इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के 15वें सीजन का इंतेजार क्रिकेट के करोड़ों चाहने वालों को बेसब्री से है। आईपीएल 15 का आगाज इस बार 26 मार्च से होने जा रहा है। 2 महीने तक ये टूर्नामेंट चलेगा, जिस दौरान 10 टीमें ट्रॉफी जीतने के लिए एक दूसरे से भिड़ती हुई नजर आएगी। IPL का ये 15वां सीजन कई मायनों में खास और ग्रैंड होने वाला है। क्योंकि आईपीएल का हिस्सा इस बार 8 की जगह 10 टीमें होगीं। 2 नई टीमें लखनऊ सुपर जायंट्स और गुजरात टाइटंस भी IPL 15 में जुड़ चुकी है।
इसके अलावा IPL 15 में एक और बड़ा बदलाव हुआ और वो है टूर्नामेंट के स्पॉनसर से जुड़ा। चीनी कंपनी वीवो अब आईपीएल की स्पॉनसर नहीं है। इस बार टाटा ग्रुप के रूप में नया टाइटल स्पॉन्सर मिल गया है, जिसके बाद अब इसे अब इसे टाटा आईपीएल (Tata IPL) कहा जाएगा। आईपीएल 2023 तक टाटा ही IPL की स्पॉनसर रहेगी।
BCCI को टाटा ग्रुप का स्पॉन्सर बनने पर तगड़ा फायदा होने जा रहा है। क्योंकि टाइटल स्पॉन्सरशिप के लिए टाटा ग्रुप BCCI को 670 करोड़ देगा। वहीं Vivo कॉन्टैक्ट खत्म करने के लिए कुल 454 करोड़ रुपये का भुगतान करेगा। BCCI को इससे 2022 और 2023 के लिए 1,124 करोड़ रुपये की बड़ी कमाई करेगा।
आज हम आपको IPL की नई स्पॉनसर Tata Group से जुड़ी ही कुछ बातें अपने इस आर्टिकल में बताने जा रहे हैं…
टाटा कंपनी हमारे देश की सबसे पुरानी मल्टीनेशनल कंपनियों में से एक है। टाटा ग्रुप 100 से भी ज्यादा देश में अपना बिजनेस करती है। आज लगभग हर कोई टाटा कंपनी का कोई ना कोई प्रोडक्ट इस्तेमाल करता है। टाटा कंपनी का देश की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान है। रसायन, उपभोक्ता उत्पाद से लेकर ऊर्जा, इंजीनियरिंग, सूचना प्रणाली, सामग्री और सेवाएं समेत कई प्राथमिक व्यावसायिक क्षेत्र इसमें शामिल हैं।
टाटा ग्रुप का इतिहास 150 साल पुराना है। इस कंपनी की शुरुआत जमशेद जी टाटा ने की थी। जमशेद जी टाटा का जन्म 3 मार्च 1839 को भारतीय पारसी परिवार में हुआ। पढ़ाई पूरी करने के बाद वो अपने पिता के बिजनेस को संभालने लगे। साल 1868 में उन्होंने एक दिवालिया तेल मिल खरीद ली और वहां रुई का कारखाना शुरू किया। उसके बाद बहुत से क्षेत्रों में काम किया।
टाटा कंपनी को शुरुआत करने के साथ-साथ जमशेद जी ने होटल बनाना, स्टील कंपनी खोलना, एक वर्ल्ड क्लास इंस्टीट्यूट और एक हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्लांट की शुरुआत करने का लक्ष्य तय किया था। इनको पूरा करने के लिए जमशेद जी ने काफी मेहनत की। उन्होंने एक आलीशान होटल बनाकर अपना सपना भी पूरा किया, जिसे आज सब ताज होटल के नाम से जानते हैं। 1904 में जमशेद जी की मृत्यु हो गई, जिसके बाद उनके बेटे दोराब जी टाटा कंपनी के नए मालिक बने। दोराब के नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने तेजी से विविधीकरण किया, जिसमें स्टील, बिजली, शिक्षा, उपभोक्ता सामान, और विमानन समेत नए उद्योगों की विशाल श्रृंखला में प्रवेश किया।
