भारत में कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए रेलवे ने सभी ट्रेनें कैंसल कर दी हैं, 31 मार्च की रात 12 बजे तक कोई भी ट्रेन नहीं चलेगी. ये कदम सोशल डिसटेंसिंग मेंटेन करने के लिए उठाया गया है. मालगाड़ियों के अलावा सभी ट्रेन रद्द हो चुकी हैं. देखा जाए तो पूरे देश में लॉक डाउन की स्थिति आ चुकी है. रेलवे के इस फैसले जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में 1974 की याद दिला दी जब रेलवे में हुई हड़ताल से पूरे देश की रफ़्तार थम गई थी.
ये थी हड़ताल की वजह
दरअसल हड़ताल रेल कर्मचारियों की सैलरी न बढ़ाने की वजह से हुई थी. दरअसल उस दौर में तीन वेतन आयोग लागू हुआ था लेकिन इसके बावजूद कर्मचारियों की सैलरी में कुछ ख़ास इजाफा नहीं किया गया था. इसके अलावा हड़ताल की दूसरी वजह काम के घंटों की मांग कम करने की थी. 1973 में जॉर्ज फ़र्नांडिस आल इंडिया रेलवे मैन्स फेडरेशन के अध्यक्ष बने थे. इन्हीं के नेतृत्व में 8 मई 1974 में रेल कर्मचारियों ने हड़ताल शुरू की थी. दरअसल उस दौरान रेलवे स्टाफ को लगातार काम करना पड़ता था. जिस वजह से वो चाहते थे कि उनके काम करने के घंटे घटाए जायें.
15 लाख लोग हुए थे शामिल
हैरानी की बात तो ये थी कि इस हड़ताल में करीब 15 लाख लोग शामिल थे. जॉर्ज फ़र्नांडिस द्वारा शुरू की गई इस हड़ताल में धीरे धीरे कई यूनियनें भी जुड़ती चलीं गयीं. जिस वजह से ये हड़ताल काफी बड़ी होती चली गई. इस बात में भी सच्चाई की जॉर्ज फ़र्नांडिस की नेशनल लेवल के नेताओं में गिनती इस हड़ताल के विशालकाय रूप लेने के बाद ही हुई थी.
इंदिरा गांधी ने इस वजह से ही लगायी थी इमरजेंसी
बताया जाता है कि इस हड़ताल का आधार ले कर ही तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने पूरे देश में इमरजेंसी घोषित कर दी थी. इस हड़ताल को दबाने के लिए कांग्रेस सरकार ने लाखों लोगो को जेल में डाल दिया था. जिसके बाद रेल कर्मचारी अपने परिवार संग पटरियों पर बैठ गए थे. जिसके बाद प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के सरकार को सख्त रुख अख्तियार करना पड़ा था. कई जगह पर ट्रैक खुलवाने के लिए सेना की तैनाती की गई थी. एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 30 हजार मजदूर नेताओं को जेल में डाल दिया गया. हालांकि इसके 3 हफ्ते बाद हड़ताल वापिस ले ली गई जिसकी वजह आज तक नहीं पता चल पायी है.