Jonestown Massacre: आखिर वो क्या वजह थी जिसके चलते साउथ अमेरिका में 900 से ज्यादा लोगों ने किया था मास सुसाइड

Jonestown Massacre and jim jones
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Jonestown Massacre: 18 नवंबर 1978 को साउथ अमेरिका के देश गुयाना में एक ऐसी वीभत्स घटना घटी, जिसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। जोन्सटाउन नामक जगह पर 909 लोगों ने एक साथ आत्महत्या कर ली। इसे इतिहास की सबसे बड़ी सामूहिक आत्महत्या की घटनाओं में से एक माना जाता है। यह दिल दहला देने वाली घटना “पीपुल्स टेंपल” (People’s Temple) नामक एक धार्मिक संप्रदाय से जुड़ी हुई थी, जिसका नेतृत्व करिश्माई लेकिन खतरनाक नेता जिम जोन्स कर रहा था। यह घटना न केवल धार्मिक कट्टरता और मानसिक नियंत्रण का एक भयानक उदाहरण है, बल्कि यह भी दिखाती है कि एक नेता की मनोवैज्ञानिक पकड़ कैसे लोगों को अपना जीवन समाप्त करने के लिए मजबूर कर सकती है।

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क्या था जिम जोन्स और पीपल्स टेम्पल? (Jonestown Massacre)

जिम जोन्स (Who was Jim Jones) ने 1950 के दशक में “पीपुल्स टेम्पल” की स्थापना की। समूह ने सामाजिक समानता और भाईचारे का प्रचार किया, जिसने कई लोगों को इसमें शामिल होने के लिए आकर्षित किया। हालांकि, जिम जोन्स ने धीरे-धीरे अपने अनुयायियों पर मानसिक और भावनात्मक नियंत्रण करना शुरू कर दिया। 1974 में, जोन्स ने गुयाना में जोन्सटाउन नामक एक कम्यून बनाया, जहां उन्होंने अपने अनुयायियों को स्थानांतरित किया और उन्हें बाहरी दुनिया से अलग कर दिया।

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करिश्माई चर्चमैन पर लगे थे कई सारे आरोप

वे 1971 में कैलिफोर्निया छोड़ने के बाद सैन फ्रांसिस्को भी चले गए। मीडिया ने जोन्स पर वित्तीय धोखाधड़ी, उनके समर्थकों के साथ शारीरिक हिंसा और 1970 के दशक में बाल शोषण का आरोप लगाया। बढ़ती आलोचना के बावजूद जोन्स ने अपने अनुयायियों से गुयाना जाने के लिए कहा। वहां उन्होंने एक नई, कृषि-उन्मुख दुनिया बनाने पर चर्चा की। उन्होंने अपने अनुयायियों को आश्वासन दिया कि वे दुनिया की गतिविधियों से दूर, वहां शांति पाएंगे।

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जिम जोन्स का जोन्सटाउन (Jonestown Case) का वर्णन पूरी तरह से गलत था। जोन्स के बयानों पर सवाल उठाने वालों को कड़ी सज़ा दी गई और उन्हें पूरे दिन खेतों में काम करने के लिए मजबूर किया गया। उनके पासपोर्ट भी जब्त कर लिए गए। दो दंपति किसी तरह यहां से भागने में कामयाब हो गए और उन्होंने अमेरिकी सरकार को जोन्सटाउन में हो रहे अत्याचारों की जानकारी दी। ऐसे में अमेरिकी सरकार ने 17 नवंबर 1978 को एमपी लियो रयान के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल को निरीक्षण के लिए जोन्सटाउन भेजा।

घटना का दिन: 18 नवंबर 1978

घटना उस समय हुई जब अमेरिका के कांग्रेसमैन लियो रयान (Congressman Leo Ryan) अपने सहयोगियों के साथ जॉनस्टाउन (Jonestown Mass Suicide Case) का दौरा करने पहुंचे। जिम जोन्स ने अपने अनुयायियों को आदेश दिया कि वे रयान और उनकी टीम को मार डालें। इस हत्या के तुरंत बाद, जोन्स ने अपने अनुयायियों को साइनाइड मिला हुआ ड्रिंक पीने का आदेश दिया। इसका अंजाम ये हुआ की 909 लोगों ने ज़हर पीकर अपनी जान दे दी, जिनमें 300 से अधिक बच्चे शामिल थे। जोन्स ने भी खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली (Jim Jones Death)।

दरअसल जिम को यकीन था कि सांसद की मौत के बाद अमेरिका चुप नहीं बैठेगा। जिम जोन्स ने सभी को एक मैदान में इकट्ठा किया और उन्हें चेतावनी दी कि ऐसी स्थिति में अमेरिका उन पर हमला कर सकता है। कसाई की तरह, वह आपके बच्चों को मार डालेगा। फिर उसने सभी को साइनाइड युक्त ज़हर खाने के लिए प्रोत्साहित किया।

खुद ने की थी इस घटना की भविष्यवाणी

धार्मिक पंथ के नेता और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता रेव. जिम जोन्स ने 1975 में होने वाली घटनाओं का संकेत दिया था। उन्होंने सैन फ्रांसिस्को में अपने पीपल्स टेम्पल चर्च में एक धर्मोपदेश के दौरान घोषणा की, “मैं समाजवाद लाने के लिए मरने को तैयार हूं क्योंकि मुझे समाजवाद पसंद है। अगर मैं ऐसा करता हूं तो मैं अपने साथ एक हजार लोगों को ले जाऊंगा।”

दो साल बाद, 18 नवंबर, 1978 को, ये शब्द तब सच हुए जब जोन्सटाउन नरसंहार, अमेरिकी इतिहास में सबसे घातक सामूहिक हत्याओं में से एक था, जिसमें 900 से अधिक लोगों की जान चली गई, उनमें से एक तिहाई बच्चे थे।

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