वो मेकअप की शीशी में मौत लिए घूमती थी। वो सालों तक लोगों को मारती रही और कोई उस पर शक भी नहीं कर पा रहा था। उसने लोगों को मार डालना अपना मिशन बना लिया था। उसके गुनाहों की लिस्ट बड़ी लंबी थी और लोग उसके बारे में बहुत कम ही जानते हैं। हम बात कर रहे हैं इटली की एक ऐसी महिला की जिसने एक, दो या 10,20 भी नहीं पूरे 600 लोगों को मौत के घाट उतारा।
इटली की जूलिया ट्रूफाना की कहानी
ये कहानी है सबसे बड़ी सीरियल किलर जूलिया टूफाना की। बात 17वीं सदी की है। तब रोम, सिसिली और नेपल्स में एक नेटवर्क फैला हुआ था। ये जहरीला अंडरवर्ल्ड नेटवर्क था और इस नेटवर्क की सरगना थी इटली की जूलिया टूफाना। अगर जूलिया के कबूलनामे पर गौर करें तो उसे हिस्ट्री की सबसे बड़ी सीरियल किलर माना जाए तो गलत नहीं होगा। कहते हैं कि 1630 से 1655 के बीच उसने 600 आदमियों की जान ले ली थी।
मौत की ये मल्लिका हथियार के तौर पर चाकू, छुरी, बंदूक या फिर तलवार का इस्तेमाल नहीं करती थीं, बल्कि मेकअप की शीशियों में मौत लेकर घूमती थीं। वो मेकअप की उन शीशियों में जहर भरकर घूमती थी और खुद अपने ही हाथों से तैयार किया करती थी। ‘एक्वा टूफाना’ नाम के इस जहर की बस कुछ बूंदें ही मौत देने के लिए काफी थीं, लेकिन हैरानी की बात ये थी कि इस सीरियल किलर के लिए किसी तरह का गुस्सा या नफरत नहीं था। किसी के मन में खासकर अगर महिलाओं की बात करें तो वो तो जूलिया को बेहद पसंद करती थीं, लेकिन क्यों?
इसलिए महिलाएं करती थीं उसे पसंद
इसे जानने के लिए इटली के पुरुष प्रधान समाज को समझना होगा, जहां पर उस दौर में शादी के बाद पत्नियों पर पति हावी रहते। पत्नियों की कोई सुनता नहीं, उनके साथ उनका पति मारपीट करता, पैसे नहीं देता और वो पत्नी के साथ बदतर सुलूक करता था। पत्नी अपने ऐसे क्रूर पति के खिलाफ कोई शिकायत भी नहीं कर सकती थी। हद पार करने वाली बात ये थी की वहां का समाज और माहौल पत्नी के प्रति पति के ऐसे बर्ताव को क्राइम ही नहीं मानता था। ये दौर पुरुष प्रधान दौरान का था, जिसमें महिलाएं घुट घुटकर जी रही थीं। इन महिलाओं के पास तो तलाक लेने का भी कोई ऑप्शन नहीं था। ऐसे में पति से छुटकारा पाने का रास्ता नहीं था।
जिसकी वजह से एक ही तरीका था और वो था पति की मौत और ये रास्ता तब बेहद आसान हो गया, जब जूलिया के जहर एक्वा टूफाना ने काम करना शुरू कर दिया।
बस जहर की 4 बूंदे थीं काफी
कहते हैं, जूलिया ने इन औरतों की हेल्प को अपने लाइफ का मिशन बना लिया था और बिजनेस भी। वहीं जहर ‘एक्वा टूफाना’ अपना काम करता जाता, वो भी बिना सबूत छोड़े। इसकी चार बूंदें काम तमाम कर देतीं। जूलिया इस जहर की पैकिंग मेकअप या परफ्यूम की शीशियों में करती जिसे महिलाएं अपनी ड्रेसिंग टेबल पर सजाकर रखती और कोई शक तक नहीं करता था। जूलिया ने संत निकोलस की तस्वीर वाली छोटी शीशी में भी मरहम या तेल बताकर भरने लगी थी और बेच देती।
