भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय देश के साथ-साथ समाज, संस्कृति, लोग, बोली और यहां तक कि धार्मिक स्थलों का भी बंटवारा हो गया. कई बड़े गुरुद्वारे पाकिस्तान में चले गए तो वहीं कई मंदिरों का भी बंटवारा हुआ। इस विभाजन में लगभग 300 प्राचीन हिंदू मंदिर पाकिस्तान में चले गये, जिनमें से ज्यादातर मंदिरों कट्टरपंथियों ने ध्वस्त कर दिया। लेकिन अभी भी पाकिस्तान में कई ऐसे ऐतिहासिक मंदिर बचे हैं जिनकी मान्यताओं के आगे स्थानीय मुस्लिम भी शीश नंवाते हैं। पाकिस्तान में आज के समय में भी कई ऐसे मंदिर हैं जो 1000 साल से 1500 साल तक पुराने हैं। इस लेख में आज हम आपको पाकिस्तान के उन 5 हिंदू मंदिरों के बारे में बताऊंगा, जहां मुस्लिम भी पूजा करते हैं!
और पढ़ें: ट्रेन से जानवर कटने पर रेलवे को कितना होता है नुकसान?
राम मंदिर
आपको जानकार हैरानी होगी कि पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और उसके आसपास पंजाब के रावलपिंडी में कई ऐतिहासिक मंदिर और गुरुद्वारे हैं। इस्लामाबाद में प्राचीन काल के तीन मंदिर हैं। पहला सैयदपुर में, दूसरा रावल धाम और तीसरा प्रसिद्ध गोलरा दरगढ़ के पास है। पाकिस्तान का राम मंदिर पाकिस्तान के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह मंदिर सैयदपुर में स्थित है। सैयदपुर पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के पास है। इस लोकप्रिय मंदिर की स्थापना राजा मानसिंह ने वर्ष 1580 में की थी। यह ऐतिहासिक मंदिर पाकिस्तान के हिंदुओं के लिए श्रद्धा का प्रतीक है। यहां कुछ मुस्लिम धर्म के लोग भी पूजा करने आते हैं।
पंचमुखी हनुमान मंदिर
पाकिस्तान के कराची में एक बहुत पुराना पंचमुखी हनुमान मंदिर है, जिसे हनुमान जी के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में भक्त हनुमान जी के दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर में आने वाला हर पर्यटक हनुमान जी की भव्य पंचमुखी प्रतिमा की ओर आकर्षित होता है। मंदिर का निर्माण वर्तमान में खराब स्थिति में है। आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि यह मंदिर 1500 साल पुराना है। हालांकि, बंटवारे के बाद इस मंदिर की भी रौनक कम हो गई।
हिंगलाज माता मंदिर
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हिंगोल नदी और हिंगोल राष्ट्रीय उद्यान है, जिसके केंद्र में हिंगलाज माता का मंदिर है। यह मंदिर अत्यंत प्रसिद्ध एवं दर्शनीय है। हिंगलाज मंदिर माता सती के महान शक्तिपीठों में से एक है। जब देवी सती हवन कुंड की आग में समा गईं, तो भगवान शिव ने उनके जलते हुए शरीर को उठाया और तांडव करना शुरू कर दिया।
ऐसा माना जाता है कि उस काल में माता सती का सिर यहां गिरा था। इसी वजह से यहां इस मंदिर का निर्माण कराया गया। इस मंदिर में भगवान शिव भीमलोचन भैरव के रूप में दर्शन देते हैं और माता सती की एक मूर्ति भी मौजूद है। यह मंदिर पहाड़ियों में एक गुफा के आकार में बना हुआ है। हिंगलाज यात्रा पाकिस्तान की सबसे बड़ी हिंदू तीर्थयात्रा है। वसंत ऋतु के दौरान हिंगलाज यात्रा में 250,000 से अधिक लोग भाग लेते हैं।
कटासराज शिव मंदिर
कटासराज का शिव मंदिर पाकिस्तान के कई प्रमुख हिंदू मंदिरों में से एक है। भगवान शिव का यह मंदिर 900 साल पुराना है। यह मंदिर अपनी पौराणिक कहानियों के कारण प्रसिद्ध है। अगर आप इस मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो यह पाकिस्तान के पंजाब में कटासराज नामक गांव में स्थित है। पहाड़ों पर बने इस मंदिर में हिंदू भक्त हर दिन लगन से पूजा करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव और माता सती ने अपने विवाह के बाद कुछ समय कटासराज गांव में बिताया था।
गोरखनाथ मंदिर
पाकिस्तान के पेशावर में स्थित गोरखनाथ मंदिर देश के सबसे खूबसूरत हिंदू मंदिरों में से एक है। हालांकि इस मंदिर को 1947 में बंद कर दिया था लेकिन पाकिस्तान उच्च न्यायालय के आदेश के बाद 2011 में इस मंदिर को फिर से खोल दिया गया। इस मंदिर में हर दिन हिंदू तीर्थयात्री गोरखनाथ भगवान के दर्शन के लिए आते हैं। यहां भी कुछ मुस्लिम धर्म के लोग पूजा करने आते हैं।
और पढ़ें: तुलसीदास जी ने अकबर की जेल में लिखी थी हनुमान चालीसा? पढ़िए ये रोचक क़िस्सा