हमारे देश को आजादी दिलाने में वैसे तो कई लाखों-करोड़ों लोगों ने हिस्सा लिया, लेकिन इस लड़ाई में कुछ महानायक ऐसे उभरे जिनकी महत्वूपर्ण भूमिका को देश कभी नहीं भूला सकता। इनमें से एक थे भगत सिंह। भगत सिंह की उम्र केवल 23 साल की थी और इस दौरान ही वो अपने दो साथियों के साथ हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर चढ़ गए और देश के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया।
भगत इस शहादत का प्रभाव इतना हुआ कि पूरे देश के युवाओं के अंदर भगत सिंह ने जन्म लिया। भगत सिंह के बलिदान ने उस वक्त युवाओं के अंदर ऐसा जोश भर दिया कि वे सीधा अंग्रेजी हुकूमत से टक्कर लेने को तैयार रहते थे। भगत सिंह के साथ सुखदेव और राजगुरु को भी 23 मार्च को अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी पर चढ़ाया था। इस दिन को हर साल शहीदी दिवस के तौर पर मनाया जाता है। जिस दौरान करोड़ों भारतीय तीनों महान क्रांतकारियों की शहादत को याद करते हैं।
भगत सिंह का बचपन
28 सितंबर 1907 को पंजाब के लायलपुर में बंगा गांव (जो अभी पाकिस्तान में है) में भगत सिंह का जन्म हुआ था। उनका पैतृक गांव खट्कड़ कलां है जो पंजाब में है। जब भगत सिंह का जन्म हुआ था, तब उनके पिता किशन सिंह, चाचा अजित और स्वरण जेल में बंद थे। उनको 1906 में लागू हुए एक विधेयक के खिलाफ प्रोटेस्ट करने के चलते जेल में डाला गया था। भगत सिंह की माता का नाम विद्यावती था। वो एक आर्य-समाजी सिख परिवार से थे।
भगत सिंह के चाचा अजित सिंह बड़े स्वतंत्रता सेनानियों में एक थे। उन्होंने भारतीय देशभक्ति एसोसिएशन भी बनाई थी, जिसमें उनको सैयद हैदर रजा का साथ मिला था। अजित सिंह के खिलाफ 22 केस दर्ज हो गए थे और इससे बचने के लिए वो ईरान चले गए। बचपन से ही भगत सिंह के आसपास ऐसा माहौल बना हुआ था, जिसके चलते उनमें देशभक्ति की भावना उत्पन्न हुई। उन्होंने शुरू से ही अंग्रेजों को भारतीयों पर अत्याचार करते देखा था।
जलियावाला बाग ने डाला गहरा प्रभाव
भगत सिंह बचपन में गांधी जी के विचारों को माना करते थे। साल 1919 में जब जलियावाला बाग हत्याकांड की घटना घटी, तो भगत सिंह महज 12 साल के थे। इस घटना ने उनके मन पर भी बहुत गहरा असर डाला। भगत सिंह का खून खौल उठा और वो अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ महात्मा गांधी द्वारा चलाए जा रहे असहयोग आंदोलन में पूरा साथ देने लगे। भगत सिंह ने बहादुरी के साथ ब्रिटिश सेना को ललकारा। उन्होंने गांधी जी के ही कहने पर ब्रिटिश किताबों तक को जला दिया।
इसके बाद जब चौरी चौरा की घटना के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन बंद कर दिया, तो भगत सिंह उनके इस फैसले से नाखुश हुए। तब भगत सिंह, महात्मा गांधी के अहिंसावादी विचारों से दूर हो गए और उन्होंने कुछ युवाओं के साथ मिलकर क्रांतिकारी संगठन तैयार किया।
जब आजादी की लड़ाई अपने चरम पर पहुंची हुई थी, तब देश प्रेम के चलते उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी। इस दौरान ही भगत सिंह के परिवारवाले उनकी शादी के बारे में सोचने लगे थे। लेकिन भगत सिंह तो अपना सबकुछ देश की आजादी को ही मानते थे। शादी से इनकार करते हुए भगत सिंह ने कहा था और कहा “अगर आजादी के पहले मैं शादी करूं, तो मेरी दुल्हन मौत होगी।”
