वो गलियां जहां अंधेरी रातों में रोशनी ही रोशनी रहती थी, किसी को किसी से मतलब नहीं हुआ करता था और न ही किसी से किसी को डर, उस वक्त मुंबई दिन रात जागती थी. लोग बस कामकाज का बोझ लिए आगे निकलने की कोशिश में लगे थे. अचानक एक खबर ने सबकी सासे थाम ली, अब रोशनी भरी रात में अंधेरा ही अंधेरा छाने लगा, क्योंकि साल 1966 में खबर ये आई कि मुंबई के फूटपाथ पर सो रहे लोगों को कोई जान से मार रहा है.
उस दौर में मुंबई की गलियों में रमन राघव ने सबकी नींदे उड़ा दी थी, क्योंकि ये रात के अंधरे में कुछ इस कदर बेरहमी से अपने शिकार को मौत के घाट उतारता था कि सुबह तक दहशत उस पूरे इलाके को घेर लेती थी. तो आइए आपको मुंबई के इस खुंखार हत्यारे के बारे में बताते हैं जिसे पकड़ने के लिए कई पुलिसकर्मियों को अपनी नींदे गवानी पड़ी थी….
रमन राघव कौन था?
रमन राघव न तो अंडरवर्ल्ड डॉन था, न तो कोई लुटेरा था और न ही किसी गैंग का सदस्य था. वो था दो एक मनोरोगी, जिसके सिर पर सवार खून ने कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया. साल 1929 के आसपास पुणे के बाहरी इलाके में जन्मे रमन राघव के सिर पर खून कैसे सवार हो गया और वो मनोरोगी कैसे बना इस बारे में पता नहीं चल सका लेकिन इतना जरूर साफ है कि खून करने की उसकी सनक ने लोगों में दहशत फैलाई हुई थी. जो लोग बचपन से रमन राघव को जानते थे उनका कहना है कि उसे बचपन से तो कोई खास बीमारी नहीं थी लेकिन वो चोरी बहुत करता था, इसलिए वो पढ़ाई भी नहीं कर पाया.
60 के दशक में लोगों के दंग कर देने वाली हत्या की घटनाएं होने लगी. बाहरी मुंबई के इलाकों में एक के बाद एक हत्याएं हुईं. इन सभी हत्याओं को राघव रात के समय अंजाम देता था, ऐसे करते-करते उसने 40 से अधिक लोगों को मार डाला. इसके शिकार केवल झोपड़ियों और फुटपाथ पर अपना गुजारा करने वाले लोग हुआ करते थे, जिन्हें वो बिना धार वाले हथियारों से मौत के घाट उतारता था. हैरान कर देने वाली वारदातों हुई जब वो महिलाओं के शवों से रेप भी करता था.
इस तरह से लोगों की हत्या करने का सिलसिला साल 1965-66 तक चला. उस दौरान एक मामला ऐसा भी सामने आया जिसमें एक साथ 19 लोगों पर जानलेवा हमला किया गया और हमले में 9 लोगों की जान गई, 10 लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए. इस घटना के बाद से ही लोगों की हत्या करने वाले के बारे में जानकारी मिल पाई. घायलों में से एक कृतिका नाम की महिला ने रमन राघव के बारे में पुलिस को जानकारी दी और फिर सीरियल किलर रमन राघव की पहचान की जा सकी.
एक डकैती में पांच साल जेल में कैद रहे रमन राघव ने सबसे शर्मनाक और इंसानियत को तार तार करने वाला अपराध तब किया जब उसने अपनी ही बहन का भी रेप कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया था. इसका रिकॉर्ड पुलिस के पास मौजूद था. कई हत्या करने के बाद भी उनमें से बचा कोई भी व्यक्ति उसे देख नहीं पाया था. लेकिन साल 1968 में एक बार फिर कई हत्याओं का मामला सामने आए तब मुंबई पुलिस सीआईडी के डिप्टी कमिश्नर रमाकांत कुलकर्णी ने शक के घेरे में आए कई लोगों को पकड़ा और इन्हीं पकड़े गए लोगों में से एक था सीरियल किलर रमन राघव, जो आखिरकार पुलिस के चंगुल में था.
लंबी कद-काठी, कम पढ़ा लिखा और बेहद ज़िद्दी इंसान था रमण राघव. जिसने पकड़े जाने के बाद पुलिस हिरासत में पूछताछ के वक्त ही अपनी कुछ मांगे रखी थी. चिकन, वेश्या और साजो सामान मिल जाने पर ही उसने अपना मुंह खोला था. पुलिस 23 हत्याओं का जुर्म रमन राघव से कबूल करवा सकी. कहा जाता है कि उसे खुद ठीक ठीक याद नहीं था कि उसने कितनी जानें ली हैं.
पुलिस की गिरफ्तारी के बाद जब रमन के खिलाफ केस चलाया गया तब उसे मनोरोगी होने का भी दावा किया गया लेकिन पुलिस ने डॉक्टरों के तर्क को नहीं माना. इसे लेकर एक जानकारी और सामने आई थी कि पुलिस ने जब रमन को कोर्ट में जज के सामने पेश किया तो उसने जज के सावलों का भी जवाब देने से साफ इनकार कर दिया था. इस तरह से उसने कई बार किया, वहीं जब पुलिस उसकी चिकन खाने की बात मान लेती थी तब जाकर वो सवालों के जवाब दिया करता था. उसने कोर्ट में अपने पापों का पूरा चिट्ठा खोल दिया. किस तरह से वो लोगों की जान लेता था और उन्हें मारने के लिए क्या हथियार इस्तेमाल करता था आदि उसने कोर्ट को बताया दिया.
हालांकि मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम ने जेल में ही रमन राघव का इंटरव्यू लिया, जिसके आधार टीम ने जानकारी दी कि वो एक गंभीर मानसिक रोगी है और उसे पैरानॉयड सीजोफेरिया बीमारी है. ऐसे में किसी शख्स पर सख्त कानूनी कार्रवाई करना कानून का उल्लंघन होता है, इसलिए उसको पुणे के येरवाड़ा जेल में कैद किया गया और फिर साल 1987 में हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया. उसके बाद जेल में कैद रमन की मौत किडनी की बीमारी की वजह से हो गई लेकिन उसका खौफ आज भी दिल को दहला देता है.
नोट: सीरियल किलर रमन राघव से जुड़ी तमाम जानकारी विभन्न स्त्रोतों से उठाई गई हैं. इन जानकारियों की पुष्टि नेड्रिक न्यूज नहीं करता है.