महिलाओं का हमारे समाज में बहुत बड़ा योगदान होता है। एक नई
जिंदगी को इस दुनिया में जन्म देने वाली एक महिला ही होती है। चाहे वो मां के रूप
में हो, बहन के, पत्नी या फिर बेटी के रूप में हो…हर व्यक्ति की जिंदगी में
महिला का अहम रोल होता है। लेकिन फिर भी सदियों से महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले
कमतर समझा जाता है। महिलाओं के साथ भेदभाव, अत्याचार सदियों से चले आ रहे है।
लेकिन आज स्थिति काफी बदल गई है। आजकल महिलाएं, पुरुषों के साथ सिर्फ कंधे से कंधा
मिलकर ही नहीं चल रही, बल्कि उनसे आगे भी निकल रही हैं। किसी भी क्षेत्र में आजकल
महिलाएं पीछे नहीं है। दुनियाभर में ऐसी कई महिलाएं जो झंडे गाड़ रही हैं।
वैसे तो महिलाएं के सम्मान के लिए एक दिन काफी नहीं होता। लेकिन
फिर भी महिलाओं को स्पेशल फील कराने के लिए 8 मार्च को दुनियाभर में विमेंस डे के
तौर पर मनाया जाता है। कल यानी सोमवार को इंटनेशनल विमेंस डे है। क्या आप जानते
हैं कि आखिर 8 मार्च को ही क्यों महिला दिवस मनाया जाता है? इसकी
पीछे की वजह और इतिहास क्या है? कब इसे मनाने की शुरुआत हुई?
अगर इन सवालों के जवाब आपको नहीं मालूम, तो आइए आज हम आपको इसके
बारे में बता देते हैं…
Women’s Day मनाने का इतिहास
विमेंस डे मनाने का इतिहास आज से 100 साल से भी ज्यादा
पुराना है। बात 1908 की है, जब न्यूयॉर्क में अपने अधिकारों के लिए 15 हजार महिलाएं
सड़क पर उतर आई। उन्होनें वोट देने का हक, ज्यादा वेतन और नौकरी के घंटे कम करने
को लेकर मार्च निकाला, जिसमें उन्हें सफलता भी मिलीं। इस मार्च के एक साल बाद वहां
पर सोशलिस्ट पार्टी ने अपना पहला राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का फैसला लिया। बस
इसी के बाद इंटरनेशनल विमेंस डे मनाने की शुरुआत हुई।
फिर 1910 के डेनमार्क की राजधानी कोपनहेगन में एक वुमेन कॉन्फ्रेंस के
दौरान में क्लेरा जेटकिन नाम की एक महिला ने इंटनेशनल स्तर पर महिला दिवस को मनाने
का आइडिया दिया। इस कॉन्फ्रेंस में 17 देशों से 100 महिलाएं शामिल हुई थीं। महिलाओं
ने सर्वसम्मति से क्लेरा के इस प्रस्ताव को मंजूर किया। इसके बाद पहला इंटरनेशनल विमेंस डे
साल 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटजरलैंड में मनाया
गया था। हालांकि इसको औपचारिक रूप से मान्यता साल 1975 में मिलीं थी, जब संयुक्त
राष्ट्र संघ ने इस दिन को मनाने शुरू किया।
8 मार्च का ही दिन क्यों चुना गया?
अब सवाल ये भी उठता है कि आखिर इस दिन को मनाने के लिए 8
मार्च का ही दिन क्यों चुना गया? दरअसल, क्लेरा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिला
दिवस मनाने का सुझाव तो दे दिया था, लेकिन इसके लिए कोई भी तारीख तय नहीं की थीं।
लेकिन इसके बाद साल 1917 में युद्ध के दौरान रूस की महिलाओं ने ब्रेड एंड पीस यानि
खाना और शांति को लेकर हड़ताल की। उनकी इस हड़ताल का असर ये हुआ कि वहां के सम्राट निकोलस को पद छोड़ना पड़ा। अंत में सरकार को महिलाओं
को वोट देने का हक दे दिया। जिस दिन ये हड़ताल शुरू हुई, तब 23
फरवरी थी। लेकिन ग्रेगेरियन कैलेंडर के मुताबिक उस दिन 8 मार्च था। जिसकी
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने की तारीख 8 मार्च तय हुई।
क्या है इस बार की थीम?
हर साल मनाए जाने वाले
इंटरनेशन विमेंस डे के लिए एक थीम भी तय की जाती है। बात अगर इस बार की थीम की
करें तो वो है- “महिला नेतृत्व: कोविड-19 की दुनिया में एक समान
भविष्य को प्राप्त करना” (“Women in leadership: an equal
future in a COVID-19 world”) है। क्योंकि दुनियाभर पर
महामारी कोरोना वायरस का साया पिछले एक साल से मंडराया हुआ है और इसके खिलाफ जंग
में महिलाएं भी पीछे नहीं है। इसलिए इस बार की थीम कोरोना महामारी से जुड़ी ही रखी
गई। वहीं पिछले साल इंटेरनेशनल विमेंस डे की थीम #EachForEqual थीं।