भगत सिंह ने पहले नौजवान भारत सभा ज्वॉइन की थी। उन्होंने कीर्ति किसान पार्टी के साथ अपना मेल-जोल बढ़ाया और इसके बाद कीर्ति मैगजीन में काम करने लगे। इस मैगजीन के जरिए भगत सिंह देश के युवाओं को अपना संदेश पहुंचाया करते थे। भगत सिंह पंजाबी उर्दू पेपर के लिए भी लिखते थे। वो काफी अच्छे लेखक थे। साल 1926 में उनको नौजवान भारत सभा का सेक्रेटरी बना दिया गया।
इसके बाद 1928 में भगत सिंह ने चंद्रशेखर आजाद द्वारा बनाई गई हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन ज्वॉइन कर ली। 30 अक्टूबर 1928 को इस पार्टी ने भारत आए साइमन कमीशन का विरोध किया। इस दौरान साइमन वापस जाओ के भी नारे लगाए। इस दौरान प्रदर्शन में शामिल रहे लोगों पर लाठीचार्ज किया गया। लाठीचार्ज में ही लाला लाजपत राय काफी बुरी तरह घायल हो गए और उनकी मौत हो गई।
…जब लाला लाजपत राय की मौत का लिया बदला
लाला लाजपत राय की मृत्यु से भगत सिंह और गुस्से में आ गए और उन्होंने इसका बदला लेना का फैसला लिया। उन्होंने लाला जी की मौत के जिम्मेदार ऑफिसर जेम्स ए स्कॉट को मारने की योजना बनाई। लेकिन इस दौरान गलती से उन्होंने स्कॉट के रूप में सहायक पुलिस अधीक्षक जे.पी. सौन्डर्स को मार दिया। गिरफ्तारी से बचने के लिए भगत सिंह लाहौर से भाग गए। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें खोजने के लए चारों ओर जाल भी बिछाया। इस दौरान भगत सिंह ने अपनी दाढ़ी मुंडवा ली और बाल तक कटवा लिए, जो सिख धर्म के पवित्र सिद्धांतों का उल्लंघन था। तब भगत सिंह को देश और आजादी के आगे और कुछ दिखाई नहीं देता था।
अंग्रेजों के कान खोलने के लिए किया धमाका
भगत सिंह अलग ही विचारों वाले शख्स थे। वो यूथ ऑइकन थे। भगत सिंह मानते थे नौजवान ही देश की काया पलट सकते हैं। इसलिए वो हमेशा ही युवाओं को नई दिशा दिखाने की कोशिश करते थे। चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव ने मिलकर एक बड़ा धमाका करने का प्लान बनाया। भगत सिंह कहते थे कि अंग्रेज बहरे हो गए है, उनको ऊंचा सुनाई देता है। ऐसे में उनके कान खोलने के लिए बड़े धमाके की जरूरत है।
1929 में भगत सिंह ने अपने साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर ब्रिटिश सरकार की असेंबली हॉल में बम ब्लास्ट किया। ये धमाका सिर्फ अंग्रेजों को जगाने के लिए था। इसे एक खाली जगह पर फेंका गया और इससे किसी को नुकसान नहीं पहुंचा। बम फेंकते हुए उन्होंने इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाए और पर्चे भी बांटे थे। इस दौरान उन्होंने ये भी फैसला लिया कि वो कमजोर लोग की तरह भागेंगे नहीं और अपने आपको पुलिस के हवाले के कर देंगे और किया भी ऐसा ही। उन्होंने घटनास्थल से भागने के बजाए जानबूझकर खुद को गिरफ्तार करा दिया।
जेल में 2 साल तक रहे भगत सिंह
