मनजीत सिंह उर्फ मुसीबत सिंह… 1982 में इंडियन एयरलाइंस के विमान हाईजैक के दौरान मीडिया में इस नाम की खूब चर्चा हुई थी। मनजीत ने ही इस पूरी हाईजैकिंग की वारदात को अंजाम दिया था और इसकी पूरी योजना भी उसने पहले से बना रखी थी। 1982 की बात है, जब हरे रंग की शर्ट, नारंगी रंग की कॉरडरॉय ट्राउजर, केसरिया पगड़ी और चमचमाती हाई हील्स पहने 30 वर्षीय सिख ने 20 अगस्त को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 492 को हाईजैक कर लाहौर ले जाया गया था। लेकिन अपहरण के छह घंटे से भी कम समय बाद अमृतसर के राजा सांसी एयरपोर्ट पर ‘मुसीबत सिंह’ की लाश मिली, उसकी लाश गोलियों से छलनी थी और 15 दिनों में इंडियन एयरलाइंस के विमान का दूसरा अपहरण महज सात घंटे में खत्म हो गया। इस घटना को लेकर एक तरह की अपरिहार्यता का भाव था, जो अंतिम चरण तक 4 अगस्त को गुरबख्श सिंह द्वारा लाहौर ले जाए जा रहे एक अन्य 737 के हाईजैकिंग जैसा ही था। आइए आपको बताते हैं कि मनजीत सिंह कौन है और किसके बहकावे में आकर उसने यह काम किया।
कौन था मनजीत सिंह?
मनजीत सिंह उर्फ मुसीबत सिंह का जन्म 1956 में अमृतसर, पंजाब में हुआ था और उसके दो भाई और थे, उसके बड़े भाई का नाम दर्शन सिंह और छोटे भाई का नाम सुरिंदर सिंह था। मनजीत सिंह ने खालसा कॉलेज के प्रबंधन द्वारा संचालित स्कूल में मैट्रिक तक की पढ़ाई की और इस दौरान खालसा कॉलेज में अमृत भी लिया। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद मंजीत सिंह को एक लेथ ऑपरेटर की नौकरी मिल गई, जहाँ उसने अपने क्षेत्र में महारत हासिल की। और इस तरह वो एक इलेक्ट्रीशियन बन गया।
खालिस्तानी समर्थक बना मनजीत सिंह
1978-1979 के आसपास मनजीत सिंह ने शरणजीत कौर से शादी कर ली। 70 के दशक के आखिर और 80 के दशक की शुरुआत में पंजाब में जरनैल सिंह खालसा भिंडरावाले नाम का एक नया सिख नेता चर्चा में आया जो खालिस्तान का समर्थक था और पंजाब को अलग राज्य बनाने के लिए सिखों को भड़का रहा था। उसके खालिस्तानी भाषणों की वजह से कई लोग उसके समर्थक बन गए, उनमें से एक मनजीत सिंह भी था।
भिंडरावाले से मिलने के बाद मनजीत सिंह घर आया और अपनी खुशी जाहिर की कि आखिरकार उसे वो मिल ही गया जिसकी उसे तलाश थी। भिंडरावाले से प्रभावित होकर मनजीत सिंह ने खलिस्तान को अपने जीवन का एक मात्र लक्ष्य बना लिया। तब से मनजीत सिंह रोजाना श्री दरबार साहिब में जरनैल सिंह के प्रवचन सुनने जाता था। एक दिन मनजीत ने अपने परिवार से कहा कि वे श्री हजूर साहिब के दर्शन करने जा रहा है। 20 अगस्त 1982 को खबर फैली कि मनजीत सिंह ने सिखों के प्रति सरकार के कठोर व्यवहार के विरोध में उदयपुर से दिल्ली जाने वाले विमान को हाईजैक कर लिया है।
हाईजैक की घटना जान परिवार को लगा झटका
अमृतसर में हाईजैक की खबर फैलते ही मनजीत की मां करतार कौर सदमे में आ गई कि उनके बेटे ने इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे दिया। इस अपहरण को लेकर एक इंटरव्यू में बताया गया कि मनजीत सिंह ने पहले विमान को लीबिया ले जाने की योजना बनाई थी, लेकिन पायलट ने बताया कि विमान में इतना ईंधन नहीं है कि वह ऐसा कर सके। तब भाई मनजीत सिंह ने पायलट को विमान को लाहौर ले जाने का निर्देश दिया, लेकिन विमान को उतरने की इजाजत नहीं दी गई, क्योंकि भारत सरकार ने पहले ही पाकिस्तान के समक्ष विरोध दर्ज करा दिया था। विमान कुछ देर तक पाकिस्तान के ऊपर चक्कर लगाता रहा, फिर अंत में वे वापस लौटे और ईंधन भरने के इरादे से अमृतसर के राजा सांसी हवाई अड्डे पर उतरे। राजा सांसी हवाई अड्डे पर उतरते समय भाई मनजीत सिंह कई यात्रियों को विमान में ही छोड़ गए।
आपको बता दें कि 1982 में फ्लाइट 492 बॉम्बे से नई दिल्ली जा रही थी। रास्ते में यह उदयपुर, जोधपुर और जयपुर से गुज़र रही थी। तब मनजीत उदयपुर में विमान में सवार हुआ। दोपहर 12.35 बजे जोधपुर से विमान के उड़ान भरने के तुरंत बाद, सिख कॉकपिट में घुस गया, एक बंदूक और एक देसी बम लहराया और कैप्टन सुरेंद्र मोहन से कहा कि वह लाहौर चले जाएँ जहाँ वह चाहता था कि वह ईंधन भरवाए और विमान को लीबिया ले जाए। पुलिस सूत्रों का मानना है कि मनजीत ने अपनी पगड़ी में बंदूक छिपाई थी और बम को अपने साथ रखे टू-इन-वन में रखा था। यात्रियों को याद है कि उसने अपनी पगड़ी की जगह सिर पर काला कपड़ा लपेटा हुआ था।
खबरों के अनुसार, लाहौर के ऊपर से उड़ान भरते समय विमान ने हवाई अड्डे का 42 बार चक्कर लगाया। ज़मीन पर अधिकारियों ने ट्रकों से रनवे को पूरी तरह से बंद कर दिया था। अंत में, ईंधन कम होने के कारण, विमान बॉम्बे से उड़ान भरने के लगभग तीन घंटे बाद दोपहर 2.40 बजे अमृतसर में उतरा। इस बीच, मनजीत ने यह आश्वासन मिलने के बाद आत्मसमर्पण कर दिया कि उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। लेकिन, जैसे ही मनजीत सिंह विमान से बाहर निकला, डीएसपी बचन सिंह ने उसे करीब से गोली मार दी और उसकी वहीं मृत्यु हो गयी।
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