इस साल का पहला तूफान कई हिस्सों में तबाही मचाने जा रहा है। चक्रवात ‘तौकते’ ने देश में दस्तक दे दी है और अगले कुछ दिन काफी भारी बताए जा रहे है। इस चक्रवात तूफान का असर देखने को मिल रहा है। इस साइक्लोन का असर कर्नाटक में देखने को मिलने लगा है। कर्नाटक में तेज बारिश के चलते 4 लोगों की मौत हो गई। वहीं कई गांव भी प्रभावित हुए। गोवा भी इस तूफान की वजह से काफी प्रभावित बताया जा रहा है। वहीं इसके जल्द ही मुंबई पहुंचने की संभावना है। तौकते तूफान के मद्देनजर गुजरात भी हाई अलर्ट पर है।
हर साल कुछ साइक्लोन देश में आते है और तबाही में मचाते है। पिछले साल अम्फान समेत कुछ तूफानों ने देश में दस्तक दी थीं। आपने ये बात तो नोटिस की हो कि जितने भी तूफान आते है, उनके नाम अलग अलग होते है। जिसको लेकर आपके मन में ये सवाल उठते होंगे कि आखिर क्यों और कैसे इन चक्रवार्ती तूफानों का नामकरण कैसे होता है? आइए इसके बारे में आपको बताते हैं…
जानिए कैसे होता है तूफानों का नामकरण?
अटलांटिक क्षेत्रों में चक्रवाती तूफानों का नाम रखने के लिए 1953 में एक संधि हुई। वहीं 2004 में हिंद महासागर क्षेत्र के 8 देशों ने भी इन तूफानों के नामकरण की व्यववस्था शुरू की। तूफानों का नाम रखने के लिए एक पैनल होता है, जिसमें 13 देश शामिल हैं- भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका, मालदीव, ओमान,थाईलैंड, ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन।
इस लिस्ट में शामिल सभी देश तूफान के लिए नाम देते हैं। देशों को अल्फाबेट के हिसाब से पहले-दूसरे नंबर पर रखे जाते हैं। जैसे सबसे पहले नाम बांग्लादेश का आता है, फिर भारत और उसके बाद ईरान का। इस तरह सभी 13 सदस्य देशों के नाम का इस्तेमाल होता है। चक्रवातों का नामकरण करने का हर बार अलग देश का नंबर आता है। ये क्रम ऐसे ही चलता रहता है।
तौकते तूफान का नाम कहां से आया?
अरब सागर से आ रहे ‘तौकते’ तूफान का नाम म्यांमार से आया है। ये म्यांमार की एक छिपकली के आधार पर रखा गया। तूफानों के नामों को लेकर पिछले साल अप्रैल में ही नई सूची बनाई गई। पुरानी वाली सूची का सबसे आखिरी नाम अम्फान चक्रवात था।
बता दें कि आने वाले 25 सालों के लिए देशों से नाम लेकर सूची तैयार की जाती है। ये माना जाता है कि हर साल कम से कम 5 चक्रवता आएंगे, इसके आधार पर ही नामों की संख्या तय होती है। नई सूची में देशों ने जो नाम दिए हैं, उसमें भारत की तरफ से गति, तेज, मुरासु, आग, नीर, प्रभंजन, घुरनी, अंबुद, जलाधि और वेग नाम शामिल है। वहीं इस लिस्ट में बांग्लादेश ने अर्नब, कतर ने शाहीन और बहार, पाकिस्तान ने लुलु और म्यांमार ने पिंकू नाम दिए हुए हैं।
क्यों रखे जाते हैं तूफानों के नाम?
चक्रवाती तूफानों का नाम वैज्ञानिक, विशेषज्ञों, आपदा प्रबंधन टीम और आम जनता की कंफ्यूजन को दूर करने के लिए किया जाता है। अगर किसी क्षेत्र में दो या उससे ज्यादा चक्रवात एक साथ आ रहे है, तो इससे भ्रम की स्थिति पैदा ना हो, इसलिए ऐसा किया जाता है। वहीं भविष्य में चक्रवात का उल्लेख या चर्चा करने में कोई समस्या ना हो, इसलिए भी तूफानों का नामकरण होता है। ये कोशिश की जाती है कि चक्रवात तूफानों के नाम को छोटा, सरल और आसानी से समझने वाला हो। वहीं ये सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील भी नहीं होना चाहिए, जिससा कोई भड़काऊ अर्थ हो।