दुनिया में कई ऐसी खूबसूरत जगहें हैं जहां के लिए एडवेंचरस टूर को पेलैन किया जा सकता है और कोई घुमंतू शख्स है तो उसके लिए तो दुनिया जहान में कई जगहों पर घूमने के ऑप्शन यूं मिलते रहते हैं। आज हम आपको एक जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां लोग घूमने तो जाते हैं, लेकिन उस जगह से जुड़ी रहस्य के बारे में जान नहीं पाते हैं।
दरअसल, दुनिया में कई ऐसी जगहें है जिनको लेकर बड़े बड़े रहस्य है और इन रहस्यों से आज तक पर्दा नहीं उठा। कई जगहें तो अपने भारत में ही है। तो इन्हीं में से एक जगह के बारे में आज हम जिक्र बताएंगें और वो जगह है हिमालय की चोटी कंचनजंगा।
आपने काफी सारी कहानियां अपनी पूरी लाइफ में सुनी होंगी कि कंचनजंगा के बारे में या फिर उससे जुड़ी रहस्यों के बारे में। अगर नहीं सुनी तो हम हैं न हम आपको इस बारे में बताएंगे। हिमालय की इस खास चोटी की खास बातें भी हम आपको बताएंगे।
सबसे पहले कंचमचंगा के नाम से जुड़ी जानकारी के बारे में जानते हैं-
भले ही हमें कंचनजंगा एक ही नाम लगे पर असल में ऐसा है नहीं बल्कि। चार तिब्बतियन शब्दों से मिलकर इस नाम को इजाद किया गया है। ये शब्द कुछ ऐसे हैं- कांग मतलब बर्फ, चेन मतलब बड़ा, इजो मतलब खजाना, अंगा मतलब पांच। पूरा मतलब है बर्फ में दबे पांच खजाने और इन खजानों के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इन हर खजानों को भगवान ने रखा है।
क्या आपको पता है कि इस चोटी पर कोई जाता ही नहीं लेकिन क्यों, चलिए जवाब तलाशते हैं-
दो लोग जो ब्राउन और जॉर्ज बैंड थे, जिन्होंने कंचनजंगा पर 25 मई 1955 को चढ़ाई की और इस दौरान वहां के लोकल लोगों दोनों ने प्रॉमिस किया कि दोनों पर्वत की चोटी पर नहीं जाएंगे। ऐसा भी कहते हैं कि कंचनजंगा की चोटी पर भगवान वास करते हैं इसलिए वहां नहीं जाता कोई। इसकी चोटी पर अबतक कोई खड़ा ही नहीं हो पाया है, इसके चोटी को लेकर कुछ ऐसी बातें की जाती है। वैसे 200 पर्वतरोहियों ने चोटी के बेहद करीब तक जाने की की ऐसे में कुछ लोगों की मौत भी हुई। ऐसी स्थिति में कंचनजंगा चोटी से कुछ दूरी पर ही लोग रुक जाते हैं।
लोगों के गायब हो जाने के पीछे का माजरा आज तक समझ नहीं आ सका…
कहते हैं कई लोग यहां गायब ही हो गए। तुलशुक लिंग्पा जोकि एक तिब्बतियन भिक्षु था अपने 12 साथियों के संग उसने एक नए रास्ते को तलाशा और इस चोटी पर निकला था। इस रास्ते पर वो तेजी से और जोर से मंत्र पढ़ता जाता था। लोगों का मानना है कि इसके बाद वो कही गायब हो गया, तो कुछ मानते हैं कि वो हिमस्खलन की जद में आ गया।
यहां शव के नहीं मिलते हैं नामोनिशान
कहते हैं कि जो भी कंचनजंगा पर मौत की जद में आया उसका शव भी नहीं मिला। साल 1992 की ही बात ले लीजिए जब कंचनजंगा पर चढ़ने की कोशिश में एक पोलिश पर्वतारोही ने और हिमालय की सभी 14 चोटियों पर वो चढ़कर ऐसा करने वाली वो पहली महिला बनना चाहती थी पर एकाएक वो कही गायब हो गई और उसकी बॉडी कही मिली ही नहीं।