आपने कई कोकीन स्मगलर के बारे में सुना होगा लेकिन आज हम आपको एक ऐसे कोकीन स्मगलर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पूरी दुनिया में केवल एक ही था और उसने सभी रिकॉर्ड्स तोड़ दिए और वो गरीबों के लिए रॉबिनहुड था. इतना ही नहीं उस पर ये तक आरोप लगा कि अपने देश के संविधान को प्रभावित करने का माद्दा रखता है.
हम आपको एक समय पहले दुनिया का 7वां सबसे अमीर आदमी बन जाने वाले क्रिमिनल पाब्लो एस्कोबार के बारे में बताने जा रहे हैं. इसके पास इतने पैसे थे कि उसे एक पैसों का गोदाम बनवाना पड़ा और फिर जब उसका ये गोदाम भर गया तो उसे जमीन खोद कर पैसे रखने पड़े, तो आइए आपको पाब्लो एस्कोबार के गरीबी से अमीरी तक के सफर और उसकी चर्चित जिंदगी के बारे में विस्तार से बताते हैं.
वर्ल्ड हिस्ट्री का सबसे कामयाब और सबसे अमीर क्रिमिनल माना जाने वाला पाब्लो एस्कोबार का जन्म 1 दिसंबर 1949 में एक बेहद गरीब किसान परिवार में हुआ जो अपने माता पिता की तीसरी संतान था. गरीबी इतनी ज्यादा थी कि वो कॉलेज की फी तक नहीं भर पाता था और इसलिए उसका नाम भी काट दिया गया.
पाब्लो एस्कोबार से जब गरीबी ने पढ़ाई छीन ली तो उसने पैसे कमाने का ऐसा रास्ता चुना जो काला था, ये वो रास्ता था जिस पर अगर कोई एक बार चला जाए तो यहां से बाहर केवल मौत ही निकाल सकती है. वहीं हर तरफ अंधेरा था लेकिन पाब्लो एस्कोबार को तो पैस कमाने थे इसके लिए उसने शुरुआत कब्र से पत्थर चुराकर उन्हें स्मगलरों को बेचने का काम से की और फिर यहीं से उसके ‘क्रिमिनल करियर’ की जैसे शुरुआत हो गई.
बता दें कि पाब्लो एस्कोबार जब 20 साल का भी नहीं हुआ था तब उसने सड़कछाप अपराधों को अंजाम दिया, इसमें गांजे और सिगरेट जैसी मदक पदार्थों से जुड़े काम भी थे. अपनी इस उम्र में वो गांजे की सप्लाई, बैन सिगरेट और फर्जी लॉटरी टिकट को बेचता और गाड़ियों की चोरी करता. जिसके चलते 1970 के दशक में वो एक चोर और एक बॉडीगार्ड के रुप में पहचाना जाने लगा था.
22 साल की उम्र में मिलियन डॉलर का मालिक
जैसे-जैसे उसकी उम्र बढ़ती गई वैसे-वैसे उसके अपराध भी बड़े होने लगे और वो किडनैपिंग जैसे क्राइम में भी हाथ आजमाने लगा. किडनैपिंग की वारदात में जब वो सक्रिय रहने लगा तो उसने अपने ही होम टाउन मेडिलीन के एक बेहद अमीर एग्जीक्यूटिव की किडनैपिंग की. इस दौरान उससे फिरौती के 1 लाख डॉलर यानि आज के दौर का 6 लाख डॉलर यानी करीब 4 करोड़ रुपये हासिल किए और इस तरह महज 22 साल की उम्र में ही उसके पास मिलियन डॉलर की दौलत थी.
26 साल की उम्र में पाब्लो ने मेडिलीन के सबसे बड़े ड्रग माफिया की हत्या कर दी, वो भी तब जब वो माफिया से 14 किलो कोकीन की डील के लिए उससे मुलाकात करने गया. जिसके बाद वो खुद इस कारोबार में घुस गया. अगर बात की जाए पाब्लो के निजी जिंदगी कि तो उसने मार्च 1976 में 15 साल की मारिया विक्टोरिया से शादी की उस वक्त उसकी उम्र 27 साल थी. इसके बाद उसे 2 बच्चे जुआन एस्कोबार और मैनुएला एस्कोबार हुए.
