सदियों से चले रहे अयोध्या विवाद पर आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है. लंबे अरसे से देशवासी जिस फैसले का इंतजार कर रहे था वो राम मंदिर के पक्ष में आया. सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन को रामलला विराजमान को देने का फैसला दिया, जबकि मुस्लिम पक्ष को अलग से अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच ने इस मामले पर 40 दिनों तक सुनवाई की थी. जिसके बाद 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था.
40 दिनों तक कोर्ट में चली तीखी बहस के बाद 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ये ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इस मामले की सुनवाई कर रही 5 जजों की बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की शामिल थे. आइए इन जजों के बारे में कुछ खास बातें जिन्होनें बरसों पुराने अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाया है.
- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व में ही 5 जजों की बेंट अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही थी. उनका जन्म 18 नवंबर 1954 को हुआ था. रंजन गोगोई ने 1978 में बार काउंसिल ज्वाइन की थी. 2001 में गोगोई गुवाहाटी हाईकोर्ट के जज बने थे. इसके बाद 2010 में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में बतौर जज नियुक्त हुए थे. 2011 में रंजन गोगोई पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस भी बन गए थे. 23 अप्रैल 2012 में जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे. रंजन गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर 3 अक्टूबर को पदभार संभाला था. वो इसी 17 नवंबर को रिटायर भी हो रहे है. बतौर चीफ जस्टिस उन्होनें अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए है.
2. जस्टिस एस.ए बोबड़े
जस्टिस एस.ए बोबड़े इस पीठ के दूसरे जज हैं. रंजन गोगोई के रिटायर होने के बाद वो ही अगले चीफ जस्टिस होंगे. जस्टिस एस.ए बोबड़े ने 1978 में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र ज्वाइन की थी. इसके बाद उन्होनें बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में लॉ की प्रैक्टिस की. 1998 में एस.ए बोबड़े वरिष्ठ वकील भी बने थे. 2000 में उन्होनें बॉम्बे हाईकोर्ट में बतौर एडिशनल जज पदभार संभाला था. साथ ही वो मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के भी चीफ जस्टिस रह चुके हैं. साल 2013 में उन्होनें सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर कमान संभाली. वो 18 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर पदभार ग्रहण करेंगे. जस्टिस एस. ए. बोबड़े 23 अप्रैल, 2021 को रिटायर होंगे.
3. जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़
13 मई 2016 को जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर पद संभाला था. उनके पिता जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ भी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं. इससे पहले जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे. वो बॉम्बे हाईकोर्ट में बतौर जज भी काम कर चुके हैं. जज नियुक्त होने से पहले वो देश के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल भी रह चुके हैं. जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ सबरीमाला, भीमा कोरेगांव, समलैंगिकता जैसे कई बड़े मामलों पर फैसला सुनाने वाली पीठ का हिस्सा रह चुके हैं.
4. जस्टिस अशोक भूषण
जस्टिस अशोक भूषण का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर में हुआ है. अशोक भूषण ने 1979 में यूपी बार काउंसिल ज्वाइन की थी. इसके बाद उन्होनें इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस भी की थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट में अशोक भूषण ने कई पदों पर काम किया है. 2001 में जस्टिस अशोक भूषण बतौर जज नियुक्त किए गए थे. साल 2014 में वो केरल हाईकोर्ट के जज बने थे और 2015 में वो वहां के चीफ जस्टिस बने थे. सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में उन्होनें 13 मई 2016 को कार्यभार संभाला था.
5. जस्टिस अब्दुल नज़ीर
1983 में जस्टिस अब्दुल नज़ीर ने वकालत शुरू की थी. उन्होनें कर्नाटक हाईकोर्ट में प्रैक्टिस भी की है. इसके बाद अब्दुल नज़ीर ने बतौर एडिशनल जज और परमानेंट जज काम किया है. 17 फरवरी 2017 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कार्यभार संभाला था.