जेल में आप किसी भी बंदी से मिल सकते हैं चाहे वो आपका दोस्त हो, रिश्तेदार हो या फिर रिश्ते में कुछ लगता हो, लेकिन यहां पर आपको दो बातों को ध्यान में रखना होगा। पहला तो ये कि बंदी और बंदी के पिता का पूरा नाम आपको पता हो और दूसरा ये कि किस जेल में बंदी कैद किया गया है। यहां पर ये भी जान लेना चाहिए आपको कि आप अगर बंदी से मुलाकात के लिए जा रहे हैं तो उसके लिए कुछ सामान भी लेकर जा सकते हैं। कई चीजें जेल में लेकर जाना अलाउड होता है, जैसे कि हर तरह की सब्जी, फल, नमकीन या फिर खाने पीने की पैक्ड चीजें।
यहां पर गौर करने वाली बात ये हैं कि खाने की खुली चीजे जैसे की खुली मिठाई वगैरह जेल में ले जाने की अनुमति नहीं होती। इसी तरह से लोहे की कोई सामग्री आप जेल के अंदर नहीं लेकर जा सकते। बर्तन भी लेकर जा रहे हैं लेकिन वो प्लास्टिक के होने चाहिए, ना की लोहे के। किसी भी तरह की नशे की वस्तु जेल में ले जाने की बिल्कुल भी अनुमति नहीं होती। हां, इतनी अनुमति दी जाती है कि जिस बंदी से मुलाकात के लिए आप जा रहे हैं उसके लिए स्मोक की चीजे जैसे कि सिगरेट या बीड़ी या फिर तंबाकू जैसी लेकर जा सकते हैं। एक बारे में तीन सिगरेट के पैकेट ही बंदी के लिए लेकर जाए जा सकते है या फिर तीन बीड़ी का बंडल।
जेल में मुलाकात का पूरा प्रॉसेस
पहले मुलाकात के लिए अपॉइंमेंट लेनी जो कि ऑनलाइन भी हो सकती है या ऑफ लाइन भी। प्रिजनर की वेबसाइट से ऑनलाइन अपॉइंमेंट ली जा सकती है जहां पर बंदी और उसके पिता का पूरा नाम और खुद का नाम और बाकी की डिटेल्स भर देने होता है। जिसमें मुलाकात की टाइमिंग भरना भी इंपोर्टेंट होता है। जहां तक ऑफलाइन अपॉइंनमेंट की बात करें तो जेल जाकर मुलाकात कक्ष में ही ये अपॉइंमेंट ले ली जाती है। फिर बंदी से बाहरी शख्स की मुलाकात करवाई जाती है। इसके लिए 10 या फिर 15 रुपये की पर्ची कटती है और फिर किसी भी तरह का खर्च नहीं आता है। ऑफलाइन अपॉइंनेंट में परेशानी ये होती है कि मुलाकात से 2 घंटा पहले वहीं पहुंचना पड़ता हैं और लंबी लाइन में लगकर मुलाकात की पर्ची कटवानी होती है। ऐसे में ऑनलाइन अपॉइंमेंट लेना ज्यादा सही होता है इसमें बस मुलाकात की टाइमिंग से 15 मिनट पहले ही पहुंचना होता है।
अपॉइंमेंट के बाद जो सामान लेकर जाया गया है बंदी के लिए उसे एक थैले में डाला जाता है और उसमें एक पर्चे पर बंदी और उसके पिता का पूरा नाम लिख कर डाला जाता है। फिर उसको जमा करवा दिया जाता है। इस दौरान दो स्लिप दी जाती है, एक को सामान में डाला जाता है और दूसरी मुलाकात करने आए शख्स को दे दी जाती है। फिर सामान को मुलाकात के बाद बंदी के पास पहुंचा दिया जाता है।
यहां पर मुलाकात के लिए कटाई पर्ची को जेल के अंदर भेज दिया जाता है। ऐसे में बंदी को ये पहले ही जानकारी मिल जाती है कि उससे कौन मिलने आया है। फिर एक बड़े से जाली लगे हॉल में एक तरफ बंदी और दूसरी तरफ मुलाकात के लिए शख्स को बैठाया जाता है। यहीं मुलाकात होती है दोनों की। जालियों में छोटे छेद बनाए गए होते, जिनसे बंदी को पैसे भी शख्स दे सकता है। हालांकि किसी भी तरह का सामान नहीं पास किया जा सकता है इन जालियों से। ऐसा करने की अनुमति नहीं होती। किसी भी तरह की बातचीत इस दौरान की जा सकती है क्योंकि ये बातचीत रिकॉर्ड नहीं होती।
अब करते हैं मुलाकात की शिफ्ट के बारे में… ये शिफ्ट चार तरह की हैं जो की सुबह 10 बजे से लेकर शाम के 3 बजे तक होती है। तो वहीं रविवार को ये शिफ्ट 5 कर दी जाती है। इस दिन सुबह 10 बजे से लेकर शाम के 4 बजे तक मुलाकात की जा सकती है। एक शिफ्ट में मिलने का वक्त बस 20 मिनट से 1 घंटे का होता है यानि की बंदी से इतनी ही देर तक मुलाकात की जा सकती है।
मुलाकात के बाद क्या होता है?
मुलाकात करने आया शख्स जब लौट जाता है तो बंदी को चार तरह के चेकिंग पॉइंट से गुजरना होता है। जहां पर बंदी और उसके साथ के सामान की बड़ी ही कड़ई के साथ चेकिंग की जाती है। ऐसे में कोई आपत्तिजनक वस्तु मिलने पर उसे पहले तो जब्त किया जाता है फिर बंदी को इसके लिए सजा दी जाती है। सजा के तौर पर उसकी मुलाकात भी बंद की जा सकती है।
विचाराधीन बंदी यानि की अंडर ट्रायल बंदी माने की जिन्हें सजा नहीं हुई है इनसे व्यक्ति तीन बार मुलाकात कर सकता है। सजायाफ्ता बंदी से हफ्ते में 2 बार मुलाकात की जा सकती है। ऐसे बंदी जो की गंभीर केस जैसे की देशद्रोह जैसे गंभीर केस में हैं उनसे हफ्ते में एक बारे मुलाकात की जा सकती है। ऐसे गंभीर केस के बंदी से मुलाकात करने आए शख्स की कड़ई से तलाशी ली जाती है और उसकी आईडी भी ली जाती है।
एक और बात मुलाकात से जुड़ी ये है कि किसी विशेष मौके यानि की त्योहारों में जैसे की होली, दिवाली या फिर ईद जैसे मौके पर बंदियों की खुली मुलाकात कराने का भी नियम है। बंदी से खुली मुलाकात करने के लिए सिर्फ महिलाओं को ही अलाउड किया जाता है। महिला दोस्त, गर्लफ्रेंड या फिर रिश्तेदार हो सकती है। ये खुली मुलाकात हॉल के बजाए जेल ते पार्कों में कराई जाती है। खाने की चीजें भी इस दौरान लेकर जाई जा सकती है। बंदी के साथ ही बैठकर खाया जा सकता है। ये खुली मुलाकात 10 बजे सुबह से शाम की 4 बजे तक होती है। यानि की मुलाकात कई घंटों की हो सकती है।