हमारे देश की सीमाओं की सुरक्षा तो भारतीय सेना करती है। लेकिन सबसे बड़े लोकतंत्र के संविधान की रक्षा कौन करता है ये एक बड़ा सवाल है। सेना के हाथ में तो संविधान की रक्षा नहीं है तो कौन उसकी सुरक्षा में। आज हम आपको संविधान से जुड़ी एक ऐसी रोचक बात बताएंगे जिसके बारे में कम लोग ही जानते होंगे।
कैसे सुरक्षित रखा जाता हैं संविधान?
दुनिया में भारत का ही एक ऐसा संविधान है जो हस्तलिखित है यानि कि कागज पर हाथ से लिखा हुआ। संविधान के इस मूल प्रति के पन्ने पर सोने की पत्तियों वाली फ्रेम बनी है और हर अध्याय के आरंभिक पृष्ठ पर कलाकृति भी की गई है। पहले फलालेन के कपड़े में संविधान की मूल प्रति को रैप करके नेफ्थलीन बॉल्स के साथ रख दिया गया। संसद भवन के पुस्तकालय में साल 1994 में इसे वैज्ञानिक विधि से प्रिपेयर किए गए चेम्बर में सेफ्टी के साथ रख दिया गया।
क्यों किया जाता हैं ऐसा?
दरअसल, ऐसा करने से पहले यह देखा गया कि दुनिया में अन्य संविधानों को कैसे सुरक्षित रखा गया है। जानकारी मिली कि अमेरिकी संविधान सबसे सुरक्षित है। वॉशिंगटन के लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस में इस एक पेज के संविधान को हीलियम गैस के चेम्बर में रखा गया। इसके बाद गैस चेम्बर बनाने की पहल हुई अमेरिका के गेट्टी इंस्टीट्यूट और भारत की नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी के साथ ही भारतीय संसद के बीच करार के बाद। वैसे भारतीय संविधान की साइज की बात करें तो ये बड़ा और भारी है ऐसे में चेम्बर बड़ा हो गया जिससे कई कोशिशों के बाद भी हीलियम गैस को रोका नहीं जा सका। तब जाकर नाइट्रोजन गैस का चेम्बर तैयार किया गया।
किस गैस से कागजों को रखा जाता सुरक्षित?
संविधान की मूल प्रति की कागजों को सेफ्टी से रखने के लिए ऐसी गैस की जरूर थी जो कि इनर्ट यानी कि नॉन-रिएक्टिव हो। नाइट्रोजन गैस ऐसा ही है। भारतीय संविधान को काली स्याही से लिखा गया है ऐसे में ये आसानी से उड़ सकती थी यानि कि ऑक्सीडाइज हो सकती थी। ह्युमिडिटी 50 ग्राम प्रति घन मीटर के करीब रखने की जरूरत थी इसको बचाने के लिए और इसके लिए बनाया गया एयरटाइट चेम्बर जिसमें ह्युमिडिटी मेन्टेन रखने के लिए गैस मॉनिटर्स लगा दिए गए।
चेम्बर की नाइट्रोजन गैस हर साल खाली की जाती है और संविधान की सुरक्षा को बड़ी बारीकी से परखा जाता है। इस चेम्बर की हर दो महीने में चेकिंग भी की जाती है और इस पर सीसीटीवी कैमरे से लगातार निगरानी की जाती है।