दुनिया में हर देश को चलाने के लिए उनके खुद के नियम और कानून होते हैं, जिसे देश के धर्म-विचारधारा और जलवायु को ध्यान में रखते हुए बनाया जाता है। वहीं, आज हम आपको दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान कहलाए जाने वाले ‘भारत के संविधान’ के बारे में बताने जा रहे हैं। आखिर कैसे बनाया गया था, कब भारत में इसे लागू किया गया और इसे बनाने में कितना खर्चा आया था…
साल 1947 में जब भारत आजाद हुआ था, तब देश का कोई अपना कानून नहीं था। इस दौरान केवल आजादी पाना ही एकमात्र हल नहीं था। भारत को अपने खुद के कानून की जरूरत थी। इसलिए देश को चलाने के लिए संविधान बनाया गया। इस दौरान कई तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ा।
पहली बार भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन के अगुवाई कर रहे एम एन रॉय ने साल 1934 में संविधान सभा के दौरान भारत का संविधान तैयार करने का प्रस्ताव रखा था। 16 मई 1946 को इसका गठन कैबिनेट मिशन योजना के तहत किया गया था। वहीं, संविधान को तैयार करने के लिए ड्राफ्टिंग समिति का नियुक्तिकरण डॉ.भीम राव अम्बेडकर की अध्यक्षता में 29 अगस्त 1947 को संविधान सभा ने किया था।
ऐसे बना भारत का संविधान
ड्राफ्टिंग समिति के समय अध्यक्ष डॉ. भीम राव अम्बेडकर, टी टी कृष्णमचारी, सैयद मोहम्मद सादुल्लाह, एन माधव राव, एन गोपाल स्वामी आयंगर, अलादी कृष्ण स्वामी आयार और डॉ. के एम मुंशी थे। इन सभी को भारत के संविधान का एक ड्राफ्ट तैयार करने का काम सौंपा गया था। जिसके बाद फरवरी 1948 में ड्राफ्टिंग समिति द्वारा भारत के संविधान का पहला ड्राफ्ट तैयार किया गया था। इसे लेकर 8 महीने का वक्त देते हुए भारत के लोगों को चर्चा और संशोधन का प्रस्ताव दिया था। इसके बाद अक्टूबर 1948 में दूसरा ड्राफ्ट तैयार किया था।
इस दिन पास किया गया संविधान
संविधान सभा में डॉ. भीम राव अम्बेडकर ने 4 नवंबर 1948 को भारत के संविधान का अंतिम ड्राफ्ट पेश किया। इसके बाद ड्राफ्ट में लिखी सभी धाराओं पर पूर्ण रूप से विचार-विमर्श करने के अलावा बहस भी की गई। जिसके बाद इसके ड्राफ्ट को 26 नवम्बर 1949 में संविधान सभा ने पास किया, जिसमें एक उद्देशिका, 8 अनुसूचियां और 395 आर्टिकल मौजूद थे।
इस दिन आया भारत में संविधान
संविधान सभा के सभी सदस्यों ने 24 जनवरी, 1950 को भारत के संविधान पर हस्ताक्षर किए। हालांकि असल में 26 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान आया था। देश में इस दिन को हर साल गणतंत्र दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
इतनी लागत में बना भारत का संविधान
आजादी से कई सालों पहले ही संविधान तैयार करने की प्रक्रिया शुरु हो चुकी थी। इस दौरान कड़े संघर्षों के बाद डॉ भीम राव अंबेडकर और उनकी कमेटी ने भारतीय संविधान की प्रकिया को अंजाम तक पहुंचाया। जिसके चलते सही मायने में देश को आजाद कहा गया। बता दें कि भारत का संविधान आने में 2 साल 11 महीने 18 दिन का समय लगा और इस संविधान को बनने में कुल 6.4 करोड़ रुपये की लागत भी आई थी।