कोहिनूर हीरा, जो कभी भारत में हुआ करता था। जो बारत का मान बढ़ता था, लेकिन आज वो हीरा भारत का होकर भी भारत में नहीं है। लेकिन क्यों? और क्या कभी भारत का कोहिनूर भारत को मिल पाएगा? ये ऐसे सवाल है जो अमूमन लोगों के जेहन में कोहिनूर को लेकर आ ही जाते हैं। चलिए आज इस बारे में ही जानेंगे सबकुछ ताकि काहिनूर से जुड़े सवालों को सुलझा सकें।
क्या है कोहिनूर हीरा?
कोहिनूर जिसका मतलब है रोशनी का एक पहाड़। करीब 150 साल से ज्यादा वक्त से 105 कैरट का कोहिनूर ब्रिटिश क्राउन का हिस्सा रहा और ऐसा माना जाता है कि इसे गोलकुंडा के एक खान से निकला गया जो कि आंध्र प्रदेश में है। शुरुआत में तो कोहिनूर हीरा पूरे 720 कैरेट का था। पता है आपको कि इस हीरे की कीमत कितनी आंकी जाती है। ये कीमत 200 मिलियन डॉलर यानि कि करीब करीब 15 अरब रुपये।
अब जानते हैं कि आखिर ये मामला कोर्ट में पहुंच कैसे गया और सरकार का रुख क्या रहा इसे लेकर…
ऑल इंडिया ह्यूमन राइट्स एंड सोशल जस्टिस फ्रंट की तरफ से कोहिनूर को देश लौटाने के लिए याचिका दायर की, जिस पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से केंद्र सरकार से जवाब की मांग की गई। जिस पर केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसीटर जनरल ने कहा था कि ईस्टन इंडिया कंपनी को ये उपहार के रूप में दिया गया।
तो क्या अब वापस नहीं मिलेगा हीरा?
दरअसल, ब्रिटेन से अनमोल कोहिनूर हीरा भारत को कभी भी वापस नहीं मिल पाएगा। भारत सरकार ने इसके पीछे की क्या वजह बताई थी। ये वजह कुछ ऐसी है कि 43 साल पुराना एक ऐसा नियम बनाया जो ऐसे किसी भी पुरानी पर बेशकीमती चीज को देश में लाने से रोकता है, जिसे देश की आजादी से पहले देश से बाहर ले जाया गया। हालांकि इस घटनाक्रम के बारे में जब कुछ साल पहले ही देश के लोगों को पता चला तो कोहिनूर को वापस पाने की उनकी रही सही उम्मीद पर भी पानी फिर गया।
साल 2016 में आई खबर के मुताबिक कोहिनूर को भारत ले आने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा था कि कोहिनूर हीरे पर भारत को नहीं दावा करना चाहिए क्योंकि ये न तो ब्रिटेन ने चुराया था और न ही जबरदस्ती वो हीरे को लेकर गया।
ब्रिटेन इस बारे में क्या कहता है?
दरअसल, 2013 में ब्रिटिश सरकार ने कोहिनूर लौटानेकी मांगों को सिरे से खारिज किया और दावा किया कि ये हीरा कानूनी तौर पर उनको दिया गया जिसकी वजह से अब इस पर कोई और दावा करें तो ये गलत है।
किस किस देश ने इस बेशकीमती हीरे पर दावा किया किया है?
कोहिनूर पर भारत तो दावा करता ही है, लेकिन दावा करने वालों की लिस्ट में पाकिस्तान, बांग्लादेश और दक्षिण अफ्रीका भी पीछे नहीं है। लाहौर कोर्ट में भी एक याचिका दाखिल की गई और हीरे को पाकिस्तान लौटाने की मांग की गई। याचिका में कहा गया कि कोहिनूर हीरा अफगानिस्तान के बादशाह ने तोहफे में लाहौर के बादशाह रंजीत सिंह को दिया था और लाहौर से ही हीरे की चोरी की गई। ऐसे में भारत से कहीं ज्यादा पाकिस्तान का कोहिनूर पर हक है।
आइए कोहिनूर से जुड़ी स्टोरी पर गौर कर लेते हैं-
ऐसा मानते हैं कि ये हीरा अभिशप्त है। कहते हैं कि ये हीरा जिस भी राजवंश के पास गया उसका नाश हो गया। 14 वीं शताब्दी की शुरुआत ही थी, जब काकटीय वंश के पास ये बेशकीमती हीरा आया। कहते हैं कि जब हीरा इस वंश के पास जब आया तब से ही उसके बुरे दिन शुरू हो गए और तुगलक शाह प्रथम से हुए वॉर में इस वंश की हार हुई और बस इसके साथ ही 1323 में काकटीय वंश खत्म हो गया।
तुगलक वंश भी ज्यादा नहीं टिक पाया। ये हीरा तुगलक से जा पहुंचा मुगलों के पास और 16वीं सदी में। अपने सिंहासन में शाहजहां ने इस हीरे को जड़वाया फिर क्या हुआ। हुआ ये कि फारसी शासक नादिर शाह 1739 में भारत आ गया और मुगल सल्तनत पर अपना कब्जा जमा लिया।
वैसे कोहिनूर ने यात्राएं बहुत की। नादिर शाह कोहिनूर हीरे को फारस ले गया। 1747 ई. में नादिरशाह का मर्डर कर दिया किसी ने और फिर कोहिनूर हीरा जा पहुंचा अफगानिस्तान। वहां के शहंशाह अहमद शाह दुर्रानी के पास हीरा चला गया। अफगानिस्तान से ये 1813 में लाहौर के राजा रंजीत सिंह के पास जा पहुंचा और रंजीत सिंह की मौत होने ही वाली थी कि तब उन्होंने कोहिनूर को लेकर अपने वसीयत में लिख दिया कि उड़ीसा के एक हिंदू मंदिर को दे दिया जाए, लेकिन फिर जब वो नहीं रहे तो ब्रितानी शासकों ने वसीयत पर किसी तरह का अमल नहीं किया।