उसके बाद आया सिविल वॉर का दौर जब पाब्लो के साम्राज्य का उभार हुआ. इस वक्त कोलंबिया में सरकार-पैरामिलिट्री फोर्स और लेफ्ट विंग गुरिल्लाओं के बीच संघर्ष जारी था और इस सिविल वॉर से कोलंबिया दुनिया में अपनी छवी कराब करता जा रहा था तो दूसरी तरफ इसी दौर में पाब्लो ने अपनी खूनी लड़ाई और तेज कर दी. अपने क्राइन के बीच में उसे कोई रोड़ा नहीं चाहिए था और इस मामले में सरकारी अफसरों से निपटने के लिए वो अपने एक ही रूल को फौलो करता था वो ये सरकारी अफसरों के सामने वो दो ही ऑप्शन रखता था वो ये कि ‘मेरी रिश्वत खाओ या मेरी गोली’. उसके लोग सरकारी अफसरों से पूछा करते ‘प्लाता ऑर प्लोमो?’ यानी सिल्वर या सीसा? जिसका असली मतलब था रिश्वत या मौत? उस दौर इस सवाले ने पूरे कोलंबिया में दहशत पैदा कर दिया था. जहां इस सवाल के जवाब देने पर हजारों सरकारी अफसरों की जान गई तो वहीं हजारों बहुत अमीर हो गए.
ऐसा माना जाता था कि करीब 4 से 5 हजार मौतों का जिम्मेदार था एस्कोबार. पाब्लो के भाई रॉबर्टो एस्कोबार की एक बुक ‘इन द अकाउंटेंट्स स्टोरी’ में पाब्लो के कई राज खोले गए हैं. जिसके अनुसार उसके धंधे का तरीका बहुत अलग था. वो कोकीन प्लेन के टायरों में छिपा देता था और इस काम के लिए पायलटों को 5 लाख डॉलर एक फ्लाइट के लिए देता था और इस तरकीब से उसने कई टन कोकीन स्मगल करवाए. एक फ्लाइट से कम से कम 5 से 11 टन कोकीन की स्मगलिंग की जाती और एक बार में 5 लाख डॉलर से अधिक की कमाई होती थी.
आपको बता दें कि एस्कोबार ने इतनी बेशुमार दौलत कमाई कि उस वक्त फोर्ब्स मैगजीन ने उसे दुनिया का 7वां सबसे अमीर आदमी बताया। एस्कोबार के भाई के मुताबिक उसके पास इतना पैसा था कि उसके गोदाम कैश से भरे रहते और जब और ज्यादा कैश आया तो जमीन खोदकर कैश गड़वाया गया.
एस्कोबार ने धीरे-धीरे अमेरिका में भी पैर पसारने शुरू कर दिए और यहां 80 फीसदी कोकीन उसी के यहां से सप्लाई की जाने लगी. कहने वाले कहते हैं कि एक बार तो हद ही हो गई जब एक यात्रा के दौरान सर्दी लगने पर उसने अपने परिवार को ताप देने के लिए 3 मिलियन डॉलर के नोट जलाकर खाक कर दिए थे यानि कि 13 करोड़ रुपये उसने आग में जला डाले.
बाद में अमेरिकी एजेंसिया उसके पीछे पड़ी और ऐसे में प्रत्यर्पण से बचने का रास्ता उसने पॉलिटिक्स से निकाला. वो कोलंबिया की लिबरल पार्टी में शामिल हुआ और फिर 1982 में वहां की संसद के निचले सदन के ऑल्टरनेट मेंबर के रूप में चुन लिया गया. इस दौरान स्पेन में उसका ड्रग का काला कारोबार अपने चरम पर था.
