भले ही उसकी पहचान एक डाकू के तौर पर होती है, भले ही उसने अपने हाथों में बंदूक उठा लिया, भले ही उसकी जिंदगी संघर्षों से भरी थी लेकिन वो इंसान तो थी और दिल तो उसके सीने में भी था। वो बहुत मासूम सी थी और आम जिंदगी जीना चाहती थी, लेकिन उसकी पूरी जिंदगी दर्द से भरी रही। हम बात कर रहे हैं बेंडिट क्वीन फूलन देवी की।
फूलन देवी जो बिहड़ों में रहती, जिसके आने की खबर से लोग थर थर कांपते थे। उस फूलन देवी के बारे में क्या आपको ये पता है कि उसे किसी से प्यार भी हुआ था। एक सीधी-सीधी लड़की हालातों से मजबूर होकर खुंखार डकैत बन गई। फूलन देवी के डकैत बनने की कहानी किसी के भी रोंगटे खड़ी कर सकती है।
चंबल के साथ ही कानपुर देहात के लोग तो फूलन के नाम से आज भी खौफ खाते हैं जो अपने शिकार को तड़पा तड़पा कर मार डालने के लिए फेमस थी। बेहमई गांव में तो उसने सवर्ण समाज के 22 लोगों को एक लाइन में खड़ा करके गोलियों से भून डाला। इस हत्याकांड के बाद ही फूलन देश विदेश में चर्चा का विषय बनी थी। फूलन की पूरी जिंदगी कांटों भरी थी पर इस पूरी जिंदगी में एक विक्रम ही था जिसने फूलन को प्यार दिया। उसने फूलन को बचाया और बकायदा उससे शादी की पर जंगल में बैठे फूलन के दुश्मनों ने उसके ये खुशी भी छीन ली और विक्रम को मौत के घात उतारकर फूलन को उठा ले गए।
इसके बाद फूलन के साथ बेहद ही खौफनाक तरीके से दरिंदगी को अंजाम दिया गया और इन्हीं घटनाओं के बाद बीहड़ और चंबल की सबसे खतरनाक डकैत फूलन देवी एक डकैत के तौर पर अस्तित्व में आई।
जालौन जिले के गांव गोरहा के मल्लाह परिवार में फूलन देवी 10 अगस्त 1963 को पैदा हुई। वो अलग थी और सही गलत की लड़ाई आगे रहती थी। पिता की मौत हुई और घर के मुखिया चाचा बन गए और फूलन को प्रताड़ित करने लगे और तो और उसकी शादी 11 साल की उम्र में पुट्टी लाल नाम के बूढ़े शख्स से करा दी गई, जिसने शादी के तुरंत बाद ही उसका रेप किया और खूब प्रताड़ित किया जिससे परेशान फूलन मां-बाप के घर आ गई। यहां पर तो उसकी जिंदगी और भी बुरी हो गई। गांव के लोग अपनी बेटी बहुओं को फूलन से दूर रहने की हिदायत देने लगे और लड़के फूलन को आते जाते छेड़ने लगे।
जब पंचायत में फूलने शिकायत की तो उल्टा वही बुरी बना दी जाती। गांव से जुड़े बीहड़ों में उसे अकेले घूमना पसंद था। इन्हीं दिनों में उसकी जान पहचान डाकुओं के एक गैंग से हुई। गैंग का सरदार बाबू गुज्जर फूलन से प्यार करने लगा पर फूलन उसे नहीं पसंद करती। ऐसे में एक दिन सरदार ने फूलन को अगवा किया और उसके साथ रेप किया। सरदार के ही गैंग में एक डाकू था विक्रम जो फूलन से सच्चा प्यार करता था और फूलने के साथ जब भी सरदार रेप को अंजाम देता था।
विक्रम का खून खौलता और आखिर में उसने अपने ही सरदार को मार डाला और गैंग का सरदार खुद बन गया और तो और पूरे सम्मान के साथ उसने फूलन से शादी भी की लेकिन वो दोनों इस शादी के सुख को ज्यादा नहीं भोग पाए।
बाबू गुज्जर की गैंग के ही कुछ लोग एक दूसरी ठाकुर डाकुओं की गैंग से हाथ मिलाया और विक्रम को मार डाला। विक्रम ही था जिसने फूलन से प्यार किया लेकिन वो भी नहीं रहा और उसके जाने के बाद फूलन पर ठाकुर गैंग के लोगों बेतहाशा अत्याचार किया। फूलन को 2 हफ्तों से भी ज्यादा वक्त तक नग्न हालत में हर दिन गैंग के 22 लोग उसके साथ बारी बारी से रेप करते और फिर एक दिन तो गैंग के सरदार ने नग्न हालत में ही फूलन को पूरे गांव के आगे बाल पकड़ घुमाया पर फिर भी फूलन नहीं हारी और डाकुओं की एक गैंग तैयार किया और बंदूक थामकर दंगल में रहने लगी लोगों ने फूलन को बताया कि उसका दोषी लालाराम बेहमई गांव में छिपा बैठा है तो वो वहीं गैंग के साथ जा धमकी।
26 जुलाई 1981 में देश विदेश की सुर्खियों में थी जब उसने ऊंची जातियों के 22 लोगों को मार गिराया और फिर कभी वो मुड़ी नहीं। साल 1994 में जेल से वो रिहा हुई और साल 1996 में सांसद हुई। दो बार वो लोकसभा में चुनी गई।शेर सिंह राणा ने 25 जुलाई 2001 को फूलन देवी को सिर में गोली दागी। आखिर में काफी गोलियां लगने के बाद फूलन देवी का अंत हो गया और जब फूलन पर अंधाधुंध गोलियों चली और उसके शरीर का पोस्टमार्टम किया गया तो दर्जनभर गोलियां निकली थी उसके शरीर से।
फूलन एक डाकू थी लेकिन जिंदगी रहते उसने आत्मसमर्पण भी किया। उसने कइयों को मार गिराया लेकिन इसका दूसरा पहलू ये भी है कि एक महिला को हद से ज्यादा प्रताड़ित किया गया। उससे उसका प्यार छीन लिया गया और जब वो सही रास्ता पर चली तो उसका खात्मा कर दिया गया। ये कहानी जितनी एक डाकू की उससे कही ज्यादा एक संघर्ष करती महिला की भी है।