अक्सा शेख जिनकी कहानी इतनी इंस्पायरिंग है कि इसको जानकर और उस पर अमल करके कोई भी अपनी जिंदगी में आगे बढ़ सकता है। अक्सा शेख दिल्ली के हमदर्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग की असोसिएट प्रोफेसर हैं। वो एक ट्रांसजेंडर हैं। डॉक्टर अक्सा 38 साल की हैं और सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं। अक्सा एक प्राउड ट्रांसजेंडर महिला हैं। जिनकी कहानी संघर्ष को बयां करती है।
काफी संघर्षपूर्ण रहा बचपन
अक्सा के लिए खुद को इस कामयाबी के मुकाम तक लाकर खड़ा करना आसान नहीं था। मुंबई के मलाड में अपनी फैमिली को छोड़ 2010 में दिल्ली आकर यहीं बस जाने तक का उनका सफर संघर्ष से भरा रहा। पहले तो वो जाकिर हुसैन थीं। फिर साल 2013 में उन्होंने खुद को ही नया जन्म दिया और बन गईं अक्सा शेख। वो बताती है कि वो पैदा तो लड़का हुई थीं, लेकिन तीन-चार साल की उम्र से ही उनको लड़कियों जैसी फीलिंग आने लगी।
वो सिर्फ लड़कों के स्कूल में गईं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनका बचपन कितना संघर्षपूर्ण रहा होगा। अक्सा बताती है कि मैंने केईएम हॉस्पिटल के भीतर सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की अपनी स्टडी की, लेकिन वो अपनी पहचान को लेकर इस दौरान उलझन में रही। वो तब न तो खुद को हिजड़ा मानती और न तो मैं खुद को गे मानती।
कहते हैं कि जब कॉलेज के फर्स्ट ईयर में अक्सा थीं तब उनका जो ब्लड प्रेशर था वो बढ़ने लगा। तब एक डॉक्टर ने उनको सलाह दी कि वो Psychologist से मिलें। साल 2003 में जब Psychologist से वो मिलने लगी तो उन्हें अपने ट्रांसजेंडर होने के बारे में पता लगने लगा। तब तक फैमिली ने उनसे दूरी बनानी शुरू भी कर दी थी।
दिल्ली में जिंदगी कैसे बदलने लगी?
सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज से ही अक्सा ने एमडी की डिग्री भी पाई और एक NGO HLPF की हेल्प से दिल्ली आईं और साल 2013 में HIMSAR को ज्वॉइन किया। यहां उनको ऐसे लोग मिले जिनसे वो खुलकर बात कर सकती थी। उनका सपोर्ट अक्सा को खूब मिला। हालांकि फैमिली का सपोर्ट नहीं मिलने पर अक्सा के मन में खुदकुशी की भावनाएं आने लगीं। इसके बाद अक्सा ने लिंग बदलवाने का फैसला किया। फिर 4 जुलाई, 2019 को उन्होंने अपनी जिंदगी अक्सा नाम से शुरू की। उन्होंने कई ट्रांजिशन जैसे कि हॉर्मोनल, सर्जिकल, लीगल, एक के बाद एक ट्रांज़िशन कराया और फिर बन गई जाकिर से डॉक्टर अक्सा शेख।