“सुहागरत” ये शब्द ज्यादातर लोगों के जीवन में अहम जगह रखता है. इसका अर्थ ही ये बयां कर देता है कि एक सुहागिन महिला अपने पति के साथ रात गुजार रही है, लेकिन अगर इस शब्द का कोई बिल्कुल ही अर्थ बदल दे तो? कुछ ऐसा मोहन नाम के स्कूल टीचर ने किया, उसने सुहागरात के नाम से एक नहीं दो नहीं बल्कि 32 महिलाओं को अपना शिकार बनाया, इतना ही नहीं उन्हें सुहागरात के बाद मौत के घाट भी उतार दिया करता था.
भले ही ऐसे किसी व्यक्ति के बारे में केवल सोचकर ही आपकी रूह कांप उठी हो लेकिन ये एक काला और भयानक सच है. जिसे जानकर हर कोई हैरान है तो आइए आपको इस सीरियल किलर के बारे में विस्तार से बताते हैं…
कर्नाटक का कुख्यात सीरियल किलर साइनाइड मोहन ने 6 साल में 32 महिलाओं को सुहागरात के बाद मौत के घाट उतारा है. ये पहले तो महिलाओं को शादी का झांसा देकर फंसता था और फिर उसके साथ रातभर सुहागरात मनाने के अगले दिन उसे गर्भनिरोधक गोली खाने के लिए कहता था. इस दौरान वो महिलाओं को गोली देते वक्त उसमें साइनाइड मिलाकर उनकी हत्या कर देता था और फिर उनके गहने लूट लेता था.
शादी के झांसे से लेता था जान
साइनाइड मोहन ने साल 2003 में सुनंदा नाम की एक महिला को पहले शादी का झांसा दिया और फिर कुछ दिनों बाद उसकी हत्या कर दी. वो अपने घर से मंदिर जाने के लिए निकली थी, लेकिन उसके बाद वो किसी को नहीं मिली. मिला तो उसका शव वो भी मैसूर बस अड्डे पर.
बस स्टैंड पर ही होती थी महिलाओं की मौत
साल 2009 में मोहन कुमार ने अपना नाम आनंद रखते हुए अनिता को फंसाया. पहले तो उसने अनीता को अपनी गर्लफ्रेंड बनाया और फिर उससे शादी का वादा किया, जिसके चलते अनीता अपने घर से ही भाग गई और फिर कर्नाटक के हसन ज़िले के एक बस स्टैंड से मोहन यूफ आनंद ने अनिता को साथ लिया फिर उसे एक होटल में ले गया. इन दोनों ने योजना बनाई कि वो दूसरे दिन मंदिर में जाकर शादी कर लेंगे, लेकिन अनीता आंनद के षड्यंत्र से अनजान थी. जिसके चलते शादी करने के दिन पहली ही रात को आनंद और अनिता के बीच शारीरिक संबंध बने, जिसके बाद सुबह होते ही अनिता शादी के लिए तैयार हो रही थी. शादी के लिए कुछ इंतज़ाम करने का कह कर आनंद होटल से बाहर निकल गया और अनिता को बस स्टैंड पहुंचने के लिए कह दिया.
थोड़ी देर बाद जब अनीता बस स्टैंड पहुंची तो वहां पर ही आनंद, अनीता को मौत के घाट उतारने के इरादे से था, जिस वजह से उसने अनिता को अपनी जेब से एक टैबलेट निकालकर दी. कोई परेशानी न हो इसके लिए उसने अनिता को टैबलेट सार्वजनिक टॉयलेट में जाकर खाने को कहा और फिर उसके सारे गहने भी अपने पास रख लिए. फिर क्या आनंद के इरादों से अनजान अनीता गर्भनिरोधक गोली के लिए टॉयलेट में गई जहां उसकी मौत हो गई.
हत्या की वारदातों का हुआ खुलासा
वैसे तो ये सुहागरात का खेल काफी समझादारी से खेला जा रहा था लेकिन इस हत्या की गुत्थी को तो एक ना एक दिन सुलझना ही था. जब साल 2003 से 2009 के बीच दक्षिण कर्नाटक में मौत के लगभग 20 ऐसे मामले सामने आए, जिसमें महिलाओं की मौत बस स्टैंड के पास के सार्वजनिक टॉयलेट में ही हु. इन महिलाओं की उम्र 20 से 32 साल थीं और सभी महिलाए दुल्हन ही दिखी. वो भी गायब गहनों के साथ. पुलिस को इन मौतों में कई बातें एक जैसी दिखी थी लेकिन फिर भी वो किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही थी. वहीं जब अनीता का मामला सामने आया तो सारी पोलपट्टी खुल गई.