कोई शख्स क्राइम का बादशाह ही क्यों न हो एक बार उसे जेल तो जाना ही पड़ता है. ज्यादातर बार ऐसा ही होता है. एक समय में हिंसक बने रहना पोब्लो के लिए ठीक नहीं था ऐसे में उसने हिंसा छोड़ने की घोषणा की और साल 1991 में सरेंडर कर लग्जूरियस प्राइवेट जेल ‘ला कैथीड्रल’ में कैद कर लिया गया लेकिन जेल में जिस तरह से वो जी रहा था ऐसे में ये कहना बेहद मुश्किल था कि क्या वाकई में वो सजा काट रहा था क्योंकि उसकी जिंदगी जेल में भी ऐशो आराम से बीत रही थी और इसकी खूब चर्चा थी। तो दूसरी तरफ उसके सरेंडर करने को लेकर विवाद भी खड़ा हो गया था.
दरअसल, कोलंबिया के नए संविधान के तहत कोलंबियाई नागरिकों के प्रत्यर्पण पर रोक की व्यवस्था शुरू कर दी गयी थी और इसी को लेकर विवाद खड़ा हो गया. कहा ये जाने लगा कि एस्कोबार ने संविधान बनाने वालों को भी प्रभावित कर दिया. और तो और जेल जाने का असर ना तो उसके काले कारोबरा पर पड़ा और न ही उसके राजनीतिक करियर पर बल्कि दोनों ही अपनी रफ्तार से चलते रहे. एक दौर ऐसा आया कि कोलंबिया का पूरा हुलिया ही बदल गया. लोग दहशत की जिंदगी जीने लगे। साल 1992 में कोलंबिया में 27 हजार मौतें हुईं और ये मौतें कुछ वहां के गृह युद्ध और कुछ एस्कोबार के असर का नतीजा थीं.
एस्कोबार की एक पहचान गरीबों का रॉबिनहुड के तौर पर भी थी. एस्कोबार एक ही साथ दो व्यक्तित्व अपने साथ रखता था. एक क्रिमिनल के तौर पर और दूसरा गरीबों का रॉबिनहुड. गरीब उससे प्यार करते और वो उन गरीबों से. एस्कोबार हमेशा ही गरीबों के लिए काम करता. उसके लिए घर और दूसरी बुनियादी जरूरतों के लिए पैसे बांटे. गरीब उसे एक अच्छे व्यक्ति के रूप में पहचान थे।
एस्कोबार को आसान मौत नहीं मिली. पुलिस प्रशासन की बात की जाए तो इस कार्रवाई में उसे भी काफी मशक्कत करनी पड़ी. कोलंबियाई पुलिस की एक नयी ब्रांच ‘सर्च ब्लॉक’ ने साल 1993 के 2 दिसंबर को एस्कोबार को मार गिराया। रेडियो ट्राएंगुलेशन टेक्नॉलजी के मुताबिक मेडिलीन में मिडल क्लास इलाके में एस्कोबार छिपा था जहां दो गुटों में शूटआउट हुआ. ऐसे में एस्कोबार और उसके बॉडीगार्ड ने छत पर चढ़कर भागने की कोशिश की लेकिन तभी उन्हें मार गिराया गया. इस बात की पुष्टि तो नहीं कि एस्कोबार को गोली लगी थी या फिर उसने खुद को गोली मार ली लेकिन हां उसके परिवार के कई सदस्य उसके सुसाइड करने की संभावना पर हामी भरती हैं.
उससे लोग कितना प्यार करते थे ये तब और उजागर हुआ जब 1993 में उसकी मौत के बाद उसकी विदाई में 25 हजार से ज्यादा लोग इकट्ठा हुए। उसने अपनी जिंदगी में खूनी खेल रचा, बेशुमार दौलत कमायी लेकिन गरीबों का बेइंतहां प्यार भी हासिल किया लेकिन एक बात बार बार जरूर दोहराई जाएगी कि उसके जैसा क्रिमनल शायद ही कोई दूसरा हुआ हो और भविष्य में कभी हो पाए.