15 अगस्त…ये दिन करोड़ों भारतवासी के लिए सबसे खास दिनों से एक है। 75 साल पहले इस दिन ही लंबे संघर्ष के बाद हमें आजादी मिली थी। सैकेड़ों साल से भारत पर राज कर रहे ब्रिटिश शासन की नींव को उखाड़ फेंका था। देश की आजादी से जुड़ी वैसे तो कई बाते हम लंबे वक्त से पढ़ते और सुनते आ ही रहे हैं, लेकिन कुछ बातें ऐसी है, जिसके बारे में कई लोग आज तक नहीं जानते। ऐसी ही एक रोचक कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं।
15 अगस्त 1947 को देश को ब्रिटिशों से आजादी मिली थीं। ये बात तो हम बचपन से लेकर आज तक पढ़ते ही आ रहे है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि देश के कुछ जिले ऐसे भी हैं, जो देश की आजादी से पहले ही ‘आजाद’ हो गए। जी हां, ऐसे बलिया, सुल्तानपुर समेत ऐसे कुछ जिले है, जिनको 1947 से पहले आजादी मिल गई है। आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में इससे जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां आप तक पहुंचाएंगे।
बलिया
बलिया स्टेशन से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक इलाका है हनुमानगंज। ये वो ऐतिहासिक जगह है, जहां पर 1947 से कई साल पहले ही बलिया में कुछ घंटों के लिए भारत का तिरंगा शान से लहराया गया था। ये बात है 8 अगस्त 1942 की यानी देश को आजादी मिलने के 5 साल पहले की। भारत छोड़ों आंदोलन की गूंज देशभर में गूंज रही थी। तब ब्रिटिशों ने गांधी-नेहरू समेत कई बड़े नेताओं को अग्रेंजों ने अरेस्ट कर लिया था, जिसका विरोध हो रहा था। बलिया में भी गिरफ्तारियों का विरोध हुआ और इसके बाद ही ये बागी बलिया के नाम से मशहूर हो गया। 19 अगस्त 1942 ये वो दिन था, जब बलिया को आजादी मिल गई थीं। हालांकि ये आजादी तब सिर्फ 3 ही दिनों के लिए रही। अग्रेंजों ने साजिश रचकर 22 अगस्त को फिर से बलिया पर कब्जा जमा लिया था।
सुल्तानपुर
बलिया ही नहीं यूपी का एक और जिला ऐसा है जिसको पहले आजादी मिली। ये सुल्तानपुर जिला था। सुल्तानपुर कुछ दिनों नहीं बल्कि पूरे एक साल के लिए आजाद हुआ था। ये बात है साल 1857 की, जब मंगल पांडेय ने मेरठ की आजादी का बिगुल फूंक दिया था। जिसके बाद सुल्तानपुर में भी इसकी चिंगारी भड़की। तब कई अंग्रेंजी सिपाहियों को मार गिराकर सुल्तानपुर को आजाद कराया गया था। लेकिन इसके करीब एक साल के बाद अग्रेंजी हुकूमत ने फिर से सुल्तानपुर पर कब्जा कर लिया था।
आरा
अब बात करते हैं बिहार के आरा जिले की। 1857 में ही आरा में भी बगावत की आग तेजी से फैल रही थी। उस दौरान 80 साल की उम्र में महाराजा वीर कुंवर सिंह ने अपने सेनापति के साथ मिलकर आजादी की लड़ाई का नेतृत्व किया। उन्होंने 27 अप्रैल को दानापुर के सिपाहियों समेत दूसरे सहयोगियों के साथ मिलकर आरा पर कब्जा किया था और वहां जगदीशपुर रिसायत का झंडा फहराया। लेकिन जैसे ही आरा पर कब्जा हुआ तो ब्रिटानी हुकूमत ने जगदीशपुर पर धावा बोल दिया। इतिहासकार बताते हैं जब वीर कुंवर सिंह की को अंग्रेजों की गोली लगी थी, तब उन्होंने फौरन ही अपनी बांह को काटकर गंगा में बहा दिया था।
हिसार
29 मई 1857 ये वो दिन था जब हरियाणा का हिसार कुछ दिनों के लिए अग्रेंजों के शासन से मुक्त हुआ। क्रांतिकारियों ने डिप्टी कलेक्टर विलियम वेडरबर्न समेत कई अंग्रेजों की मारकर नागोरी गेट पर आजादी की पताका लहराई थी। 73 दिनों तक हिसार ने आजादी की खुली हवा में सांस ली थी।