पंजाब में कई प्रेम कहानियां दोहराई जाती रही है। उन प्रेम कहानियों का कितना असर रहा है वहां के लोगों में और पंजाबी साहित्य में इसका अंदाजा इस बात से ही लगा सकते हैं कि हीर-रांझा, मिर्जा-साहिबा, सोहनी-महिवाल, सस्सी-पुन्नू, शीरी-फरिहाद, युसुफ-ज़ुलैख़ा जैसे किस्सों का हमेशा ही जिक्र होता रहा है। आज हम जानेंगे हीर-रांझा प्रेम कहानी नए प्लेवर और अलग जानकारियों के साथ…
पंजाब में कई प्रेम कहानियां बार बार दोहराई जाती रही है। उसमें से एक है हीर-रांझा की कहानी। तब भारत अखंड था और पाकिस्तान का तब नामोनिशान नहीं था। तख्त हजारा नाम का एक गांव चिनाब नदी के किनारे हुआ करता था, जहां जाट परिवार में एक बच्चा पैदा हुआ जिसका नाम रखा गया रांझा। जिसके पहले ही 3 बड़े भाई थे और सभी खेती करते लेकिन रांझा सबका दुलारा था ऐसे में मौज मस्ती में बांसुरी बजाते हुए उसका बचपन बीता। जब वो बड़ा हुआ तो जैसे उनकी किस्मत ने करवट ले ली।
जब रांझा के बड़े भाइयों की शादी हो गई, तो उसके घर में झगड़े काफी ज्यादा होने लगे। फिर एक दिन मन मारकर रांझा ने अपना घर छोड़ दिया और भटकते भटकते हीर के गांव ‘झंग’ पंजाब चला गया। ये गांव अब पाकिस्तान में पड़ता है। इस गांव में ही पहली दफा हीर पर रांझा की नजरें पड़ी और वहीं उसने हीर को दिल दे दिया। हीर सियाल जनजाति में जन्मी एक अमीर घर की लड़की थी और उसे भी पहली नजर में रांझा से मुहब्बत हो गई। हीर हमेशा रांझा को अपनी नजरों के सामने रखने के लिए उसे अपने पिता से कहकर चरवाहा के काम पर रखवा लिया। फिर हीर और रांझा की चोरी छिपे मुलाकातें शुरू हो गया।
एक दिन हीर के चाचा कैदो ने इस प्रेमी जोड़े को मुलाकात करते देख लिया और फिर इस बारे में हीर की मां मलिकी और हीर के पिता चुचक को बता दी। फिर क्या जैसे ज्यादा प्रेम कहानियों में होता है वही हुआ दो प्रेमियों को दूर करने की कवायद शुरू कर दी गई और जल्दी ही सेदाखेड़ा नाम के एक नौजवान से हीर की मर्जी के बिना ही उसकी शादी करवाई गई। जिससे रांझा को गहरा दुख पहुंचा और कनफटे समुदाय के एक फकीर से उसने गुरु दक्षिणा ली और खुद भी फकीर बन गया। उसका हाल बेहाल था। वो गांव-गांव गीत गाता और दर दर को भटकता। फिर एक दिन एकाएक वो उस गांव गया जहां पर हीर का ससुराल था और वहीं उससे मुलाकात हीर से हो ही गई।
दोनों ने एक दूसरे से अपने दुख-दर्द बयां किए और फिर साथ भाग निकले। वो भागने में कामयाब होने ही वाले थे कि वहां के स्थानीय राजा ने आखिर में दोनों को पकड़ लिया। तमाम इम्तिहान लिए गए इन दो प्रेमियों के और फिर इन इम्तहानों के बाद राजा को ये एहसास हुआ कि एक दूसरे के लिए ही हीर रांझा बने हैं। फिर दोनों की शादी कराने की बात तय कर ली गई, लेकिन दोनों का एक होना शायद मंजूर नहीं था किस्मत को। क्योंकि हीर के चाचा को हीर के साथ इतना अच्छा होना कहां हजम होता। उसने शादी के दिन ही हीर के खाने में जहर मिलाया और उसे मार डाला। जब ये खबर रांझा तक पहुंची तो उसने भी जहर खाकर जान दे दी और इस तरह से ये प्रेम कहानी अमर हो गई।