1932 में दोराब की मृत्यु हुई, जिसके बाद सर नौरोजी सकलतवाला अध्यक्ष बने। उनके हाथों में 6 सालों तक कंपनी की कमान रही। फिर ये जिम्मेदारी 1938 में जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा (जेआरडी) को मिली। जेआरडी टाटा ने नए क्षेत्रों में कंपनी का विस्तार किया। इनमें कैमिकल, प्रौद्योगिकी, कॉस्मेटिक्स, मार्केटिंग, इंजीनियरिंग और Manufacturing, चाय और सॉफ्टवेयर सेवाओं शामिल रही, जिसे उन्होंने इंटरनेशनल पहचान भी दिलाई।
1945 में टाटा ग्रुप ने टाटा इंजीनियरिंग और लोकोमोटिव कंपनी Telco की स्थापना की, जिसका 2003 में नाम बदलकर टाटा मोटर्स रख दिया गया। 1991 में जेआरडी टाटा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और उसके बाद से अब तक का कार्यभार रतन जी टाटा संभाल रहे हैं। उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप्स और तेजी से बढ़ने लगा। 30 दिसंबर 1998 को टाटा कंपनी ने मेड इन इंडिया इंडिका कार लॉन्च की। इसके साथ ही रतन टाटा का ड्रीम प्रोजेक्ट भी पूरा हुआ। हालांकि इस कार की काफी आलोचना हुई थी और कार कंपनी को बेचने तक का सुझाव दिया गया। रतन टाटा कंपनी बेचने के लिए अमेरिका फोर्ड के पास गए। हालांकि इस दौरान रतन टाटा को फोर्ड कंपनी के सीईओ की काफी चुभ गई। दरअसल, सीईओ ने रतन टाटा से कहा था कि अगर कार बनानी नहीं आती तो इतना पैसा क्यों लगाया इस कंपनी में। उनकी ये बातें सुनकर रतन टाटा कंपनी बिना बेचें अमेरिका से वापस आ गए और पूरा ध्यान टाटा मोटर्स पर डाल दिया।
सालों तक मेहनत और रिसर्च करने के लिए टाटा ने इंडिका कार का सेकंड मॉडल इंडिका V2 लॉन्च किया, जो लोगों को बहुत पसंद आई। जहां एक ओर कार के चलते टाटा का बिजनेस काफी आगे बढ़ रहा था, तो दूसरी ओर अमेरिकी कंपनी फोर्ड अपने नए मॉडल जैगुआर और लैंड रोवर की वजह से काफी घाटाल झेल रही थी। 2008 आते आते फोर्ड कंपनी दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई, तब वो रतन टाटा ही थे जिन्होंने फोर्ड कंपनी के सामने उनके लक्ज़री कार जैगुआर और लैंड रोवर ब्रांड को खरीदने का प्रस्ताव रखा। 9300 करोड़ में टाटा ग्रुप्स ने इस लग्जरी ब्रांड को खरीद लिया।
इसके अलावा भी टाटा कंपनी ने और भी कई विदेशी कंपनियों को खरीदा। 2008 में रतन टाटा ने दुनिया की सबसे बड़ी टी बैग्ज कंपनी ‘टेटली’ को ख़रीदा। इसके अलावा टाटा ग्रुप साउथ कोरिया की ‘Daewoo Commercial Vehicle’ कंपनी को ख़रीद चुका है। इसके अलावा इस लिस्ट में 2007 में रतन टाटा ने लंदन के ‘Corus Group’ नाम की कंपनी को खरीद लिया था।
22 सालों के बाद 28 दिसंबर 2012 को रतन टाटा ने टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया। फिर Cyrus Mistry टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने थे। फिर बाद में उन्हें चेयरमैन के पद से हटा दिया गया। फिलहाल एन चंद्रशेखरन कंपनी के चेयरमैन के तौर पर काम संभाल रहे है।