20 मार्च 2020 ही वो दिन था जब निर्भया को 8 सालों के लंबे इंतेजार के बाद इंसाफ मिला. इस दिन ही निर्भया गैंगरेप कांड के चारों आरोपियों को फांसी दी गई थीं. सामाजिक यातनाओं और पीड़ित के परिवार के इस संघर्ष के सफ़र में एक और महिला थी जो हीरो बनकर सामने आई. वो महिला न सिर्फ पीड़ित परिवार के दुःख के घड़ी की हमराही बनी बल्कि इस सफ़र में उनके साथ डट कर खड़ी रही. इस महिला का नाम सीमा कुशवाहा है. वो निर्भया के साथ दरिंदगी के बाद हुए प्रदर्शन में भी शामिल थी. बताया जा रहा है ये उनका पहला केस है.
शुरू से इस मामले से हुई हैं जुड़ी
सीमा कुशवाहा इस मामले से बिलकुल शुरू से जुड़ी हुई हैं. इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन पर जो निर्भया रेप केस के बाद प्रदर्शन हुआ था उसमें सीमा कुशवाहा भी शामिल थी. इसके बाद उन्होंने इस केस को लड़ने की ठान ली थी. उन्होंने सोचा कि वो वकील हैं तो क्यूं न वो इस केस को खुद ही लड़ें. सीमा का कहना है कि अगर वो मामले को फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट, लिस्टिंग के लिए नहीं कोशिश करती तो मामला लटका ही रहता.
दिल्ली यूनिवर्सिटी की रही हैं स्टूडेंट
निर्भया रेप केस के दौरान सीमा ट्रेनी थी. उन्होंने अपनी लॉ की पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी से की है. साथ ही बताया जाता है कि वो निर्भया ज्योति लीगल ट्रस्ट से भी जुड़ी हैं. इस ट्रस्ट को रेप केस में कानूनी सलाह देने के लिए निर्भया के परिवार ने ही बनाया था. इसके अलावा सीमा ने एक इंटरव्यू में इस बात का भी जिक्र किया था कि उनका सपना सिविल परीक्षा देकर IAS बनने का था.
ग्रामीण इलाके से ताल्लुक रखती हैं सीमा
सीमा बताती है कि वो ऐसी जगह से आती हैं जहां लड़कियों को ज्यादा आजादी नहीं है. इसके बावजूद समाज की बेड़ियों से ऊपर उठकर वो वकील बनी. इन सारी परिस्थितियों से गुजरने के बाद अब उन्हें कुछ भी नामुमकिन नहीं लगता. सीमा का कहना है मैं ग्रामीण इलाके से आती हूं जहां लड़कियों को पढ़ाया नहीं जाता. उन्हें अपने हक़ के लिए लड़ना पड़ता है. उन्होंने कहा कि फिलहाल वो रुकेंगी नहीं. उन्होंने देश की और बेटियों को न्याय दिलाने का जिम्मा उठाया है.