सिख धर्म में सबसे पवित्र स्थानों में से एक है अमृतसर..जहां पर स्वर्ण मंदिर गुरुद्वारा हैं। ये गुरुद्वारा, भारत की धरोहर में शामिल है। सिखों के दसवें गुरु गुरु रामदास जी ने स्वर्ण मंदिर जिस तालाब के बीचों बीच बना है उसकी नींव रखी थी। जिसके बाद सिखों के पांचवें गुरु गुरु अर्जन देव जी ने एक ऐसे पवित्र स्थान को बनाने कल्पना की, जो सिखों के लिए बेहद पूजनीय हो, जिसके बाद ही स्वर्ण मंदिर की नींव रखी गई। इसे गुरु जी ने लाहौर के एक सूफी संत मियां मीर से दिसंबर 1588 में रखवाया था।
इसके बाद स्वर्ण मंदिर को कई बार बाहरी लुटेरों ने तोड़ा, लेकिन भक्तों ने इसे फिर से बनवा दिया। स्वर्ण मंदिर को आपने अगर सामने से न भी देखा हो लेकिन आपने किताबों में इसे जरूर पढ़ा होगा…स्वर्ण मंदिर का जिक्र आते ही आपको पता होता है कि किसके बारे में बात हो रही है। लेकिन क्या आप स्वर्ण मंदिर का असली नाम जानते है? शायद कभी इस ओर ध्यान ही न गया हो, लेकिन आपको बता दें कि स्वर्ण मंदिर का असली नाम हरिमंदिर साहिब गुरुद्वारा है। अब सवाल ये है कि एक सिख गुरुद्वारा होते हुए भी इसका नाम हिंदू त्रिदेवों में से एक हरि यानि की विष्णु के नाम पर क्यों रखा गया? क्या आपने कभी ये सोचा है? आज हम इसी रहस्य से पर्दा उठाएंगे…
दरअसल 17वीं सदी के दौरान सिखों के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी ने स्वर्ण मंदिर की फिर से स्थापना के बाद इसमें विष्णु जी की मूर्ति रखी थी। यहां तक कि गुरु जी का नाम भी विष्णु जी के ही एक रूप कृष्ण के एक नाम गोबिंद के नाम पर रखा गया था। इससे ये पता चलता है कि तब सिखों की आस्था हिंदू धर्म में भी थी। जब खालसा पंथ की स्थापना हो रही थी तब ब्राह्मणों और क्षत्रियों ने इसका पूरा समर्थन किया।
हिंदुओं ने खालसा फौज के लिए अपने घर का बड़ा बेटा खालसा को मानने के लिए दे दिया और बाहरी ताकतों से लड़ाई के लिए खालसा फौज लड़ने लगी। 1708 में गुरु गोबिंद सिंह जी की मृत्यु के बाद करीब 201 साल तक हरिमंदिर साहिब में विष्णु जी की मूर्ति थी। लेकिन इसी बीच मुगल काल के दौरान एक हुकुनामा जारी हुआ जिसके अनुसार गुरुद्वारे में मौजूद सभी मूर्तियों को तोड़ दिया गया, हालांकि विष्णु जी की मूर्ति को हाथ नहीं लगाया गया, लेकिन हुकुम के अनुसार इसका नाम बदल दिया गया और नाम दिया गया दरबार साहिब।
1909 तक स्वर्ण मंदिर में विष्णु जी की मूर्ति थी, लेकिन कहा जाता है कि 1909 में मुस्लिम शासकों और अंग्रेजी हुकुमत ने स्वर्ण मंदिर में मौजूद विष्णु जी की मूर्ति को तुड़वा दिया। जिसके कारण ही यहां किसी भी हिंदू देवी देवताओं के पूजे जाने का कोई सबूत नहीं है। लेकिन इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता है कि हरिमंदिर साहिब का नाम हिंदू देवता विष्णु जी के नाम पर रखने वाले गुरु गोबिंद सिंह जी ही थी।