देखा जाए तो भारत में हर साल कई लोगों को फांसी की सजा सुनाई जाती है लेकिन आंकड़े तो कुछ और ही गवाही देते हैं. क्योंकि सजा सुनाई तो जाती है लेकिन अमल उस पर बहुत ही कम हो पाता है. बता दें साल 1991 से लेकर अभी तक सिर्फ 16 लोग ऐसे हैं जिनको फांसी पर लटकाया गया है. लेकिन भारत के अलावा ऐसे कई देश हैं जिनको अलग अलग तरीके से मौत की सजा सुनाई जाती है. आइये जाने भारत में मौत के लिए क्यों निर्धारित की गई है फांसी की सजा और दुनिया के बाकी देश कौन सा तरीका अपनाते हैं?
भारत में क्यों होती है फांसी ?
दरअसल ये पृथा ब्रिटिश काल से चली आ रही है. इसकी शुरुआत ब्रिटेन के विलियम मारवुड ने 1872 से की थी. इसमें जब तक दोषी की गर्दन न टूट जाए तब तक उसे फंदे से लटका कर रखा जाता है. भारत में स्वतंत्रता के बाद सबसे पहले फांसी की सजा महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को दी गई थी. आंकड़ों की मानें तो कि साल 2018 में दुनिया के 20 देशों में कम से कम 690 लोगों को मौत की सजा दी गई. इसमें चीन सबसे पहले नंबर पर आता है.
दुनियाभर में फांसी देने के तरीके
फांसी – फांसी की सजा दोषी को मौत देने का सबसे आम तरीका है. साल 2014 तक का रिकॉर्ड देखें तो ईरान में 369 लोगों को फांसी की सजा दी जा चुकी थी. 26 अप्रैल 2014 को एक ईरानी कैदी को बलात्कार का दोषी पाए जाने के बाद सार्वजनिक रूप से फांसी पर लटका दिया गया था. एक अन्य ईरानी ने 2007 में सड़क पर लड़ाई में एक युवक की चाकू से गोदकर हत्या करने का दोषी मानते हुए 15 अप्रैल को फांसी दे दी थी. 2013 में फांसी देने वाले अन्य देशों में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, बोत्सवाना, भारत, इराक, जापान, कुवैत, मलेशिया, नाइजीरिया, गाजा में फिलिस्तीनी प्राधिकरण, दक्षिण सूडान और सूडान शामिल हैं.
फायरिंग स्क्वाड – इंडोनेशिया में फायरिंग स्क्वाड मौत की सजा के लिए सबसे ज्यादा अपनाया जाता है. इसमें बारह सशस्त्र जल्लाद कैदी को सीने में गोली मारते हैं. अगर कैदी अभी भी मृत नहीं है, तो कमांडर अंतिम गोली जारी सिर में शूट करता है. एक बहुप्रचारित मामले में, जनवरी 2013 में इंडोनेशिया ने 56 वर्षीय ब्रिटिश महिला लिंडसे सैंडिफ़ोर्ड को बाली के नगुराह राय अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में कोकीन की तस्करी के आरोप में फायरिंग स्क्वाड द्वारा मौत की सजा सुनाई थी. 2013 में फायरिंग स्क्वाड द्वारा अंजाम देने वाले अन्य देशों में चीन, उत्तर कोरिया, सऊदी अरब, सोमालिया, ताइवान और यमन शामिल हैं. इसको यूनाइटेड अरब एमिरेट्स भी ज्यादातर अपनाता है.
सिर काटना– सऊदी अरब दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहां पर मृत्युदंड में सिर काटा जाता है. साल 2013 में, सऊदी अरब ने पांच यमनी पुरुषों और एक सऊदी को मार दिया था. यमनी पुरुषों को एक सशस्त्र गिरोह बनाने, सशस्त्र डकैती और हत्या का दोषी ठहराया गया था. सऊदी को हत्या का भी दोषी ठहराया गया था. इस सजा में सार्वजनिक जगह पर दोषियों का सिर तलवार से काट दिया जाता है.
जानलेवा इंजेक्शन – वैसे तो मृत्यु का अंतिम परिणाम मृत्युदंड के सभी तरीकों में समान है, लेकिन इसके बावजूद जहरीले इंजेक्शन को अक्सर सबसे कम क्रूर के रूप में देखा जाता है. इन सब में कैदी में ड्रग्स की घातक खुराक को इंजेक्ट करना यूएस में मृत्यु दंड का प्राथमिक तरीका बन गया है. हालांकि, घातक दवाओं के साथ आपूर्ति करने वाले राज्यों से जुड़े विवाद के परिणामस्वरूप, दवा कंपनियों ने घातक उपयोग के लिए अपनी दवाओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है.
बिजली से मौत – संयुक्त राज्य अमेरिका 2013 में इलेक्ट्रोक्यूशन का उपयोग करते हुए मृत्युदंड की सजा देने वाला एकमात्र देश है. 42 साल के दो कैदियों की हत्या के दोषी 42 साल के रॉबर्ट ग्लिसन जूनियर को 16 जनवरी, 2013 को वर्जीनिया में इलेक्ट्रिक चेयर का इस्तेमाल करके मार डाला गया था.