16 जून 2009 को बंटवाल से 22 साल की अनिता के गायब होने के बाद इस गुमशुदगी को सांप्रदायिक रंग दिया जाने लगा और फिर हंगामा इतना बढ़ा कि लोगों ने पुलिस स्टेशन जलाने की भी धमकी दी. उसके बाद पुलिस ने लोगों से इस मामले को एक महीने के अंदर सुलझाने का वादा किया. सभी गायब युवतियों के मामले भी अनिता के मामले के साथ ही खुलते गए और फिर तस्वीरें साफ होने लगीं.
सभी युवतियों का गायब होने का एक ही संबंध पुलिस को हाथ लगा, जो था मैंगलूरु का एक गांव. इस गांव में ही गायब हुई सभी युवतियों ने फोन किया था या फिर उन्हें इस गांव से कॉल की गई थी. वहीं पुलिस का शक पहले तो सैक्स रैकेट चलाने के मामले पर गया लेकिन फिर जब गायब हुई एक लड़की के फोन पर धनुष नाम के लड़के से बातचीत की बात सामने आई, जिसके बाद धनुष से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि उसे अंकल प्रोफेसर मोहन कुमार ने ये फोन दिया और कॉल्स भी उन्हीं के लिए आते थे. इस खुलासे के बाद मोहन की तलाश जारी हुई, इस दौरान पता चला कि मोहन, सुमित्रा नाम की लड़की से मौजूदा समय में घंटों फोन पर बात कर रहा है जो बंटवाल की रहने वाली है. पुलिस को इस गुत्थी को सुलझाते सुलझाते इस बात का पता चला कि वो ‘सायनाइड मोहन’ था.
वहीं, जब पुलिस ने प्रोफेसर मोहन को गिरफ्तार कर पूछताछ की तो वो शुरुआत में 32 महिलाओं को मारने की बात पर मुकर गया था,. बाद में उसने एक एक कर सभी खुलासे किए, मोहन ने बताया कि वो गरीब परिवार की लड़कियों को ही फंसाता था. इतना ही नहीं शादी की इच्छुक इस लड़कियों को इंप्रेस करने के लिए उनकी जाति का सरनेम लगा कर अपना नाम बताता था.
उसने आगे बताया की शादी के बाद या फिर पहले वो महिला को होटल में ले जाया करता था और वहां सुहागरात मनाने के बाद उन्हें दूसरे दिन किसी सार्वजनिक रेस्ट रूम में जाकर गर्भनिरोधक गोली खाने को कहता था. मोहन एक विज्ञान का शिक्षक था और इन गर्भनिरोधक गोलियों में वो पहले ही सायनाइड मिला देता था. जिसके खाकर महिलाओं की मौत हो जाती थी. उसके बाद मोहन लड़कियों की ज्वैलरी और कीमती सामान लेकर नौ दो ग्यारह हो जाता था.
आपको बता दें कि मोहन ने सीरियल किलिंग के लिए एक सुनार से लंबे समय तक गहनों से संबंधी काम करवाए. इतना ही नहीं हत्या में इस्तेमाल के लिए एक केमिकल डीलर से सायनाइड भी खरीदता रहा. पूछताछ के दौरान इस डीलर ने बताया कि वो सुनार समझकर मोहन को सायनाइड दिया करता था, जिसे ज्वैलरी के पॉलिश में इस्तेमाल किया जाता है. बता दें कि उस दौरान आसानी से सायनाइड केवल 250 रुपये खर्चकर एक किलो खरीदा जा सकता था.
मोहन इतना शातिर था कि वो हर हत्या के लिए हर बार नया नाम इस्तेमाल करता था. कभी आनंद, तो कभी भास्कर, तो कभी स्वामी. इस तरह से उसके लगभग 12 उपनाम थे. इतना ही नहीं वो हर लड़की को बताता था की वो सरकारी नौकरी करता है, जिससे कि लड़कियां जल्दी फंस जाती थी. बता दें कि साल 2009 में ही मोहन को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और फिर 4 साल तक उसके खिलाफ केस चला. जिसके चलते जज ने मोहन को कई हत्याओं का दोषी पाते हुए उसे दिसंबर 2013 में फांसी की सजा दे दी. इसके बाद से ही मोहन की पहचान सायनाइड मोहन के नाम होने लगी और फिर साल 2013 में उसे मौत की सज़ा सुना दी गई.