कोरोना वायरस ने दुनिया में हाहाकार मचा रखा है. विश्व भर में इस जानलेवा वायरस ने लोगों की जिंदगी की रफ़्तार थाम दी है. इस की रोकथाम के लिए मेडिकल एक्सपर्ट्स कोरोना के खिलाफ वैक्सीन विकसित करने में जुटे हैं. करीब 16,000 जानें ले चुके कोविड19 नाम के इस वायरस के बारे में मौजूदा समय हर कोई जानना चाहता है. रोजाना घरों में कैद लोग इससे जुड़े तमाम सवाल गूगल पर सर्च करते हैं. किसी को कोरोना के लक्षण के बारें में जानना है तो कोई इसके इलाज के बारे में पता लग रहा है.
क्यों दिया गया कोविड19 नाम ?
चीन के वुहान में दिसंबर 2019 में कोरोना का पहला मामला सामने आया था. शुरुआत में इसे कोरोना वायरस फैमिली के विस्तार के रूप में जाना जाने लगा. वैज्ञानिकों ने आखिरकार इस विस्तार का नामकरण कर दिया और इसे 2019-nCoV नाम दिया गया. 2019 इसका पैदा होने का साल था इसलिए नाम के साथ 2019 जोड़ा गया. ये वायरस नया है, इसका कोई पुराना इतिहास नहीं है इसलिए इसे नोवेल बुलाया गया. ये वायरस कोरोना फैमिली का है जिसे CoV के नाम से डिनोट किया गया है.
चीन के नाम को कलंकित न करने का उद्देश्य
WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के चीफ ने बताया कि कोरोना का नामकरण करने का मकसद ये भी था ताकि विशेष रूप से इससे किसी देश का नाम कलंकित न हो. उन्होंने कहा, “भविष्य में किसी भी तरह के कोरना वायरस का मामला आता है तो वह उसके लिए स्टैंडर्ड फॉर्मैट होगा.” दरअसल चीन में इसका पहला मामला सामने आने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे ‘चीनी वायरस’ करार दिया था. जिसके बाद WHO और यूनिसेफ से उन्हें कड़ी फटकार सुननी पड़ी थी. इन संस्थाओं ने कहा था कि किसी वायरस की कोई नागरिकता नहीं होती और किसी देश को कलंकित नहीं किया जाना चाहिए.
लील चुका है 16,000 जिंदगियां
पूरी दुनिया में अब तक कोरोना से 384,453 लोग संक्रमित हैं. जिनमें करीब 16,591 लोगों की मौत हो गई है. इसमें 102,536 लोग ठीक हो चुके हैं. इसमें से 12,079 पेशेंट्स की स्थिति गंभीर है.