जूलिया के सीक्रेट अंडरवर्ल्ड नेटवर्क में और कई लोग शामिल थे जैसे तेज़-तर्रार, भविष्य बताने वाली, जादू-टोना करने वाली महिलाएं और तो और धूर्त पादरी भी इसमें शामिल थे। फेसक्रीम के तौर पर जहर का प्रचार किया जाता जो फिर से महिला को सुंदर और सिंगल बना सकती थी।
उस दौर में एकाएक मौतों का होना आम बात थी ऐसे में 25 साल तक कोई उस पर शक नहीं कर पाया। साथ ही जहर ऐसा था कि ऑटोप्सी के दौरान डॉक्टरों को भी कोई शक नहीं होता। कहते हैं कि जूलिया का खानदानी पेशा ही था जहर बनाना और बेचना। वो 1620 के करीब सिसिली के पलेरमो में पैदा हुई और उसकी मां टोफानिया डी एडेमो ने जहर से ही अपने पति को मौत के घाट उतारा था, फिर उसे इसके लिए मौत की सजा सुनाई गई। इस धंधे में जूलिया का उसकी की बेटी भी हाथ बंटाती थी। माना तो ये भी जाता है कि जूलिया विधवा थी और पति के मर जाने पर वो अपनी बेटी के साथ नेपल्स रही। फिर रोम में जाकर बस गई।
ऐसे खुली जूलिया की पोल
1650 आया और इसी दौरान जूलिया के इस जहरीले अंडरवर्ल्ड की पोल खुल गई। हुआ कुछ ऐसा कि जूलिया की एक क्लाइंट ने जहर को सूप बाउल में मिलाया और पति को दे दिया। पति सूप पीने ही वाला था कि तभी महिला को अफसोस हुआ और वो पति को सूप पीने से मना करने लगी। तभी पति को शक हुआ और उसने पत्नी से सच उगलवा लिया। रोम के सबसे बड़े पादरी के सामने कबूल लिया पत्नी ने की उसने एक्वा टूफाना को जूलिया से खरीदा था।
ऐसे में खुद को गिरफ्तारी से बचाने के लिए जूलिया एक चर्च में छिप गई। फिर ऐसी अफवाह फैली कि जूलिया और उसके गैंग में शामिल काला जादू वाली महिलाओं ने जहर मिला दिया है पूरे रोम के पानी में। ऐसे में लोगों ने चर्च को घेर लिया और आखिरकार जूलिया को गिरफ्तार कर लिया गया। फिर उसे रोम के सबसे बड़े चर्च में ले जाकर काफी यातनाएं दी गई। जिसके बाद उसने अपना जुर्म कबूल किया कि उसने पिछले 25 साल में करीब 600 आदमियों को मार डालने में उनकी पत्नियों की हेल्प की। इस बात का पूरा अंदेशा है कि ये आंकड़ा और भी ज्यादा है। जुलाई 1659 में जूलिया, उसकी और उसके गैंग की तीन महिला को मौत की सजा दे दी गई थीं। जूलिया ने जिन क्लाइंट्स के नाम लिए उनमें से कई महिलाओं को सजा दी, तो कई अपने बयानों से बच गई..ये कहकर की एक्वा टूफाना को वो बस मेकअप के लिए यूज करती थी।
जूलिया को मौत की सजा देने की बात तो की जाती है, लेकिन कहते ये भी हैं कि जूलिया सज़ा-ए-मौत के दिन ही जेल से भाग निकली। आज भी ये मिस्ट्री है कि वो मरी या नहीं। हालांकि वो कभी फिर किसी के हाथ नहीं आई। उसके बनाए जहर एक्वा टूफाना का बिजनेस उसके जाने के बाद भी चलता रहा था। फिर एक सदी का वक्त जब बीत गया तो फेमस जर्मन कम्पोजर वूल्फगैंग एमेडेयस मोजार्ट ने माना कि बीमार होने और फिर उनकी मौत हो जाने का जिम्मेदार एक्वा टूफाना ही थी। मोजार्ट ने अपनी मौत से पहले कहा था कि मुझे पूरा यकीन है कि किसी ने मुझे एक्वा टूफाना दिया है और मैंने जहर की डोज से अनुमान लगाया कि मैं कब तक मर जाऊंगा, लेकिन आज तक मोजार्ट की मौत की वजह सामने नहीं आ सकी। यहां तक कि एक्वा टूफाना का फॉर्मूला भी कोई जान नहीं पाया । जूलिया इस राज को अपने साथ ही ले गई।