किसान आंदोलन में पंजाब से जो निहंग आए उनकी काफी ज्यादा चर्चा है। शस्त्र से सुसज्जित इन निहंगों को आज भी देश की खतरनाक सैन्य शक्तियों के तौर पर पहचाना जाता है। ऐसे में निहंग सरदारों के बारे में एक बात तो जाननी होगा कि अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद में इन निहंग सिखों का भी अहम रोल रहा था। क्या आप इससे जुड़ी इंटरेस्टिंग फैक्ट को जानते हैं? अगर नहीं, तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे…
निहंग सिख पर हुई थी पहली FIR
क्या आपको पता है कि अयोध्या विवाद में राम मंदिर के लिए सबसे पहली FIR किसके अगेंट्स हुई थी? ये किसी हिंदुओं के अगेंट्स नहीं बल्कि सिखों के अगेंट्स कराई गई थी। विवादित ढांचे के भीतर अगर किसी ने पहली दफा प्रवेश किया तो वो व्यक्ति एक निहंग सरदार था। तो यहां एक सवाल उठता है कि आखिर राम मंदिर आंदोलन से कौन सा खास रिश्ता है इन निहंगों का?
दीवारों पर लिखा था राम राम
161 साल पहले सबसे पहले विवादित ढांचे के अंदर घुसने वाला एक निहंग सिख था। थानेदार शीतल सिंह की ओर से कोर्ट के फैसले में 28 नवंबर 1958 को दर्ज एक शिकायत को जरिया बनाकर कहा गया कि ‘विवादित ढांचे के अंदर घुसकर इसी दिन एक निहंग सिख फकीर सिंह खालसा ने पूजा का आयोजन किया। भीतर श्री भगवान का प्रतीक चिह्न भी था। उनके साथ 25 और सिख थे, जिन्होंने धार्मिक झंडे मस्जिद में उठाए और वहां की दीवारों पर ‘राम-राम’ लिखा था। स्थानीय निवासी मोहम्मद सलीम ने 30 नवंबर 1858 को एक FIR लिखाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने ऐतिहासिक फैसले में इस घटना का ज़िक्र किया है।
आखिर कौन हैं निहंग सिख?
ये निहंग सिख दरअसल, स्वभाव से आक्रामक और हथियार रखने वाले होते हैं। निहंग का फारसी भाषा में मतलब है मगरमच्छ। इन सिखों को योद्धा के तौर पर पहचाना जाता है। कहते ही कि इनकी शिक्षा में कोई भी फर्ज इन्हें लड़ाई से रोक नहीं सका है। निहंग सिखों के सभी दस गुरुओं के आदेशों को पूरा करते हैं और दस गुरुओं के दौर में ये सिख गुरु साहिबानों के प्रबल प्रहरी थे। तब से ही धर्म की रक्षा का भाव इनके भीतर बसता है। ये सिख धर्म पर आंच तक नहीं आने दे सकते हैं।
सिख धर्म और गुरु ग्रंथ साहिब की रक्षा तो ये निहंग आखिरी सांस तक करते हैं। निहंग सिखों के धर्म-चिह्न की बात करें तो वो आम सिखों के मुकाबले बेहद मज़बूत और बड़े होते हैं। सिख दर्म के हर संसारक और परंपरा को ये निहंग जान पर खेलकर और प्रेम से निर्वहन करते हैं।