देश में स्वतंत्रता दिवस की तैयारियां धूम-धाम से चल रही है। आगामी 15 अगस्त को देश की आजादी के 75 साल पूरे हो जाएंगे। सरकार के साथ-साथ विपक्षी पार्टियां भी इस दिन को यादगार बनाने की तैयारियों में जुटी है। यह सर्वविदित है कि देश की आजादी में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का योगदान काफी अहम था।
लेकिन यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि देश की आजादी के कार्यक्रम में महात्मा गांधी शामिल नहीं थे। इस आर्टिकल में आज हम जानेंगे कि आखिर क्यों मोहनदास करम चंद गांधी ने आजादी के उत्सव में हिस्सा नहीं लिया था और उपवास पर बैठे थे। आजादी के जश्न में शामिल नहीं हुए थे महात्मा गांधी, जानें क्यों?
गांधी नहीं चाहते थे देश का बंटवार
दरअसल, जब पंडित जवाहरलाल नेहरु ने देश के आजाद होने का ऐलान किया तो उस समय महात्मा गांधी बंगाल में अनशन पर बैठे हुए थे। क्योंकि एक ओर तो दिल्ली में आजादी का जश्न मनाया जा रहा था तो वहीं, दूसरी ओर बंगाल दंगों में जल रहा था।
देश का बंटवारा महात्मा गांधी भी नहीं चाहते थे लेकिन बंटवारे के बाद जब देश की आजादी का ऐलान किया गया तो बंगाल में हिंदू-मुस्लिम के बीच दंगे भड़क उठे। जिसे शांत कराने के लिए महात्मा गांधी वहां पहुंच गए और उन्हें शांत कराने की कोशिश की। लेकिन जब हालात सामान्य नहीं हुए तो वह उपवास पर बैठ गए।
गांधी जी को नहीं दी गई थी बंटवारे की जानकारी
बताया जाता है कि देश के बंटवारे और आजादी की शर्तों को लेकर महात्मा गांधी को पूरी जानकारी नहीं दी गई थी। जिससे वह काफी नाराज बताए जा रहे थे। मशहूर समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया ने अपनी किताब भारत विभाजन के गुनहगार में लिखा कि महात्मा गांधी को बंटवारे के संबंध में जवाहर लाल नेहरू और वल्लभ भाई पटेल ने पर्याप्त जानकारी दी ही नहीं।
नेहरु और पटेल ने भेजा था संदेशवाहक
दूसरी ओर आजादी के कार्यक्रम में महात्मा गांधी को शामिल कराने की भी पूरी कोशिश की गई। पंडित नेहरु और सरदार पटेल ने एक संदेशवाहक कोलकाता भेजा ताकि महात्मा गांधी को बुलाया जा सके। लेकिन गांधी नहीं माने और वापस लौटने से स्पष्ट मना कर दिया। उनका कहना था कि जब बंगाल जल रहा है तो कैसे मैं दिल में रोशनी लिए दिल्ली आ सकता हूं।