1 फरवरी 2021 को भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का आम बजट पेश करेगीं। कोरोनामहामारी की वजह से आर्थिक संकट से जूझ रही देश की जनता को इस बार के बजट से काफी उम्मीदें है। कोरोना संकट के कारण लाखों लोगों की नौकरियां चली गई। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस बार का आम बजट आम लोगों के लिए कुछ खास सौगातें लेकर आएगा। बजट के पेश होने से पहले आइए इससे जुड़ी कुछ रोचक बातें बताते हैं, जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगे…
क्यों बनाया जाता है बजट?
केंद्रीय बजट या आम बजट पूरे साल होने वाले खर्चे का विवरण होता है। इसमें बीते तीन सालों में हुए खर्चो का भी विवरण लिया जाता है, जिसके आधार पर ये तय होता है कि सरकार एक साल में क्या नई योजना लाने वाली हैं और इस पर कितना पैसा खर्च होगा। साथ ही कहां कहां से पैसा आएगा।
कैसे पड़ा बजट नाम?
दरअसल भारत के संविधान में बजट जैसे शब्द का कहीं उल्लेख ही नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 112 में बजट के बजाए वार्षिक वित्तीय विवरण नाम दिया गया है। बजट शब्द फ्रेंच भाषा के एक शब्द Bougette से निकला है। इसका मतलब होता है चमड़े की अटैची। जिसमें सरकार के खर्चों का और वित्त मंत्री के भाषण का विवरण होता है। इस अटैची को पहली बार ब्रिटिश संसद में बजट पेश करने के लिए इस्तेमाल किया गया था। साथ ही भारत में भी पहले चमड़े के काले अटैची में ही बजट लाया जाता था। जिसके कारण ही इसे बजट नाम दिया गया।
कैसे बनाया जाता है बजट?
बजट की तैयारी महीनों पहले यानी अगस्त-सितंबर के महीने से ही शुरू हो जाती है। सबसे पहले मंत्रालय की तरफ से हर मंत्रालयों और विभागों को एक सर्कुलर भेजा जाता है। इस सर्कुलर में मंत्रालयों और विभाग से ये जानकारी मांगी जाती है कि उनको किस काम के लिए कितने फंड की जरूरत है। फिर इसी के मुताबिक बजट का खाका तैयार किया जाता है।
बजट के लिए कई चरणों में बैठक की जाती हैं। सरकार केवल अपने मंत्रालयों और विभागों से ही बात नहीं करती, इसके लिए उद्योगपतियों, किसानों, मजदूर यूनियनों समेत दूसरे समूहों के साथ भी बैठकें की जाती हैं।
फिर बजट तैयार करने की बारी आती है। बजट से एक हफ्ते पहले हलवा सेरेमनी की जाती है। जिसके बाद ‘लॉक इन प्रक्रिया’ भी शुरू हो जाती है। जो भी बजट तैयार करने वाली टीम में शामिल होने वाले अधिकारी, टेक्नीशियन्स, स्टेनोग्राफर्स समेत जितने लोग होते हैं, उनको वित्त मंत्रालय के बेसमेंट में ‘लॉक’ कर दिया जाता है। जिसके बाद अगले 7 दिनों तक बाहरी दुनिया से इतना पूरी तरह से नाता ही खत्म हो जाता है। मंत्रालय के बेसमेंट में ही रहकर टीम बजट तैयार करती है।
क्यों किया जाता है ऐसा?
ऐसा इसलिए किया जाता है, जिससे बजट को पूरी तरह से गोपनीय रखा जा सके। किसी भी हाल में बजट को लेकर जो भी प्लेनिंग की गई है वो लीक ना हो और इससे कोई छेड़छाड़ न हो सके। प्रिंटिंग से पहले तक केवल वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री को ही बजट में क्या क्या है इसकी जानकारी होती है।
बजट तैयार करने की टीम में शामिल लोगों पर इंटेलीजेंस ब्यूरो के अधिकारी नजर रखते हैं। वो सबकी मूवमेंट्स और फोन कॉल्स पर नजर रखते हैं। जानकारी लीक ना हो, इसके लिए एक फोन जैमर भी इंस्टॉल किया जाता है, जो कॉल्स वगैरह को ब्लॉक कर देता है। इस 7 दिनों के दौरान टीम में शामिल लोगों को परिवारवालों से संपर्क करने की इजाजत नहीं होती।बजट तैयार होने के बाद इसकी प्रिटिंग का काम होता है, हालांकि इस बार कोरोना महामारी के चलते ऐसा नहीं होगा।
कैसे पेश होता है बजट?
जिस दिन बजट पेश होता है उस दिन पहले राष्ट्रपति से परमिशन ली जाती है। उनकी परमिशन के बाद बजट पेश होने से एक घंटे पहले कैबिनेट मीटिंग होती है, जिसमें बजट का एक ब्रीफ आइडिया दिया जाता है। फिर पीएम से सभी प्रस्तावों पर चर्चा करके पीएम से अनुमति लेनी होती है। सभी टैक्सी और खर्चों की मंजूरी का इजाजत लोकसभा से ली जाती है। इसके बाद ही इस पर राज्यसभा में बहस होती है और फिर इसे पारित मान लिया जाता है।