वो साइकिल पर घूमता था गली-चौराहें, कांधे पर थैला लटकाए हुए जिसमें रहती ढेरों टॉफियां थी, न तो वो कोई फरिश्ता था और ना ही कोई ऐसा शख्स था. जो बच्चों के लिए खुशियों की वजह बनता, बल्कि वो एक दरिंदा था जो पहले बच्चों को बहलाता, टॉफी देकर फुसलाता था और फिर उनके साथ ऐसी हरकत करता जिसके बारे में मात्र सोचने पर ही आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी. बच्चियों को टॉफी से एक पल के लिए खुश करने वाला ये वैहशी दरिंदा पहले उनको अगवा करता था और फिर उन्हें ही अपने हवस का शिकार बनाने के बाद मौत के घाट उतार देता था.
ये किस्सा अमृतसर के ब्यास के रहने वाले एक ऐसे खतरनाक सीरियल ‘बेबी किलर’ का है जो अपना शिकार बच्चियों को बनाता था. दरबारा सिंह नामक ये ‘बेबी किलर’ कद-काठी से पतला-दुबला और लंबा था. ये सेना में नौकरी करने के बाद साल 1975 में पठानकोट के एयर फोर्स स्टेशन का अधिकारी बन गया था, वहीं नौकरी के दौरान दरबारा सिंह पर एक मेजर के परिवार पर हैंड ग्रेनेड फेंकने का आरोप लगा था, जिस आरोप से वो बाद में बरी हो गया.
उस दौरान किसी को जरा सा भी अंदाजा न था कि दरबारा सिंह की नीयत और सोच इतनी ज्यादा खौफनाक है कि वो अपने हवस को पूरा करने के लि मासूमों को शिकार बनाने लगेगा और उसे खून करने की एक सनक चढ़ जाएगी. यू तो दरबारा सिंह इंसान था लेकिन उसने अपने जीवन में जैसे-जैसे काम किए हैं उससे तो वो एक हैवान से भी बढ़कर है.
अपने सीनियर ऑफिसर पर हैंड ग्रेनेड फेंकने का आरोपी कब एक हैवान का रूप ले लेगा किसे पता था, लेकिन सनक में इसने कई मासूमों की जिंदगी छीन ली. जिस वजह से उसे ‘बेबी किलर’ के नाम से भी जाना जाने लगा. बता दें कि दरबारा सिंह हमेशा अपनी साइकिल से घूमता रहता और उसके पास एक बैग में टॉफियां भरी रहती थीं. टॉफी का लालच देते हुए वो मासूम बच्चों को सुनसान इलाके में ले जाकर उनके साथ दुष्कर्म कर उन्हें मौत के घाट उतार देता था.
साल 1996 में कपूरथला में दरबारा सिंह ने एक अप्रवासी मजदूर की नाबालिग बच्ची को अपने हवस का शिकार बनाया और उसे मौत के घाट उतार दिया. इसी मामले से उसका नाम पहली बार सामने आया था, तो वहीं साल 1977 में उसे रेप और हत्या के प्रयास का दोषी पाया गया. इस दौरान उसे तीन अलग-अलग मामलों के लिए 30 साल तक जेल की सजा सुनाई गई और उसे कपूरथला जेल से जालंधर सेंट्रल और फिर लुधियाना सेंट्रल जेल में कैद किया गया, लेकिन साल 2003 में उसकी दया याचिका को मंजूर कर लिया गया. जिसके चलते उसके अच्छे व्यवहार को देखते हुए उसे 10 साल में ही रिहा कर दिया गया.
रिहा होने के बाद भी दरबारा के अंदर छिपा हैवान है कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था, एक बार फिर ये हैवान जागा और दरिंदगी करने लगा. ये मासूम बच्चों को अलग अलग तरीके से फंसाता था. कभी मिठाई, कभी टॉफी, कभी समोसा तो कभी पटाखों का लालच देता और फिर मासूमों को अपने चंगुल में फंसा लेता था. अपनी हवस को पूरा करने के लिए वो सुबह 10 बजे से दोपहर 12.30 बजे के बीच निकलता और बच्चों को दबोच लेता था.
कपूरथला में एक के बाद एक लगभग 23 बच्चे लापता हुए जिनमें से पुलिस ने 6 ऐसे बच्चों को बरामद किया जिनकी उम्र 10 साल से कम थी. पुलिस के अनुसार उसने 17 में से ज्यादातर बच्चों के साथ रेप को अंजाम दिया और फिर उनके शवों को रैया खदूर साहिब रोड पर पुल के पास दफन कर दिया. पुलिस ऐसा मानती थी कि दरबारा ने कई हत्याओं के बारे में बताया ही नहीं. मृतक बच्चों में 15 लड़कियां और 2 लड़के थे, जिसमें सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूरों के बच्चे थे.
साल 2004 में उसको पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. हैरत की बात तो ये है कि जब उसे जालंधर के SSP के सामने पेश किया गया तब उसने ये बयान दिया कि अगर उसे पुलिस अभी गिरफ्तार नहीं करती तो वो और भी बच्चों को वो अपना शिकार बनाता. वहीं, साल 2008 में दरबारा को फांसी की सजा सुनाई गई लेकिन इसे कम करके उम्रकैद में बदल दिया गया.
वहीं अगर बात करें दरबारा सिंह की निजी जिंदगी तो वो 3 बच्चों का पिता है लेकिन उसकी पत्नी उसकी घिनौनी हरकतों से तंग आ गई और उसे घर बाहर कर दिया था. बता दें कि उम्रकैद की सजा के दौरान 6 जून 2018 को दरबारा की मौत हो गई, वहीं, जब उसकी मौत की खबर उसकी पत्नी को दी तो उसकी पत्नी ने शव लेने से साफ इनकार कर दिया और कहा कि वे इस दरिंदे के शव को अग्नि नहीं देंगे. जिसके बाद जेल के अधिकारियों ने दूसरे दिन उसका अंतिम संस्कार करवाया. एक बुरे व्यक्ति का अंत भी आखिरकार बुरा ही हुआ और उसके शव को अग्नि देने के लिए तक कोई राजी न हुआ.
NOTE: ये जानकारियां अलग अलग स्त्रोतों से उठाई गई है इनमें से किसी भी जानकारी की पुष्टि नेड्रिक न्यूज नहीं करता.