असली मसाले सच सच…MDH..MDH..ये ऐड तो आपने देखा जरूर होगा। MDH ग्रुप के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी का 2020 में ही निधन हुआ है। 98 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा। मसाला किंग धर्मपाल गुलाटी को पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।
बंटवारे के बाद आए थे भारत
27 मार्च 1923 को महाशय धर्मपाल का जन्म सियालकोट (अब ये पाकिस्तान में है) में हुआ था। वो केवल 5वीं कक्षा तक ही पढ़े हुए है। इसके बाद उन्होनें स्कूल छोड़ दिया था। 1937 में अपने पिता की सहायता करने के लिए उन्होनें व्यापार शुरू कर दिया था। जब साल 1947 में भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ, तो धर्मपाल गुलाटी दिल्ली आ गए।
करोल बाग में खोली थी छोटी सी दुकान
जब वो भारत आए थे तो उस समय उनके पास सिर्फ 1500 रुपये ही थे। उन्होनें 650 रुपये में एक तांगा खरीदा और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से कुतुब रोड के बीच इसे चलाया। बाद में उन्होनें ये तांगा अपने भाई को दे दिया। फिर उन्होनें इसके बाद करोलबाग पर एक छोटी-सी दुकान लगाई और मसाले बेचने शुरू किया। उनका मसालों का कारोबार खूब चल पड़ा और MDH एक ऐसी ब्रांड बन गई, जो सिर्फ देश ही नहीं दुनिया में फैल गई। साल 1959 में धर्मपाल गुलाटी ने आधिकारिक तौर पर इस कंपनी की स्थापना की थी।
ब्रिटेन से लेकर यूरोप, यूएई, कनाडा समेत कई देशों में MDH भारतीय मसालों का निर्यात करती है। 2019 में भारत सरकार ने उनको पद्म भूषण से सम्मानित किया था।
अपना व्यापार को दुनियाभर में मशहूर करने के अलावा धर्मपाल गुलाटी ने कई समाजसेवी भी काम किए। उन्होनें कई अस्तपाल, स्कूल और विद्यालय बनाए है। वो अब तक 20 से भी अधिक स्कूल खोल चुके हैं। MDH मसाले के मुताबिक धर्मपाल गुलाटी अपने वेतन की करीब 90 फीसदी राशि दान में दे देते थे। उनकी कंपनी महाशियन दि हट्टी (MDH) ग्रुप की वैल्यूएशन अभी करीब 2000 करोड़ रुपये से भी अधिक है।