झारखंड चुनाव 2019 के नतीजे से ये लगभग तय हो गया है कि 3 बार के मुख्यमंत्री रहे शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे. झारखंड के बेहद कद्दावर राजनीतिक इस परिवार के बहुत से रोचक किस्से हैं, तो आइए आपको हेमंत सोरेन के पारिवारिक और राजनैतिक सफर समेत उन किस्सों के बारे में बताते हैं…
हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन को अपना राजनीतिक सफर हार से शुरू करना पड़ा तो वहीं, बेटा हेमंत सोरेन ने राजनीतिक करियर की पारी छात्र जीवन से ही शुरू की. इनके पिता शिबू सोरेन ने साल 1977 में पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उस दौरान उन्हें हार मिली. साल 1980 में वो पहली बार लोकसभा सांसद चुने गए. इसके बाद 1989, 1991 और 1996 में इन्होंने लोकसभा चुनाव जीते. वहीं अगर बात करें हेमंत सोरेन की तो इनका भी पहला चुनाव अच्छा नहीं रहा था, साल 2005 में दुमका सीट पर वो 3 नंबर पर रहे थे.
उपमुख्यमंत्री भी रह चुके हैं हेमंत
10 अगस्त 1975 को रामगढ़ जिले के सुदूर नेमरा गांव में जन्में हेमंत सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री के तौर पर साल 2013 के 13 जुलाई को शपथ ली थी. इससे पहले साल 2010 में बीजेपी के अर्जुन मुंडा की सरकार में ये उपमुख्यमंत्री के पद पर भी रह चुके थे.
हेमंत सोरेन का परिवार और राजनीतिक जीवन
हेमंत सोरेन के बड़े भाई और जामा से विधायक रहे दुर्गा सोरेन का निधन हो चुका है. ये साल 1995 से 2005 तक जामा से विधायक रहे थे. वहीं, अब दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन जामा से विधायक हैं. हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन निजी स्कूल की संचालन है. इनके दो बेटे निखिल और अंश हैं. हेमंत की एक बहन अंजली है, जिनकी शादी हो चुकी है. हेमंत की मां रूपी सोरेन चाहती थीं कि वो इंजीनियर बने लेकिन उन्होंने 12वीं कक्षा तक ही पढ़ाई की. हेमंत ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए दाखिला तो लिया लेकिन उन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी.
राज्यसभा से दे दिया इस्तीफा
हेमंत सोरेन साल 2003 में छात्र मोर्चा की राजनीति की शुरुआत की, जिसके बाद वो आगे बढ़ते ही गए. साल 2009 में हेमंत सोरेन राज्यसभा के सदस्य चुने गए. विधानसभा चुनाव 2009 में संथाल परगना के दुमका सीट से जीत हासिल की और राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया. 28 साल की उम्र में हेमंत सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री बने.