पंजाब बीते वक्त में आज जैसा पंजाब नहीं। पंजाब तो एक बहुत बड़ा राज्य था, लेकिन पहले 1947 में इस राज्य के टुकड़े हुए और आधा सरहद के उस पार पाकिस्तान में चला गया। लेकिन फिर भारत वाले पंजाब से अलग होकर एक और राज्य अस्तित्व में आया और उसका नाम रखा गया हरियाणा, जिसे पंजाब से 1966 में विभाजित कर दिया गया। तो आज हम जानेंगे कि आखिर पंजाब से अलग हुए हरियाणा राज्य की हिस्ट्री क्या है?
हरियाणा की सीमाएं दिल्ली के तीन तरफ लगी हैं, जिसकी वजह से दिल्ली एनसीआर यानी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का एक बड़ा भाग इसी राज्य का है। पंजाब से निकलकर हरियाणा भले ही एक अलग राज्य बन गया हो लेकिन पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ हरियाणा की भी राजधानी है। तो वहीं चंडीगढ़ एक केंद्र शासित प्रदेश भी है। हालांकि, हरियाणा अब पंजाब का भाग तो नहीं है लेकिन लंबे वक्त तक हरियाणा वाला इलाका ब्रिटिश भारत में पंजाब प्रांत का एक अहम हिस्सा रहा है, जिसकी हिस्ट्री काफी गहरी है।
हरियाणा के बानावाली और राखीगढ़ी जो कि अब हिसार में हैं और सिंधु घाटी सभ्यता का ही एक भाग है, ये सभ्यता 5000 साल पुरानी है। क्या आप ये जानते हैं कि सिंधु घाटी जितनी पुरानी कई और सभ्यताएं है सरस्वती नदी के किनारे जिसके अवशेष पाए गए। सरस्वती नदी के तट करीब ही प्राचीन वैदिक सभ्यता भी डेवलप हुई थी। ऋग्वेद के मंत्रों की भी यहीं पर रचना हुई। चलिए हरियाणा बनने के पीछे की स्टोरी जानते हैं…
भाषा के बेसिस पर राज्यों के गठन का जवाहर लाल नेहरू विरोध करते रहे लेकिन सोशल वर्कर पोट्टी श्रीरामालू की जो मांग रही मद्रास से आंध्र प्रदेश को अलग करने की उसे लेकर 58 दिन के किए आमरण अनशन और फिर मौत। इसका साथ ही कम्युनिस्ट पार्टियों के जो संयुक्त मद्रास में वर्चस्व बढ़ता जा रहा था, उसे लेकर देखते हुए उन्हें मजबूर होना पड़ा था अलग तेलुगू भाषी राज्य बनाने पर। जस्टिस फजल अली की अध्यक्षता में 22 दिसम्बर 1953 को पहले तो राज्य पुनर्गठन आयोग गठित किया गया और इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट 30 सितंबर 1955 को सौंप भी दी थी।जस्टिस फजल अली, हृदयनाथ कुंजरू और केएम पाणिक्कर इस आयोग के तीन सदस्य हुए।
इस आयोग की साल 1955 में रिपोर्ट आई, जिसका बाद ही साल 1956 में नए राज्यों का निर्माण हो गया। तब 14 राज्य बने और फिर 6 केन्द्र शासित प्रदेश। साल 1960 आया जब पुनर्गठन का एक और दौर चला। ऐसे में बंबई राज्य को तोड़कर 1960 में महाराष्ट्र और गुजरात बना फिर 1966 में पंजाब बंटा फिर हरियाणा और हिमाचल प्रदेश बन गए। इसके बाद कई मांग उठी कि कई कई राज्यों के बंटवारे किए जाए पर केंद्र सरकार ने तब के वक्त में इन मांगों पर अपने तरीके से और पॉलिटिकल बेनिफिट्स को देखते हुए फैसले लिए। कुछ मांगे जल्दी पूरी की गई तो वहीं कुछ वक्त के साथ धीरे धीरे पूरी की गई।