्ट्र से निष्कासित होने के वर्षों के बाद, अयातुल्ला रुहोल्लाह खुमैनी वापस लौटते हैं और ईरान का नेतृत्व संभालते हैं। ईरान की इस्लामी क्रांति के बाद, दोनों देशों के बीच संबंध ख़राब होने लगे। खुमैनी ने इज़राइल और संयुक्त राज्य अमेरिका को शैतानी देश के रूप में संदर्भित करना शुरू कर दिया। और मुस्लिम राष्ट्र के निर्माण की वकालत करने लगे। 1979 में देश के इस्लाम में परिवर्तित होने के बाद ईरान ने इज़राइल के साथ अपना रिश्ता तोड़ दिया।
दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्ते भी ठप्प हो गए। तेहरान में इजरायली दूतावास को फिलिस्तीनी दूतावास में बदल दिया गया। और तो और, दोनों देशों ने अब एक दूसरे को मान्यता देना भी बंद कर दिया। ईरान ने शुरुआत में इजराइल को मान्यता दी थी, लेकिन बाद में उसने कहना शुरू कर दिया कि इजराइल ने फिलिस्तीनियों के अधिकारों का उल्लंघन किया है। वहीं, इजराइल ने भी इस्लामिक रिपब्लिक को मानने से इनकार कर दिया।
ईरान ने इजराइल के दुश्मनों से हाथ मिला लिया
दोनों के बीच संबंधों में तब और ज्यादा गिरावट आई जब ईरान ने सीरिया, यमन और लेबनान सहित इजरायल के विरोधियों को हथियार देना शुरू कर दिया। 1980 के दशक के दौरान, ईरान ने सार्वजनिक रूप से इस्लामिक जिहाद का समर्थन किया, को कि एक आतंकवादी समूह है जिसका फ़िलिस्तीन को लेकर ईरान से मतभेद था। इस तरह से दोनों देशों के बीच तनाव और दुश्मनी की कहानी बढ़ती चली गयी।