भगत सिंह करीब 2 साल तक जेल में रहे। उस दौरान जेल में बंद भारतीय कैदियों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता था। उनको ना तो सही से खाना मिलता था और ना ही कपड़े। इसके लिए भी भगत सिंह ने जेल में ही अपना आंदोलन शुरू कर दिया और कैदियों की स्थिति में सुधार लाने के लिए वो भूख हड़ताल पर बैठ गए। अपनी मांगे पूरी कराने के लिए उन्होंने कई दिनों तक पानी नहीं पिया और ना ही अन्न का एक भी दाना ग्रहण किया। जेल में उनके साथ काफी मारपीट होती थी, लेकिन भगत सिंह कहां हार मानने वालों में से थे। अंत में अंग्रेजी सरकार को घुटने टेकने पड़े और वो भगत सिंह की मांगों को मानने के लिए मजबूर हो गए। जेल कारावास के दौरान भगत सिंह ने कई पत्र लिखे। इसके साथ ही 1930 में भगत सिंह ने Why I Am Atheist नाम की किताब लिखी थीं।
23 मार्च को दी गई फांसी
23 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी हुई। देश के इन तीनों वीर सपूतों ने देश के लिए फांसी को फंदे को खुशी से चूम लिया। बताया जाता है कि इन तीनों को फांसी वैसे 24 मार्च को होनी थी, लेकिन इस दौरान भी अंग्रेज सरकार ने चालाकी की और 23-24 मार्च की मध्यरात्रि तीनों को फांसी हो गई। दरअसल, तीनों की रिहाई को लेकर पूरे देश में प्रदर्शन हो रहे थे, जिसकी वजह से ब्रिटिश सरकार ने डर के चलते पहले ही उन्हें फांसी दे दी।
भगत सिंह से जुड़ी अनजानी बातें
शहीद भगत सिंह से जुड़ी कई बातें वैसे तो हम बचपन से ही सुनते पढ़ते हुए आ रहे हैं। लेकिन फिर भी उनकी जुड़ी कई ऐसी बातें है, जिनसे लोग अनजान है। आज हम आपको भगत सिंह से जुड़ी कुछ अनजानी और रोचक बातें बताने जा रहे हैं…
– जलियावाला बाग हत्याकांड ने ही भगत सिंह को एक क्रांतिकारी बनाया था। इस घटना ने उनके मन पर बहुत गहरा डाला। तब भगत सिंह की उम्र केवल 12 साल की थी।
– बचपन में जब भगत सिंह अपने पिता के साथ खेतों में जाया करते थे, तो वो उनसे पूछते थे कि हम जमीन में बंदूक क्यों नहीं उपजा सकते।
– अपने कॉलेजों के दिनों भगत सिंह ने अपने कॉलेजों के दिनों में नेशनल यूथ ऑर्गेनाइजेशन की स्थापना की थी।
-भगत सिंह के बारे में ये बात कम ही लोग जानते है कि वो एक अच्छे अभिनेता भी थे। कॉलेज के दौरान उन्होंने कई नाटकों में भाग लिया था।
– भगत सिंह को कुश्ती का भी शौक था।
– भगत सिंह एक अच्छे लेखक थे। वो उर्दू और पंजाबी भाषा के कई अखबारों में लिखा करते थे।
– भगत सिंह को फिल्में देखने का काफी शौक था। उन्हें चार्ली चैप्लिन की फिल्में काफी पसंद थीं। बताया जाता है कि उन्हें जब भी मौका मिलता वो राजगुरु और यशपाल के साथ फिल्म देखने जाते थे। उन्हें रसगुल्ले खाना भी काफी पसंद था।
– भगत सिंह ने ही ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा दिया था।
– भगत सिंह ने आखिरी इच्छा ये जताई थी कि उन्हें गोली मारकर मौत दी जाए, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इसे नजरअंदाज किया।
भगत सिंह के अद्भूत विचार
– प्रेमी, पागल और कवि एक ही थाली के चट्टे बट्टे होते हैं अर्थात सामान होते हैं।
– मेरी गर्मी के कारण राख का एक-एक कण चलायमान हैं मैं ऐसा पागल हूं जो जेल में भी स्वतंत्र हैं।
– किसी को “क्रांति” को परिभाषित नहीं करना चाहिए। इस शब्द के कई अर्थ एवम मतलब हैं जो कि इसका उपयोग अथवा दुरुपयोग करने वाले तय करते हैं।
– मैं एक इंसान हूं और जो भी चीज़े इंसानियत पर प्रभाव डालती हैं मुझे उनसे फर्क पड़ता हैं।
– जीवन अपने दम पर चलता हैं, दूसरों का कंधा अंतिम यात्रा में ही साथ देता हैं।